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6,000 करोड़ की टाउनशिप से बदलेगा यूपी! छोटे शहरों में भी मिलेगी मेट्रो वाली जिंदगी

जिन शहरों को इस योजना के लिए चुना गया है, उनमें अलीगढ़, मेरठ, झांसी, मथुरा, आगरा, मुरादाबाद, कानपुर, फ़िरोज़ाबाद, बुलंदशहर, बांदा, अयोध्या, रामपुर और सहारनपुर जैसे शहर शामिल हैं.

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यूपी सरकार की ₹6,000 करोड़ की टाउनशिप योजना(Photo-ITG)
यूपी सरकार की ₹6,000 करोड़ की टाउनशिप योजना(Photo-ITG)

उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली से पहले कई शहरों में ग्रीनफ़ील्ड टाउनशिप स्कीम को तेजी से लागू करने का आदेश दिया है. इस पहल का मुख्य उद्देश्य न सिर्फ रियल एस्टेट बाज़ार को गति देना है, बल्कि आम लोगों के लिए बेहतर और नियोजित आवास विकल्प उपलब्ध कराना भी है. कुल 30 टाउनशिप योजनाओं के लिए ₹6,000 करोड़ से ज़्यादा की राशि मंज़ूर की गई है. सरकार का यह कदम राज्य के उन छोटे और मध्यम शहरों पर केंद्रित है, जहां अब तक बड़े पैमाने पर विकास नहीं पहुंचा था.

यह एक महत्वाकांक्षी योजना है जो नए सिरे से (ग्रीनफ़ील्ड) शहरों के बाहरी हिस्सों में पूरी तरह से नियोजित आवासीय टाउनशिप विकसित करेगी. यह पारंपरिक, अव्यवस्थित शहरीकरण की जगह एक व्यवस्थित और आधुनिक विकास मॉडल पर आधारित है.


इस योजना में सरकार एक खास वित्तीय मॉडल का पालन कर रही है. ज़मीन खरीदने की कुल लागत का 50% हिस्सा राज्य सरकार देगी. यह राशि संबंधित विकास प्राधिकरणों को 20 सालों की लंबी अवधि में सरकार को लौटानी होगी. इस मॉडल का फायदा यह है कि विकास प्राधिकरणों पर एक बार में पूरा वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, जिससे वे काम को तेज़ी से और बिना किसी रुकावट के पूरा कर सकेंगे.

आम लोगों को क्या फायदा होगा?

इस योजना को आम नागरिकों के लिए कई बड़े फायदे लाने वाला बताया जा रहा है, जो केवल घर तक ही सीमित नहीं हैं. टाउनशिप्स में योजनाबद्ध तरीके से घर बनाए जाएंगे, जिससे घरों की कीमत नियंत्रण में रहेगी. मध्यम और निम्न-आय वर्ग के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले और किफायती आवास विकल्प उपलब्ध होंगे. शहरों के मुख्य इलाकों से दूर होने के कारण ज़मीन की लागत कम होगी, जिसका सीधा फायदा घर खरीदने वालों को मिलेगा.

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इन टाउनशिप्स के निर्माण से बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा होने की संभावना है. निर्माण क्षेत्र के अलावा, सीमेंट, स्टील और अन्य सहायक उद्योगों में भी काम बढ़ेगा. एक बार टाउनशिप बस जाने के बाद, यहां दुकानें, स्कूल, अस्पताल और अन्य सेवाएं स्थापित होंगी, जिससे और भी लोगों को नौकरी मिलेगी.

यह योजना शहरी प्रदूषण और भीड़ जैसी समस्याओं को भी कम करने में मदद कर सकती है, क्योंकि यह आबादी को व्यवस्थित तरीके से बसाएगी. यह योजना केवल लखनऊ या कानपुर जैसे बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अलीगढ़, मेरठ, झांसी, मथुरा, मुरादाबाद, अयोध्या, और सहारनपुर जैसे 13 शहरों को कवर कर रही है.

 

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