राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक आनुषांगिक ईकाई स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार द्वारा 92 सार्वजनिक कंपनियों में विनिवेश करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसके लिए सरकार को चेताया है. इस प्रस्ताव में एयर इंडिया और बीएसएनल जैसी संकटग्रस्त कंपनियों का विनिवेश भी शामिल है. पुणे में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में स्वदेशी जागरण मंच ने इस बारे में प्रस्ताव पारित कर मोदी सरकार से पुनर्विचार का अनुरोध किया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने 92 सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) का प्रस्ताव रखा है. इसका सुझाव नीति आयोग ने दिया था. स्वदेशी जागरण मंच (SJM) की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक पुणे में संपन्न हुई है.
नीति आयोग के सुझाव पर इनवेस्टमेंट और पब्लिक एसेट मैनेजमेंट विभाग (DIPAM) ने इस साल विनिवेश के लिए 92 सीपीएसई की सूची तैयार की है. इस प्रक्रिया में यह प्रस्ताव रखा गया है कि कुछ कंपनियों में 'रणनीतिक हिस्सेदारी' बेची जाए और कुछ कंपनियों का एसेट बेचा जाए. एयर इंडिया की तीन पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (AIATSL), एयर इंडिया इंजीनियर्रिग सर्विसेज लिमिटेड (AIESL) और एलायंस एयर सर्विसेज लिमिटेड (AASL) को फिर से विनिवेश सूची में रखा गया है.
सरकार की विनिवेश नीति के बारे में सख्त शब्दों वाले प्रस्ताव में स्वेदशी जागरण मंच ने कहा कि एयर इंडिया अब सही रास्ते पर है और इसका अस्तित्व तीनों सब्सिडियरी कंपनियों पर निर्भर करता है. इन सहायक कंपनियों के विनिवेश से एयर इंडिया की समस्या और बढ़ सकती है.
स्वेदशी जागरण मंच ने बीएसएनएल के विनिवेश का भी विरोध किया है. एसजेएम का कहना है कि भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के मुनाफे वाले ब्रॉडबैंड सेवाओं और टावर एसेट को अलग कर दो नई सब्सिडियरी बना दी गई हैं और अब उन्हें 'रणनीतिक बिक्री' के तहत बेचा जा रहा है. इससे सरकार को कुछ करोड़ तो मिल जाएंगे, लेकिन बीएसएनल को भारी नुकसान होगा.
एसजेएम ने कहा कि सरकार को अपने इन प्रस्तावों पर पुनर्विचार करना चाहिए. दिलचस्प है कि पिछले साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया में विनिवेश का समर्थन किया था. हालांकि, उन्होंने ऐसा कहते हुए यह भी कहा था कि एयर इंडिया का मालिकाना किसी भारतीय कंपनी को ही दिया जाए, जो इसे बेहतर तरीके से चला सके.
इस साल जनवरी में तत्कालीन नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा था कि सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है और एयर इंडिया की अनुषंगी कंपनियों की बिक्री के लिए रूपरेखा को मंजूरी दे दी गई है.