भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मंगलवार को 2012-13 की तीसरी तिमाही की कर्ज और मौद्रिक नीति की समीक्षा घोषणा में ब्याज दरों में कटौती का अनुमान है. आरबीआई ने आखिरी बार अप्रैल 2012 में दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की थी.
सरकार के बढ़ते वित्तीय घाटे और उच्च महंगाई दर को देखते हुए आरबीआई ने मौद्रिक नीति को सख्त बनाए रखा है. बैंक ने हालांकि पिछले महीने जनवरी-मार्च तिमाही में दरों में कटौती की सम्भावना व्यक्त की थी.
विश्लेषकों का मानना है कि ताजा आंकड़ों और सरकार की नीतिगत सक्रियता को देखते हुए आरबीआई मंगलवार को दरों में कटौती का फैसला ले सकता है.
सरकार ने डीजल मूल्य को आंशिक रूप से नियंत्रण मुक्त कर दिया है और हर परिवार को दिए जाने वाले रसोई गैस की अधिकतम संख्या निर्धारित कर दी है. वित्त मंत्री ने कहा है कि मौजूदा कारोबारी साल में बजटीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.3 फीसदी रहेगा.
थोक कीमतों पर आधारित महंगाई दर हालांकि अब भी ऊंचे स्तर पर है, लेकिन इसमें कुछ गिरावट आई है और दिसम्बर माह में यह 7.18 फीसदी रही है, जो तीन सालों का निचला स्तर है.
खाद्य महंगाई और ऊर्जा महंगाई को अलग कर देने के बाद बचे प्रमुख उद्योगों में महंगाई दर में गिरावट आ रही है. दिसम्बर माह में यह 33 महीने के निचले स्तर 4.24 फीसदी पर रही.
आरबीआई इस सच्चाई पर भी गौर कर सकती है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कारोबारी उत्साह में गिरावट आई है. भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही में उच्च ब्याज दर और आधारभूत संरचना की बाधा के कारण कारोबारी माहौल बिगड़ा है.