वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने देश में दो-तीन बड़े विश्वस्तरीय बैंकों की आवश्यकता बताते हुये शनिवार को कहा कि इसके लिये बैंकिंग क्षेत्र में थोड़ा बहुत विलय और एकीकरण जरूरी है.
चिदंबरम ने बैंकिंग क्षेत्र पर आयोजित सम्मेलन बैनकॉन-2012 में कहा, ‘नये व्यावसायिक माहौल में कामकाज करने के लिये कुछ एकीकरण जरूरी है. हमें इस तरह के सुदृढ़ीकरण अथवा एकीकरण से डरना नहीं चाहिए. मुझे पता है कि यहां गौरव और पहचान का सवाल है लेकिन आखिरकार इस देश की बैंकिंग प्रणाली में थोड़ बहुत विलय और एकीकरण तो होना है.’
उन्होंने कहा, ‘हमें कम से कम दो-तीन वैश्विक आकार के बैंक बनाने होंगे. चीन ने ऐसा किया है, और यदि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना चाहता और यह होगी भी तो, तो हमारे पास कम से कम दो वैश्विक आकार के बैंक होने चाहिए और बैंकों में थोड़े बहुत समेकन, एकीकरण को टाला नहीं जा सकता.’ चिदंबरम ने कहा कि जब बड़े बैंकों के बीच विलय, एकीकरण होता है तब वहां स्थानीय क्षेत्र बैंकों के लिये भी अवसर बनता है. उन्होंने कहा, ‘दरअसल मुझे अफसोस है कि 1996 में शुरू हुई स्थानीय क्षेत्र बैंक की पहल पहले तीन लाइसेंस देने के बाद बंद हो गई. मुझे लगता है कि स्थानीय क्षेत्र बैंकों के पास स्थानीय लोगों की सेवा का मौका है और उन्हीं से उन्हें मजबूती भी मिलेगी.’
देश में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने पांच सहयोगी बैंकों के साथ विलय के लिए मंजूरी हासिल की है. इसने अपनी दो सहयोगी बैंकों को पहले ही अपने साथ मिला लिया है. एसबीआई ने अपने सहयोगी स्टेट बैंक आफ सौराष्ट्र का 2008 में विलय कर लिया था. इसके अलावा 2010 में स्टेट बैंक आफ इंदौर का भी विलय हो गया था. फिलहाल एसबीआई के पांच सहयोगी बैंक हैं. उनमें दो- स्टेट बैंक आफ पटियाला और स्टेट बैंक आफ हैदराबाद पूर्ण स्वामित्व वाले हैं जबकि शेष तीन- स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक आफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक आफ बिकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे) 100 फीसद स्वामित्व वाले नहीं है और शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं. इस बीच वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बड़े सरकारी बैंकों से कहा है कि छोटे बैंकों की कामकाज में मदद करें.
मंत्रालय ने बैंकों को सात हिस्सों में बांटा है और हर समूह के लिए एक बड़े बैंक को संयोजक नियुक्त किया गया है ताकि आंतरिक नीतियों और प्रक्रियाओं को बेहतर किया जा सके. बैंकों से कहा गया है कि वे लगातार बातचीत करें और मानव संसाधन, ई-गवर्नेंस, आंतरिक लेखा परीक्षण, भ्रष्टाचार की पहचान और रोक, सुधार, परिसंपत्ति और देनदारी असंतुलन आदि पर मिल कर काम करें.
नए कारोबारी मॉडल के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘यहां एक नियामक है और वित्तीय सेवा विभाग, दोनों की वजह से हो सकता है बैंक का न चाहते हुये भी एकरूपता पर जोर रहता है.’ उन्होंने कहा, ‘मैं समान कार्यशैली के खिलाफ हूं. मुझे नहीं लगता कि एक बैंक को दूसरे बैंक के ही हूबहू होना चाहिए. यदि देश में 19 (राष्ट्रीयकृत बैंक) एक जैसे बैंक हों तो बड़ी मुश्किल स्थिति होगी.’ उन्होंने हर बैंक के अध्यक्ष से कहा कि वह अन्य बैंकों से कुछ हटकर हों, उनमें विविधता हो, उनके प्रतिरूप न हों. वित्त मंत्री ने बैंकों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और निदेशक मंडल को आश्वस्त किया कि सरकार उन्हें नए कारोबारी मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको सरकार की तरफ से आश्वस्त करता हूं कि वित्त सेवा विभाग बैंकों पर एकरूपता लादने की कोशिश नहीं करेगा. और आश्वस्त करता हूं कि जब तक मैं वित्त मंत्री रहा, हर बैंक के निदेशक मंडल को नए तरीके, अलग मॉडल और अलग रास्ते अपनाने की अनुमति होगी.’