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अड़चनों के बावजूद प्रभु की रेल ने पकड़ी रफ्तार

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों और कम राजस्व प्राप्ति के चलते भारतीय रेलवे को इस साल असहनीय बोझ की आशंका से जूझना पड़ा. हालांकि रेलवे की आय 10 दिसंबर तक पिछले साल के मुकाबले 6.67 प्रतिशत बढ़ी लेकिन राजस्व प्राप्ति लक्ष्य से कम रही.

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भारतीय रेलवे को इस साल असहनीय बोझ से जूझना पड़ा
भारतीय रेलवे को इस साल असहनीय बोझ से जूझना पड़ा

रेलवे को 2015 में लक्ष्य से कम राजस्व प्राप्ति और वेतन आयोग के सिफारिशों के असहनीय बोझ की आशंका से जूझना पड़ा. उम्मीद है कि अगले साल दोनों मुद्दों का समाधान कर लिया जाएगा.

हालांकि रेलवे की आय 10 दिसंबर तक पिछले साल के मुकाबले 6.67 प्रतिशत बढ़ी लेकिन राजस्व प्राप्ति लक्ष्य से कम रही. रेलवे की आय 10 दिसंबर तक 8.8 प्रतिशत घटकर 1,11,834.32 करोड़ रुपये रही जबकि लक्ष्य 1,22,639.16 करोड़ रुपये था.

इस वजह से राजस्व घटा
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, 2015 में जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा उनमें पर्याप्त माल न मिलना शामिल है. इसलिए राजस्व घटा. इस्पात, सीमेंट, लौह अयस्क की मांग की स्थिति अच्छी नहीं है. आयात-निर्यात कम है. ये माल भाड़े के स्रोत हैं. इसलिए लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है.

वेतन आयोग की सिफारिशें चुनौतीपूर्ण
उन्होंने यह बात इस प्रश्न के जवाब में कही कि क्या उन्हें 2015 में कुछ चीजें नहीं कर पाने या इससे बेहतर करने का अफसोस है. उन्होंने यह भी कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें समान रूप से चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि रेलवे को सालाना इस पर अतिरिक्त 32,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.

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2016 में होगा समाधान
प्रभु ने कहा, वेतन आयोग की सिफारिशें एक अन्य चुनौती है. रेलवे पर वेतन आयोग के लिए 32,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ असहनीय है. यह बड़ी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा ये 2015 की दो बड़ी चुनौतियां हैं और मुझे उम्मीद है कि हम 2016 में इसका समाधान कर सकेंगे. वेतन आयोग पर हम वित्त मंत्रालय से बात करेंगे.

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