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बजट में महिला, किसान, जवान, किसे क्या मिलेगा? सबकी नजर

डिजिटल इंडिया में लेन-देन की बढ़ती असुरक्षा ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. बढ़ते ब्रैंक फ्रॉड और डिजिटल धोखाधड़ी सरकार की बड़ी समस्या है. अब मोदीराज 2.0 है और नए कार्यकाल के पहले बजट पर इस बात पर नजर रहेगी कि कैशलेस इकोनॉमी के जरिए डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के साथ-साथ सुरक्षित बनाने के लिए क्या नई घोषणाएं होती हैं.

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बजट से हर तबके को बड़ी आस ( फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)
बजट से हर तबके को बड़ी आस ( फोटो- इंडिया टुडे आर्काइव)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट से हर किसी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बड़ी आस है कि बजट में उनके हिसाब से काफी कुछ होगा. लोगों को उम्मीद है कि कुछ नई योजनाओं का ऐलान होगा. हालांकि देश में किसानों की स्थिति, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, डिजिटल इंडिया आदि कई चीजों में बड़े सुधार की गुंजाइश और बदलाव की आस है. जानते हैं उन 5 बड़ी चीजों के बारे में जिस पर हर किसी को है बड़ी उम्मीदें...

1. बेरोजगारी पर प्रभावशाली कदम की आस

लंबे समय से भारत में बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर बहस छिड़ी हुई है. पिछले दिनों केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल के उच्‍चतम स्‍तर पर है. सीएसओ की रिपोर्ट को पहले सरकार ने स्‍वीकार किया लेकिन बाद में श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने इन आंकड़ों को भ्रामक बताया.

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संतोष गंगवार ने संसद में बताया कि प्रधानमंत्री की रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) की वजह से 31 मार्च 2019 तक 5,86,728 रोजगार दिए गए जबकि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत 31 मार्च तक 18.26 करोड़ रुपए के लोन बांटे गए हैं. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े कहते हैं कि रोजगार की चाहत रखने वाले 7.8 फीसदी युवा शहरी और 5.3 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार हैं.

आंकड़ों के इतर बजट से उम्मीद रहेगी कि इस तरह की व्यवस्था की जाए जिससे देश में रोजगार के साधन बढ़े और बेरोजगारी की दर कम हो. बड़ी संख्या में सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरी निकले तथा लोगों को रोजगार मिले. इसके अलावा बजट में इस तरह की भी सुविधाएं और प्रोत्साहन दिए जाएं कि मुद्रा लोन और स्टार्ट-अप के जरिए लोग काम करने को उत्साहित हों.

2. महिलाओं को क्या देंगी महिला वित्त मंत्री

पहली बार कोई महिला बतौर पूर्णकालिक वित्त मंत्री अपना बजट पेश करने जा रही है. निर्मला सीतारमण से पहले इंदिरा गांधी ने 1970 में बजट पेश किया था, लेकिन वह कार्यवाहक वित्त मंत्री थीं. महिला वित्त मंत्री के रूप में देश की आधी आबादी को इस बजट से खास उम्मीदें हैं. लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट में भी महिलाओं को लेकर बड़े अनुदान दिए जाने का ऐलान किया गया. महिला और बाल विकास मंत्रालय का आवंटन 20 फीसदी बढ़ाकर 29,000 करोड़ रुपए कर दिया गया. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के लिए 1,200 करोड़ से दोगुना कर 2,500 करोड़ रुपए तक का आवंटन कर दिया गया. साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की 70 फीसदी लाभार्थी महिलाएं हैं.

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पिछले बजट में महिलाओं की समूची योजनाओं में आवंटन 4 फीसदी बढ़ाते हुए 1.21 लाख करोड़ रुपए तक कर दिया था. साथ ही महिला कर्मचारी के शुरुआती 3 साल में ईपीएफ योगदान को 12 से घटाकर 8 फीसदी कर दिया गया. इस 4 फीसदी के अंतर का भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है जो आगे भी जारी रह सकती है. इसके अलावा कामकाजी महिलाओं को 80सी के तहत मिलने वाली आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है. वहीं क्रेच सेंटर आदि में बच्चों के केयर सुविधा पर खर्च होने वाली रकम से टैक्स में छूट मिल सकती है. गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना जैसी कई योजनाओं के जरिए फायदा दिया जा सकता है.

