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कर्जमाफी के जवाब में किसानों के लिए सरकार का नया प्‍लान, इन विकल्पों पर हो रहा विचार

NEW YEAR मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्ज माफी के एलान के बाद कांग्रेस की ओर से लगातार मोदी सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. लेकिन अब मोदी सरकार ने भी किसानों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है. 

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मोदी सरकार देगी राहत
मोदी सरकार देगी राहत

2019 के आगाज में चंद दिन बचे हैं और यह साल मोदी सरकार के लिए काफी अहम माना जा रहा है. दरअसल, कुछ ही महीनों में  लोकसभा चुनाव होने वाले हैं और यह मोदी सरकार के लिए किसी अग्‍निपरीक्षा से कम नहीं है. ऐसे में चुनाव से पहले सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई बड़ी योजनाओं का एलान कर सकती है.

तेलंगाना की योजना पर हो रहा विचार

बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक के मुताबिक मोदी सरकार किसानों को आय में कुछ मदद करने की संभावना तलाश रही है. इसके लिए तेलंगाना की 'रैयत बंधु' योजना को थोड़ा बदलाव कर देशभर में लागू करने पर विचार हो रहा है. 'रैयत बंधु' यानी कृषक मित्र योजना के तहत तेलंगाना सरकार किसानों को प्रति वर्ष प्रति फसल 4000 रुपये एकड़ की राशि देती है. यानी तेलंगाना के किसानों को हर साल 8000 रुपये प्रति एकड़ मिलते हैं. इसमें जोत के रकबा से सरकार को कोई लेना-देना नहीं होता है. पिछले साल राज्‍य सरकार की ओर से इस योजना पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए.

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रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना की घोषणा 2019-20 के अंतरिम बजट में या फिर शीत सत्र के समापन के बाद की जा सकती है. इसके अलावा पहले चरण में लघु और सीमांत किसान को शामिल किया जा सकता है. बता दें कि देश भर में करीब 9 से 11 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. इससे पहले तेलंगाना की तर्ज पर ओडिशा और झारखंड की सरकारों ने भी रैयत बंधु जैसी योजना लागू करने का एलान कर चुकी हैं.

इन विकल्‍पों पर भी हो रहा विचार!

इसके अलावा भी किसानों को राहत देने के लिए कई विकल्‍पों पर मंथन जारी है. रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों और अधिकारियों के बीच छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में फसल बीमा देने और उधारी योजनाओं में कुछ फेरबदल करने पर भी चर्चा हुई है. बता दें कि वर्तमान में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों से अलग-अगल फसलों के लिए 2 से 5 फीसदी तक की दर से प्रीमियम वसूला जाता है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि किसानों को आय मुहैया कराने की योजना पर सरकारी खजाने पर शुरुआती दौर में करीब 600 से 700 अरब रुपये का बोझ आने का अनुमान है. इस योजना में आने वाली कुल खर्च में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी कितनी होगी, इस पर विचार हो रहा है.

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