रिलायंस ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी इन दिनों मुश्किलों में हैं. पहले ही राफेल डील को लेकर विवादों में आ चुके अनिल अंबानी को अब सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले का दोषी पाया है. दरअसल, स्वीडिश टेलिकॉम कंपनी एरिक्सन ने आरोप लगाया था कि कोर्ट के आदेश के बाद भी अनिल अंबानी ने कंपनी की बकाया राशि नहीं दी है. एरिक्सन की याचिका के बाद कोर्ट ने बीते बुधवार को अंबानी को 4 सप्ताह में 453 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगर उन्होंने निश्चित समय में पैसे नहीं चुकाए तो जेल भी जाना पड़ सकता है. ऐसे में अब अनिल अंबानी की कंपनी पैसा जुटाने में लग गई है.
इसी के तहत रिलायंस ग्रुप की फाइनेंशियल सर्विस कंपनी रिलायंस कैपिटल ने रिलायंस निप्पॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड (आरनाम) में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर ली है. इसके लिए कंपनी ने निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस से प्रस्ताव मांगा है. आरनाम, दोनों कंपनियों का ज्चाइंट वेंचर है. इस कंपनी में जापान की निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस की 42.88 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल का 42.9 फीसदी शेयर है. कंपनी की ओर से इसकी जानकारी शेयर बाजार को दी गई है.
बैंकों से मांगी मंजूरी
वहीं अनिल अंबानी की टेलिकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने अपने खाते में पड़े 260 करोड़ रुपये एरिक्सन के खाते में डालने को लेकर बैंकों से तत्काल मंजूरी मांगी है.रिलायंस कम्युनिकेशंस के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘ हमने आयकर रिफंड से बैंक खातों में आए 260 करोड़ रुपये सीधे एरिक्सन के खाते में डालने को लेकर अपने कर्जदाताओं से तत्काल मंजूरी देने का आग्रह किया है.’’
उन्होंने आगे कहा कि आर कॉम को भरोसा है कि वह एरिक्सन को देने के लिए बकाया 200 करोड़ रुपये समय पर जुटा लेगी ताकि ब्याज समेत पूरा पैसा स्वीडन की कंपनी को उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार चार सप्ताह में मिल जाए. बता दें कि बुधवार को रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी के अलावा अन्य दो को न्यायालय का आदेश नहीं मानने पर कड़ी फटकार लगाई थी. शीर्ष अदालत ने आरकॉम को एरिक्सन का बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, टेलिकॉम ऑपरेटर कंपनी एरिक्सन ने 2014 में अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम का टेलिकॉम नेटवर्क संभालने के लिए 7 साल की डील की थी. इस दौरान आरकॉम पर एरिक्सन का 1000 करोड़ से ज्यादा का बकाया हो गया. आरकॉम इस बकाया रकम को लौटाने में नाकाम रही तो एरिक्सन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का दरवाजा खटखटाया. NCLT ने सेटलमेंट प्रक्रिया के तहत आरकॉम 30 सितंबर तक 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा.
आरकॉम ने इस बार भी समयसीमा पर पैसे नहीं दिए. इसके बाद एरिक्सन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया लेकिन एक बार फिर अनिल अंबानी की कंपनी ने पैसे नहीं चुकाए. ऐसे में कोर्ट ने अनिल अंबानी समेत ग्रुप के दो अधिकारियों को अवमानना का दोषी पाया है.