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बजट की तैयारी में जुटे निर्मला के सिपहसालार, जानें इन 7 धुरंधरों को

बजट की तैयारी में जुटे निर्मला के सिपहसालार, जानें इन 7 धुरंधरों को
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं. तमाम पक्षों के साथ बजट पूर्व चर्चा भी शुरू हो गई है. इकोनॉमी की हालत खराब है, ऐसे में लोगों को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें हैं. इस बात की उम्मीद है कि वित्त मंत्री ऐसे कदम उठाएंगी, जिनसे अर्थव्यवस्था की सेहत तो सुधरेगी ही, आम लोगों को भी राहत मिलेगी. बजट तैयार करने में वित्त मंत्रालय के कई शीर्ष अधिकारी वित्त मंत्री का साथ देते हैं. आइए  जानते हैं कि उनकी टीम में कौन-कौन से धुरंधर लोग शामिल हैं.
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वित्त मंत्रालय के पांच विभाग हैं- आर्थिक मामले, राजस्व, व्यय, वित्तीय सेवाएं, निवेश एवं पब्लिक एसेट प्रबंधन (DIPAM). बजट तैयार करने में इन विभागों के शीर्ष अधिकारी यानी सचिव और इनके साथ सरकार के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (CEA) और प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर (PEA) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इस बार का बजट काफी महत्वपूर्ण है. वित्त मंत्री के सामने अर्थव्यवस्था की कई चुनौतिया हैं. अर्थव्यवस्था में लगातार कई महीनों से सुस्ती जैसे हालात हैं, जो अगर ठीक से नहीं संभाले गए तो मंदी में बदल सकते हैं.

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जीडीपी में बढ़त दर छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है और लंबे समय से जारी आर्थि‍क सुस्ती की वजह से मांग और खपत दोनों में कमी आई है. ज्यादातर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है. ऐसे में इन दिग्गजों की सलाह वित्त मंत्री के लिए कितना कारगर होती है, इसका अंदाजा फरवरी में पेश होने वाले बजट से लग जाएगा.
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1. के. सुब्रमण्यन, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA)-
कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन को रघुराम राजन ने पढ़ाया है. उन्होंने अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर लुइगी जिंगालेस और रघुराम राजन के नेतृत्व में फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स से पीएचडी किया है. भारत में उन्होंने आईआईटी कानपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM), कोलकाता से पढ़ाई की है. उन्हें वित्तीय क्षेत्र की गहरी जानकारी है. वह सेबी और रिजर्व बैंक की कई एक्सपर्ट कमिटी में रह चुके हैं और भारत में बड़े आर्थ‍िक एवं कॉरपोरेट सुधारों का भी हिस्सा रहे हैं. वह बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश करेंगे. वह बजट की तैयारी के लिए देश के तमाम दिग्गज अर्थशास्त्रियों और एक्सपर्ट्स के साथ लगातार मंथन में जुट गए हैं.

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2. राजीव कुमार, वित्तीय सेवाएं विभाग के सचिव-
मोदी सरकार के कई प्रमुख एजेंडा जैसे सार्वजनिक बैंकों के विलय, फंसे कर्जों पर अंकुश आदि पर काम करने में राजीव कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उनके खाते में बीमा कंपनियों के विलय और सार्वजनिक बैंकों में सुधार की भी जिम्मेदारी है. वह वित्त मंत्रालय के पांच सचिवों में से सबसे सीनियर हैं. 1984 बैच के झारखंड काडर के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार के कार्यकाल के दौरान ही बैंकों में 2.1 लाख करोड़ रुपये की रीकैपिटलाइजेशन कार्यक्रम की घोषणा की गई है. उन्हें बैंकों के विशाल एनपीए और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) में बने नकदी की तंगी जैसी चुनौतियों से निपटना है. यह उनका अंतिम बजट हो सकता है, क्योंकि उनके फरवरी अंत तक रिटायर हो जाने के आसार हैं.
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3. अजय भूषण पांडेय, राजस्व सचिव-
आधार कार्ड परियोजना को साकार करने वाली यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी में कौशल दिखाने के बाद अब अजय भूषण से राजस्व के मोर्चे पर कमाल करने की उम्मीद है. उन्होंने हसमुख अधि‍या की जगह ली है. सुस्त
अर्थव्यवस्था में सरकारी खर्च बढ़ाने की दरकार है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. उनकी इस मामले में आलोचना की जाती है कि उन्होंने कर राजस्व का अव्यावहारिक लक्ष्य तय किया जिसे, पाना अब संभव नहीं लगता. बजट से पता चलेगा कि उन्होंने क्या सुझाव दिया है. वह 1984 बैच के महाराष्ट्र काडर के आईएएस अधिकारी हैं. राजीव कुमार के रिटायरमेंट के बाद वह वित्त विभाग के सचिव बन सकते हैं. इस समय सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है राज्यों का हजारों करोड़ रुपये का जीएसटी का बकाया देना, जिसको लेकर कई राज्य केंद्र सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं.

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4. अतानु चक्रवर्ती, आर्थ‍िक मामलों के सचिव-
1985 बैच के गुजरात काडर के इस आईएएस अधिकारी ने पिछले साल सरकार के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में काफी मदद की थी. उन्होंने इसके लिए कई अनूठी सलाह दी थीं. अभी भी सार्वजनिक कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने का महत्वपूर्ण एजेंडा उनके सामने हैं. वित्त मंत्री को निश्चित रूप से उनके सलाह से इस मामले में काफी मदद मिली होगी. उन्हें निवेश एवं सार्वजनिक एसेट प्रबंधन विभाग (Dipam) से लाया गया है ताकि भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी जैसी संस्थाओं से सरकार के रिश्ते ठीक किए जा सकें. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वित्तीय घाटे को काबू में रखा जाए.
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5. तुहिन कांत पांडे, Dipam सचिव -
वह 1987 बैच के ओडिशा कैडर के अधिकारी हैं. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने के सरकार द्वारा तय लक्ष्य को पूरा करना है. उन्हें जल्दी ही एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम, शिपिंग कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों के निजीकरण को सुनिश्चित करना है. सरकार का राजस्व लक्ष्य से कम रहने की आशंका है, इसलिए विभाग द्वारा निजीकरण के लक्ष्य को पूरा करने पर ही ज्यादा दारोमदार है.
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6. टीवी सोमनाथन, व्यय सचिव-
सोमनाथन 1987 बैच के तमिलनाडु काडर के अधिकारी हैं और हाल में ही व्यय सचिव बने हैं. वह साल 2015 से 2017 के बीच प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में भी काम कर चुके हैं. अपने इस अनुभव का इस्तेमाल करते हुए वह वित्त मंत्री को क्या सलाह देते हैं, यह देखना होगा.
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7. संजीव सान्याल, प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर (PEA)-
इतिहासकार एवं अर्थशास्त्री संजीव सान्याल रिजर्व बैंक और वित्तीय क्षेत्र के लोगों के साथ मसलों पर अक्सर परामर्श करते रहते हैं. वह व्यापार और वाणिज्य के मसलों पर बनी समिति का भी हिस्सा हैं. उनका बजट के साथ आर्थ‍िक सर्वेक्षण तैयार करने में भी अच्छा योगदान रह सकता है.


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