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जेट एयरवेज का आर्थिक संकट बरकरार, 15 और विमान खड़े किए

आर्थिक संकट से जूझ रही एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब कंपनी के बेड़े के सिर्फ 20 विमान ही नियमित परिचालन में इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

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जेट एयरवेज का आर्थिक संकट बरकरार
जेट एयरवेज का आर्थिक संकट बरकरार

आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के विमानों के परिचालन से बाहर होने का सिलसिला जारी है. दरअसल, किराया नहीं चुका पाने की वजह से जेट एयरवेज को 15 और विमान खड़े करने पड़े हैं. जेट एयरवेज की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक , " विमानों को पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया नहीं चुका पाने के चलते 15 और विमानों को खड़ा कर दिया गया है."

इसी के साथ जेट एयरवेज के कुल 69 विमान अब तक परिचालन से बाहर हो चुके हैं. अब कंपनी के बेड़े के सिर्फ 20 विमान ही ऐसे रह गए हैं जो उड़ान भर रहे हैं. इससे पहले जेट एयरवेज ने किराया चुकाने में चूक करने के चलते मार्च अंत तक कुल 54 विमानों को परिचालन से हटा दिया था.

बता दें कि जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल ने 25 मार्च को निदेशक मंडल की बैठक में अपने पद को छोड़ दिया था. इस बैठक में भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में तैयार ऋणदाताओं की समाधान योजना को मंजूरी दी गई थी.  इस योजना के तहत , ऋणदाताओं ने कंपनी का नियंत्रण अपने हाथों में लेने और उसमें 1,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का फैसला किया था.

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इस बीच जेट एयरवेज के घरेलू पायलटों के यूनियन नेशनल एवियटर्स गिल्ड (एनएजी) ने समय पर वेतन के साथ बकाया वेतन पर ब्याज देने की मांग की है. नागर विमानन के महानिदेशक बीएस भूल्लर और जेट एयरवेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनय दूबे को दो अलग-अलग पत्र लिखकर गिल्ड ने कहा है कि उन्हें अपने ईएमआई और अन्य वित्तीय प्रतिबद्धताएं पूरे करने में दिक्कत आ रही है.

संगठन ने कहा कि पायलटों के विमान उड़ाने के लिहाज से मौजूदा स्थिति 'आदर्श' नहीं है. इससे पहले गिल्ड ने पहले 31 मार्च तक बकाया वेतन का भुगतान नहीं किये जाने की स्थिति में 1 अप्रैल से हड़ताल पर जाने का आह्वान किया था. हालांकि इस हड़ताल को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है.

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