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली अनुदार राशि में वृद्धि हो सकती है. फिलहाल सरकार की ओर से अभी 6 हजार रुपए दिए जाते हैं. वहीं महिलाओं की सुरक्षा (सार्वजनिक स्थल और सार्वजनिक परिवहन में सीसीटीवी कैमरे लगाने और महिला पुलिस बल बढ़ाने संबंधी आदि) पर नई घोषणा हो सकती है.

3. डिजिटल धोखाधड़ी पर कैसे लगेगी लगाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में डिजिटल इंडिया का नारा दिया था और इसके प्रोत्साहन के लिए लगातार कई अभियान भी चलाए गए. प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में नोटबंदी के ऐलान के दौरान कैशलेस ट्रांजेक्‍शन पर जोर देना शुरू किया, लगातार प्रयास के बाद भी उम्‍मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली.

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मोदी के डिजिटल इंडिया के नारे के बाद ई-वॉलेट या डिजिटल पेमेंट मोड के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है, हालांकि नकद भुगतान भी जारी है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर 2016 में 108.7 लाख करोड़ के डिजिटल लेनदेन हुए जो अगस्त 2018 में में बढ़कर 204.86 लाख करोड़ रुपए (88% की बढ़ोतरी) हो गया. ग्रामीण अंचलों में डिजिटल पेमेंट अभी शुरुआती मोड में है. मोदी सरकार का लक्ष्य 5 सालों में 1 लाख गांवों को डिजिटल करना है.

डिजिटल इंडिया में लेन-देन की बढ़ती असुरक्षा ने लोगों को चिंता में डाल दिया है. बढ़ते ब्रैंक फ्रॉड और डिजिटल धोखाधड़ी सरकार की बड़ी समस्या है. अब मोदीराज 2.0 है और नए कार्यकाल के पहले बजट पर इस बात पर नजर रहेगी कि कैशलेस इकोनॉमी के जरिए डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के साथ-साथ सुरक्षित बनाने के लिए क्या नई घोषणाएं होती हैं.

4. किसानों के लिए क्या होगा खास

नरेंद्र मोदी शुरू से ही किसानों की आय बढ़ाने की बात करते रहे हैं. अब मोदीराज पार्ट 2 में भी किसानों को मोदी सरकार से बड़ी आस है. मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा हुआ है. पिछले बजट में कृषि प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1,400 करोड़ और कृषि बाजार के विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. इसके अलावा खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को 1.5 गुना बढ़ा दिया गया.

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इस साल अंतरिम बजट में सरकार ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान योजना या प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना की घोषणा की थी. मई में दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में ही सरकार ने किसानों के लिए पेंशन को मंजूरी देते हुए शुरुआती 3 साल में 5 करोड़ किसानों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य रखने का ऐलान किया. योजना के तहत 60 साल से ऊपर के किसानों को 3 हजार रुपए पेंशन दिया जाएगा. अब नए बजट में किसानों की स्थिति और बेहतर आय के लिए नई योजनाओं पर सभी की नजर होगी.

5. क्या टैक्स स्लैब में होगा बदलाव

हर बजट में चुनिंदा मुद्दों में यह भी शामिल होता है कि इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव किया जा रहा है या नहीं. मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट में आयकर छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी थी. हालांकि इसके तहत 5 लाख से ज्यादा आय वाले लोगों को इससे फायदा नहीं हुआ क्योंकि सरकार ने टैक्स स्लैब में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया था. तब अंतरिम बजट पेश करते हुए पीयूष गोयल ने कहा था कि 5 लाख से ज्यादा आय वाले लोगों को टैक्स में राहत दिए जाने पर पूर्ण बजट में फैसला लिया जाएगा.

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अंतरिम बजट में ऐलान के अनुसार नौकरीपेशा लोगों में 5 लाख तक की कमाई करने वाले लोगों का टैक्स फ्री कर दिया गया था. हालांकि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया जिस कारण 5 लाख से ज्यादा कमाई वाले लोगों के लिए राहत ढाई लाख तक की ही थी, लेकिन जिनकी सलाना आय 5 लाख से नीचे है उनके लिए राहत 5 लाख रुपए तक है. वर्तमान स्लैब के अनुसार ढाई से 5 तक लाख रुपए तक की कमाई पर 5% आयकर देना पड़ता था. जिनका आमदनी 5 लाख से ज्यादा है, उन्हें पुराने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना ही पड़ेगा.

अब नए बजट में मध्यम वर्ग के लोगों की नजर इस पर रहेगी कि सरकार ने फरवरी में जो काम अधूरा छोड़ा था वो अब पूरा कर रही है या नहीं.

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