मोबाइल वॉलेट के जरिए आम लोगों को बैंकिंग में होने वाली तमाम सुविधाओं, देश में बड़ी संख्या में लोगों के पास बैंक खाता नहीं होने और देश में करीब 70 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता होने के बावजूद अभी मोबाइल वॉलेट सेवा के देश में लोकप्रिय होने में कुछ समय लगेगा, क्योंकि इस बारे में जानकारी काफी कम है. यह बात विशेषज्ञों ने कही. मोबाइल वॉलेट सेलफोन पर उपलब्ध एक अप्रत्यक्ष वॉलेट सुविधा है. यहां रुपया डिजिटल मनी के रूप में स्टोर किया जाता है. खरीददारी के दौरान इस वॉलेट के जरिए पेमेंट किया जाता है. यानी कुल मिलाकर मोबाइल वॉलेट एक डिजिटल पर्स की तरह है जिससे पैसे के लेन-देन, भुगतान जैसे काम किए जा सकते हैं.
देश में 1980 और 1990 के दशक में मोबाइल क्रांति के प्रणेता प्रौद्योगिकी विद सैम पित्रोदा ने कहा, ‘लोग मोटी अवधारणा नहीं समझ पा रहे हैं. यह एक जटिल सॉफ्टवेयर है, जिसमें एक साथ कई पक्ष काम करते हैं.’
उन्होंने बताया कि वह मोबाइल फोन को एक चमड़े के पर्स जैसा बना देना चाहते हैं, जिसमें उसी तरह से सब कुछ किया जा सके, जिस प्रकार से हम पर्स का उपयोग करते हैं. उनके मुताबिक मोबाइल वॉलेट के चार चरण होते हैं: मोबाइल बैंकिंग, मोबाइल भुगतान, मोबाइल कॉमर्श और मोबाइल लेन-देन.
पित्रोदा की कंपनी सी-सैम ने 2010 में मोबाइल से पैसे के लेन-देन का एक प्लेटफॉर्म तैयार किया था, जिसे बाद में कंपनी ने मास्टरकार्ड को बेच दिया.
पित्रोदा ने कहा, ‘यह सोच अभी देश में परिपक्व नहीं हुआ है. इसमें गजब की संभावना है, लेकिन देश में लोकप्रिय होने में इसे 10 साल और लगेगा, क्योंकि यहां मानक तय नहीं हुए हैं.’
इसका उपयोग अभी अलग-अलग रूपों में कुछ अफ्रीकी देशों, ब्राजील, बोलीविया, कोस्टारिका और सिंगापुर में हो रहा है. भारत में वोडाफोन और भारती एयरटेल का अपना अलग-अलग मोबाइल वॉलेट प्लेटफॉर्म है. वोडाफोन इंडिया के प्लेटफॉर्म 'एम-पेसा' के प्रमुख सुरेश सेठी ने कहा, ‘यह उद्योग अभी शैशवावस्था में है. लेकिन देश में मोबाइल उभोक्ताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए कहा जा सकता है कि खर्च, सुविधा और रफ्तार के नजरिए से यह खेल का परिदृश्य बदलने की क्षमता रखता है.’
भारती एयरटेल के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘ग्रामीण क्षेत्रों में एक बैंक खाता खोलना या बैंक की एक शाखा खोज पाना कभी-कभी कठिन होता है, लेकिन मोबाइल पर 'एयरटेल मनी' (भारती एयरटेल का मोबाइल वॉलेट प्लेटफॉर्म) की स़ुविधा लेना काफी आसान है.’