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राजस्व सचिव:रिटेल कारोबारियों को हर महीने एक ही बार फाइल करना होगा जीएसटी रिटर्न

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि, करदाताओं को हर महीने तीन बार रिटर्न फाइल करना होगा, यह धारणा बेबुनियाद है. साथ ही खुदरा कारोबारियों को हर महीने रसीद विवरण देने की जरुरत नहीं है

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रिटेल कारोबारियों को महीने में एक बार फाइल करना होगा रिटर्न
रिटेल कारोबारियों को महीने में एक बार फाइल करना होगा रिटर्न

1 जुलाई से जीएसटी व्यवस्था पूरे देश में लागू होने जा रही है. इसी बीच सरकार ने यह धारणा दूर करने की कोशिश की है, कि नई कर व्यवस्था बहुत जटिल है. उन्होंने कहा कि रिटेल कारोबारियों को महीने में एक ही रिटर्न फाइल करने की जरूरत है, जैसे वे इन दिनों कर रहे हैं.

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि, करदाताओं को हर महीने तीन बार रिटर्न फाइल करना होगा, यह धारणा बेबुनियाद है. साथ ही खुदरा कारोबारियों को हर महीने रसीद विवरण देने की जरुरत नहीं है. उन्होंने कहा, कि करीब 80 फीसदी कारोबारियों को रिटर्न में बस कुल कारोबार का ब्योरा देना होगा क्योंकि वे रिटेल कारोबारी हैं. उन्होंने कहा कि रिटर्न फाइलिंग बड़ा आसान है लोगों को फाइलिंग प्रक्रिया को लेकर चिंता करने की जरुरत नहीं है. यह बहुत पारदर्शी है और मशीन से होती है.

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बता दें कि वित्त मंत्रालय ने यह भी साफ कर दिया है, कि जीएसटी के लागू होने के बाद अगर कोई कंपनी या फर्म अपने ग्राहकों को टैक्स छूट का फायदा नहीं तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.

राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित करने का दिया प्रस्ताव
मुनाफाखोर कंपनियों पर नजर रखने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण गठित करने का प्रस्ताव दिया है. कोई भी कंपनी मुनाफाखोरी में लिप्त पाई जाने वाली किसी फर्म या इकाई का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार होगा. नए नियमों के हिसाब से अगर कोई कंपनी या फर्म जीएसटी के तहत निम्न करों का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं देता, तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है. साथ ही नई टैक्स सिस्टम के तहत यह अथॉरिटी कराधान में कमी को देखते हुए कीमत घटाने का आदेश दे सकता है.

बता दें कि इस अथॉरिटी के प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी होंगे. इस अथॉरिटी के तहत कम टैक्स का फायदा ग्राहकों को नहीं देने वाले किसी कारोबारी को इस वजह से मिलने वाले गैर-वाजिब मुनाफे को 18 पर्सेंट के इंट्रेस्ट के साथ लौटाने के लिए मजबूर करने की शक्ति होगी. अथॉरिटी ग्राहकों को कीमतों में कमी कर टैक्स का फायदा देने को तय करने के तरीके पर खुद फैसला करेगी.

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