वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलार को कहा कि सूक्ष्म-वित्त संसानों के नियमन के संबंध में प्रस्तावित विधेयक के परित हो जाने से इस क्षेत्र के विकास और नियमन के लिए एक समुचित कानूनी ढांचा उपलब्ध होगा.
सूक्ष्म वित्त संस्थान (विकास और नियमक) विधेयक 2012 इस समय संसद की स्थायी समिति के विचाराधीन है. वित्तमंत्री ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि स्थाई समिति जल्दी ही इस विधेयक पर अपनी सहमति जता देगी जिसके बाद इसे संसद में पेश किया जाएगा.' उन्होंने यहां आयोजित माइक्रोफिनांसइंडिया सम्मेलन 2012 में कहा 'मुझे उम्मीद है कि विधेयक पारित होने पर सूक्ष्म-वित्त सेवा क्षेत्र के विकास और नियमन के लिए पर्याप्त कानूनी ढांचा मिल जाएगा.'
इस विधेयक में सूक्ष्म रिण का कारोबार करने वाली संस्थाओं पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को विनियामकीय नियंत्रण और सूक्षम रिण पर ब्याज दर की सीमा तय करने का अधिकार देने का प्रावधान प्रस्तावित है. आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों में सूक्ष्म वित्त संस्थानों के कर्जधारकों के साथ जोर जबरदस्ती आदि की शिकायतों के बाद इस क्षेत्र के विनियमन के लिए यह विधेयक तैयार किया गया है.
इसमें इन संस्थानों का आरबीआई के साथ पंजीकरण अनिवार्य बनाये जाने का प्रस्ताव है. वित्तीय समावेश में सूक्ष्म वित्त संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा 'सूक्ष्म वित्त संस्थानों को पारदर्शी व जिम्मेदार तरीके से रिण देने, इज्जत से रिण की वसूली तथा ब्याज दरों को उचित स्तर पर रखने के नियमों का पालन करना चाहिए.'
चिदंबरम ने इन संस्थानों से कहा कि वे कर्जदारों से जुड़ी जानकारी की जांच रिण ब्यूरो के जरिए ले कर आगे बढें ताकि एक साथ कई संस्थाओं से कर्ज लेने या क्षमता से अधिक कर्ज उठाने वालों के कारण होने वाली समस्या से बचा जा सके. उन्होंने कहा 'मैं सूक्ष्म वित्त क्षेत्र से आग्रह करुंगा कि वे जनता की और खास तौर पर आचार संहिता से जुड़ी उम्मीदों पर खरे उतरें.आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा पारित एक कानून के मद्देनजर सूक्ष्म वित्त क्षेत्र नियामकीय जांच के घेरे में आया.