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खरीफ फसलों की बुवाई 1033 लाख हेक्‍टेयर के पार

पूरे देश में इस बार मानसून सामान्य रहने और डिस्ट्रीब्यूशन बेहतर रहने का असर खेती पर दिखने लगा है. पूरे देश में खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 36.66 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है.

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बेहतर मानसून ने बढ़ाई उम्मीद
बेहतर मानसून ने बढ़ाई उम्मीद

पूरे देश में इस बार मानसून सामान्य रहने और डिस्ट्रीब्यूशन बेहतर रहने का असर खेती पर दिखने लगा है. पूरे देश में खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 36.66 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है.

कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 1 सितंबर तक खरीफ का कुल बुवाई क्षेत्र 1033.99 लाख हेक्‍टेयर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इस समय यह आंकड़ा 997.11 लाख हेक्‍टेयर था. खरीफ फसल की बुवाई ज्यादा रहने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है वो है सही वक्त पर बारिश की शुरुआत और बारिश का समान वितरण होना है.

मानसून सीजन की शुरुआत में यानी जून के दूसरे हफ्ते से ही देश में बारिश ने जोर पकड़ लिया और ये स्थिति अभी तक बनी हुई है. इस वजह से किसानों ने खरीफ की फसलों की बढ़-चढ़कर बुवाई की.

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खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान है और इसकी मॉनसून पर निर्भरता काफी हद तक है. इस बार अच्छी बारिश के चलते देश में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के 364.43 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 372.95 लाख हेक्टेयर रहा है. यानी धान उत्पादक राज्यों में रकबे में बढ़ोतरी है.

धान की बुवाई बेहतर रहने के साथ जोरदार बारिश का दौर चलने की वजह से इसके उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही इस बार किसानों की लागत कम रहने की पूरी संभावना नजर आ रही है. लेकिन सवाल ये है कि क्या किसानों को इस बार बेहतर कीमतें मिल पाएंगी या नहीं.

मोटे अनाजों की खरीफ बुवाई भी इस बार पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 10 लाख हेक्टेयर बढ़कर 184.13 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. सरसों और मूंगफली जैसी तिलहन फसलों का बुवाई रकबा भी खरीफ सीजन के दौरान पिछले साल के मुकाबले 1 लाख हेक्टेयर बढ़कर 179.60 लाख हेक्टेयर हो गया है. वहीं दूसरी तरफ गन्ने की बात करें तो इसका बुवाई रकबा पिछले साल के मुकाबले 5 लाख हेक्टेयर घटकर 45.77 लाख हेक्टेयर रहा है.

दलहन की बात करें इस साल इसके बुवाई रकबे में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल 1 सितंबर तक दालों की बुवाई 106.92 लाख हेक्टेयर रकबे में हुई थी. लेकिन खरीफ सीजन में इस बार दलहन फसलों का बुवाई रकबा 142.02 लाख हेक्टेयर रहा है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि इस समय दालों की बढ़ी हुई कीमतों और अच्छे मॉनसून का असर दाल की बुवाई पर भी दिख रहा है.

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जोरदार बुवाई के चलते दालों की कीमतों में नरमी का रुख आना शुरू हो गया है. ऐसा अनुमान है कि आने वाले महीनों में दाल की कीमतों में और गिरावट आएगी.

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