इलेक्टोरल बॉन्ड से मिलने वाले चंदे को लेकर मोदी सरकार पर विपक्ष का हमला तेज हो गया है. कांग्रेस ने मांग की है बीजेपी इलेक्टोरल (चुनावी) बॉन्ड से मिले समूचे चंदे का खुलासा करे. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने इस तरह से मिलने वाले चंदे के मामूली हिस्से की जानकारी ही चुनाव आयोग को दी है. गौरतलब है कि आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि रिजर्व बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने को लेकर मोदी सरकार को चेतावनी दी थी.
RBI के लेटर में क्या थी चेतावनी
मोदी सरकार द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने के लिए बिल लाने से कुछ दिनों पहले ही रिजर्व बैंक ने एक लेटर भेजकर सरकार को इसके खिलाफ चेताया था. रिजर्व बैंक ने सरकार से कहा था कि इलेक्टोरल ट्रस्ट के द्वारा चंदा लेने के मौजूदा सिस्टम को बदलने की जरूरत नहीं है. आरटीआई से हासिल दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ है कि रिजर्व बैंक ने यह चेतावनी दी थी कि इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं.
रिजर्व बैंक ने कहा था कि इस तरह के साधन जारी करने वाले अथॉरिटी को प्रभाव में लिया जा सकता है. इसकी वजह से इसमें पारदर्शिता पूरी तरह से नहीं रखी जा सकती. यह मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को कमजोर करेगा. यह अंतरराष्ट्रीय चलन के भी खिलाफ है.
सरकार ने क्या कहा था
लेकिन सरकार ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया था और इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ी थी. तत्कालीन राजस्व सचिव ने रिजर्व बैंक को लिखे जवाब में कहा था कि इस प्रीपेड साधन को भुनाने के लिए एक समय सीमा होगी और इसको राजनीतिक पार्टी के रजिस्टर्ड खाते में ही भुनाया जा सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल करेंसी की तरह नहीं हो सकता.
कांग्रेस सांसद राजीव गौड़ा ने आरोप लगाया कि इस मामले में रिजर्व बैंक को जानकारी अंतिम समय में दी गई और ऐसा लगता है कि सरकार इतने महत्वपूर्ण मसले पर रिजर्व बैंक से मशविरा ही नहीं करना चाहती थी.
कब जारी हुआ था इलेक्टोरल बॉन्ड
चुनावी फंडिंग व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की है. सरकार ने इस दावे के साथ साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के द्वारा लाए गए थे.
अभी तक के हासिल आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 तक कुल 12313 इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए गए हैं जिनके द्वारा राजनीतिक दलों को 6128 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.