भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लोन लेकर ब्रिटेन फरार कारोबारी विजय माल्या साल 2017 में करीब 1.78 करोड़ पाउंड (करीब 170 करोड़ रुपये) की मोटी रकम एक स्विस बैंक में ट्रांसफर करने में सफल हुआ था. उसकी कोशिश पर ब्रिटेन सरकार ने लाल झंडी दिखाई थी, हालांकि भारतीय बैंकों द्वारा कार्रवाई में प्रक्रियागत देरी की वजह से उसे रोका नहीं जा सका.
हाल में यह खबर आई थी कि साल 2015 में सीबीआई ने विजय माल्या के खिलाफ लुकआउट नोटिस को बदल दिया था और हवाई अड्डों पर उसे हिरासत में लेने की जगह सिर्फ उसकी यात्रा की जानकारी देने को कहा गया था. इसके कुछ दिनों बाद ही विजय माल्या देश से फरार हो गया था.
जानकारी मिलने पर भी रोका नहीं जा सका
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इसके बाद जून 2017 में लंदन स्थित ब्रिटिश प्रशासन ने 1.78 करोड़ पाउंड (करीब 170 करोड़ रुपये) की रकम ट्रांसफर करने की माल्या की कोशिश को लाल झंडी दिखा दी थी. अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यूके फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (UKFIU) ने साल 2017 में इसकी जानकारी भारतीय जांच एजेंसियों को भी दी थी.
सूत्रों के अनुसार, इसके बाद भारतीय एजेंसियों ने सक्रियता जरूर दिखाई, लेकिन भारतीय बैंक इस मामले में प्रक्रियागत कार्रवाई करने के लिए ज्यादा समय मांग रहे थे जिसकी वजह से इस ट्रांसफर को रोका नहीं जा सका. हालांकि, इससे माल्या के ब्रिटेन में मौजूर संपत्ति को फ्रीज करने में जरूर मदद मिली, क्योंकि इसके बाद भारतीय बैंकों के कसोर्शियम ने मिलकर ब्रिटेन सरकार से निवेदन किया था कि माल्या की ब्रिटेन में स्थित संपत्ति को फ्रीज किया जाए.
UKFIU ने माल्या के बैंक ट्रांसफर को संदिग्ध गतिविधि की सूची में डाल दिया था और इसकी जानकारी नई दिल्ली में सीबीआई और ईडी को दी थी. भारतीय बैंकों द्वारा समय लगाने की वजह से माल्या के ट्रांसफर को रोका तो नहीं जा सका, लेकिन ब्रिटेन में स्थित उसकी संपत्ति को फ्रीज करने के लिए एक वैश्विक ऑर्डर (WFO) नवंबर 2017 में जारी हो गया. इस तरह ब्रिटेन में स्थित संपत्ति से माल्या का नियंत्रण खत्म हो गया.
यूके की कोर्ट को यह पता चला कि फरवरी, 2016 में माल्या ने डियाजियो से मिली 4 करोड़ डॉलर (करीब 290 करोड़ रुपये) की राशि को टुकड़े-टुकड़े में उन ट्रस्ट के बैंक अकाउंट में डाल दिया था, जिसके लाभार्थी उसके बच्चे हैं.