सरकार ने दूरसंचार स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए न्यूनतम मूल्य 14,000 रुपये तय किया है. इच्छुक कंपनियों को बोली इसके उपर ही लगानी होगी. उच्चतम न्यायालय के 2 फरवरी के आदेश से रद्द हुए 2जी मोबाइल सेवाओं के 122 लाइसेंसों से खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी सरकार को करनी है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में स्पेक्ट्रम का न्यूनतम मूल्य अधिकार प्राप्त मंत्री समूह द्वारा सुझाए गए मूल्य दायरे के निचले स्तर पर रखने का फैसला किया गया.
अधिकार प्राप्त मंत्री समूह ने 5 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए आरक्षित मूल्य 14,000 से 15,000 करोड़ रुपये तक रखने का सुझाव दिया था. वहीं दूरसंचार क्षेत्र के नियामक ट्राई ने स्पेक्ट्रम कीमत 18,000 करोड़ रुपये रखने की सिफारिश की थी.
सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह की सिफारिश के अनुसार कंपनियों की आय के विभिन्न स्तरों पर स्पेक्ट्रम के उपयोग के लिए वाषिर्क शुल्क 3 से 8 प्रतिशत के बीच रखे जाने की मंजूरी दी है.
उच्चतम न्यायालय ने सरकार को खाली हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी 31 अगस्त तक पूरी करने का निर्देश दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि सरकार इस समयसीमा को पूरा नहीं कर पाएगी. ऐसे में वह और समय के लिए उच्चतम न्यायालय से संपर्क करेगी. सरकार द्वारा तय स्पेक्ट्रम का न्यूनतम मूल्य दूरसंचार उद्योग के लिए एक झटका है.
दूरसंचार उद्योग ने सरकार से ट्राई द्वारा सुझाए गए मूल्य में 80 फीसदी की कटौती की मांग की थी. उद्योग का कहना है कि यदि ऐसा नहीं होता है, तो मोबाइल फोन की कॉल दरों में 100 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा. यह नीलामी यूनिनॉर तथा सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, जिनके पास अपनी सेवाएं देने के लिए 7 सितंबर तक का समय है. यदि ये कंपनियां लाइसेंस पाने में विफल रहती हैं, तो उन्हें अपना परिचालन बंद करना पड़ेगा.