scorecardresearch
 

बजट 2020: देश के 22 से 25 राज्यों में बढ़ गई गरीबी, भुखमरी, क्या करेंगी वित्त मंत्री?

नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 22 से 25 राज्यों में गरीबी, भुखमरी और असमानता बढ़ गई है. यह बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनाैती है.

Advertisement
X
वित्त मंत्री के सामने कई चुनौतियां
वित्त मंत्री के सामने कई चुनौतियां

  • देश के 22 से 25 राज्यों में गरीबी, भुखमरी और असमानता बढ़ गई है
  • नीति आयोग की साल 2019 की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है
  • ऐसे में बजट पेश करने जा रहीं वित्त मंत्री के सामने एक चुनौती है
  • इसके पहले दस साल में गरीबों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई थी

देश के 22 से 25 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में गरीबी, भुखमरी और असमानता बढ़ गई है. नीति आयोग की 2019 की एसडीजी इंडिया रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. यह बात इस वजह से हैरान करने वाली है कि इसके पहले 2005-06 से  2015-16 के दस साल में गरीबों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई थी.

यह रिपोर्ट 2020-21 के बजट से एक महीने पहले ही जारी हुआ है. ऐसे में यह देखना होगा कि वित्त मंत्री बजट में इन समस्याओं के समाधान के लिए क्या प्रयास करती हैं.

Advertisement

साल 2018 के बाद बढ़ी गरीबी

दिसंबर, 2018 में नीति आयोग ने एक बेसलाइन एसडीजी इंडेक्स जारी किया था (बेसलाइन रिपोर्ट 2018) इसमें इस बात का आकलन किया गया था कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में तय 17 सहस्त्राब्दि लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में भारत ने कितनी प्रगति की है.

इसमें 100 अंक हासिल करने वाले राज्य को ‘अचीवर’, 65-100 हासिल करने वाले को ‘फ्रंट रनर’, 50-65 हासिल करने वाले को ‘परफॉर्मर’ और 50 से कम हासिल करने वाले को ‘एस्पि रेंट’ बताया गया है. इसमें 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन किया गया.

नीति आयोग के अनुसार एसडीजी के लक्ष्य 1 यानी गरीबी खत्म करने के मामले में 2018 के 54 अंकों की तुलना में 2019 में 50 अंक ही रह गए हैं. नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2018 की तुलना में 2019 में 22 राज्यों एवं केंद्रशासि‍त प्रदेशों में गरीबी बढ़ी है. गरीबी बढ़ने वाले प्रमुख राज्यों में बिहार, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, असम और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

poverty-1_011020101400.jpg

केवल दो राज्यों आंध्र प्रदेश और सिक्किम में गरीबी में कमी आई है. चार राज्यों- मेघालय, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र में हालात में कोई बदलाव नहीं आया है.

भूखे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ी

Advertisement

नीति आयोग  के अनुसार साल 2018 की तुलना में 2019 में शून्य भूख के एसडीजी गोल के मामले में अंक 48 से घटकर 35 रह गए हैं. 24 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में भूखे लोगों की संख्या बढ़ी है. जिन राज्यों में भूखे लोगों की संख्या बढ़ी है उनमें छत्तीसगढ़, मध्यम प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश प्रमुख हैं. केवल 4 राज्यों मिजोरम, केरल, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भूखे रहने वाले लोगों की संख्या में गिरावट आई है.

hunger-1_011020101425.jpg

आय की असमानता भी बढ़ी

एसडीजी के गोल 10 यानी असमानता घटाने के मामले में भी यही हाल रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर आय असमानता सूचकांक में 7 अंक की गिरावट आई है यानी असमानता बढ़ी है. 25 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में असमानता बढ़ी है. असमानता कम करने के मामले में सिर्फ तीन राज्य केरल, कनार्टक और उत्तर प्रदेश सफल रहे हैं.

ग्लोबल मल्टी डायमेंशनल पवर्टी इंडेक्स (MPI) 2018 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-16 में सिर्फ चार सबसे गरीब राज्यों- बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 19.6 करोड़ गरीब (MPI) लोग थे, जो देश की कुल गरीबों की संख्या का आधा है. सबसे ज्यादा गरीब लोगों में परंपरागत वंचित समूह जैसे गांव में रहने वाले, दलित-पिछड़ी जातियों, आदिवासी, मुस्लिम, बच्चे आदि शामिल हैं.

Advertisement

equality-1_011020101455.jpg

दिलचस्प यह है कि नीति आयोग ने गरीबी, असमानता पर रिपोर्ट तो जारी कर दी है, लेकिन इसे दूर करने के लिए सरकार को किसी तरह के सुझाव नहीं दिए हैं. इसलिए अब सारा दारोमदार सरकार पर है. इसलिए इस बार का बजट इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा.

Advertisement
Advertisement