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बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने मैगी पर लगे बैन को हटाया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने नेस्ले को मैगी मामले में बड़ी राहत देते हुए गुरुवार को FSSAI द्वारा लगे प्रतिबंध को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने नेस्ले को मैगी के प्रोडक्शन को शुरू करने के लिए कहा है. हालांकि कोर्ट के आदेश के मुताबिक निर्मित की जा रही मैगी का एक बार फिर टेस्ट किया जाएगा.

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बॉम्बे हाई कोर्ट ने नेस्ले को मैगी मामले में बड़ी राहत देते हुए गुरुवार को FSSAI द्वारा लगे प्रतिबंध को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने नेस्ले को मैगी के प्रोडक्शन को शुरू करने के लिए कहा है. हालांकि कोर्ट के आदेश के मुताबिक निर्मित की जा रही मैगी का एक बार फिर टेस्ट किया जाएगा. टेस्ट में लेड की मौजूदगी मानकों के आधार पर रही तो नेस्ले अपने प्रोडक्ट को वापस बाजार में ला सकती है.

इससे पहले अमेरिका में हेल्थ रेग्यूलेटर यूएसएफडीए ने अपने परीक्षण में पाया था कि मैगी में लेड की मात्रा दिए हुए मानकों पर आधारित है लिहाजा वह अमेरिका में उप्भोक्ताओं के लिए उप्युक्त है.

कंज्यूमर कोर्ट में आज होनी है सुनवाई
केंद्र सरकार द्वारा मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया पर किए गए मुकदमे की सुनवाई भी आज होगी. केंद्र सरकार ने नेस्ले इंडिया पर मुकदमा दायर करते हुए आरोप लगाया है कि कंपनी ने अनुचित व्यापारिक तौर-तरीके अपनाए, उपभोक्ताओं को खराब सामान बेचे और बगैर मंजूरी के मैगी ओट्स नूडल बेचे.

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक, उसके उपभोक्ता कार्य विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 (1) (डी) के अंतर्गत किया है.

क्या है मैगी के खिलाफ शिकायत
बयान के मुताबिक, विभाग ने देश में बड़ी संख्या में मैगी के उपभोक्ताओं की ओर से व्यापार के अनुचित तौर-तरीके अपनाने, खराब सामान बेचने और बिना उचित मंजूरी के मैगी ओट्स नूडल्स बेचने के आधार पर नेस्ले इंडिया पर मुकदमा दर्ज कराया है.

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शिकायतकर्ता ने कहा कि कंपनी 284,55,00,000 रुपये (284 करोड़ 55 लाख रुपए) की राशि देने के लिए उत्तरदायी है. इसके साथ ही सरकार ने कंपनी से 355,40,70,000 रुपये (355 करोड़ 40 लाख 70 हजार रुपए मात्र) की राशि घोर लापरवाही, उदासीनता और बेरुखी के लिए दंडात्मक जुर्माने के रूप में चुकाने की मांग की है. इस प्रकार कंपनी पर सरकार ने 639,95,70,000 रुपये (639 करोड़ 95 लाख और 70 हजार रुपए) का कुल दावा किया है.

नेस्ले के प्रवक्ता का कहना है कि, "इस शिकायत की आधिकारिक तौर पर सूचना नहीं मिली है. आधिकारिक सूचना मिलने और अपने कानूनी टीम से राय लेने के बाद हम इस बारे में जवाब दे पाएंगे." सरकार ने यह मुकदमा देश के समस्त उपभोक्ताओं की ओर से किया है.

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