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टैरिफ टेंशन के बीच ये चीजें भारत से ही खरीदेगा अमेरिका, ट्रंप के पास नहीं है दूसरा ऑप्शन!

अमेरिका टैरिफ के बाद भी भारत से कुछ चीजें खूब खरीदेगा, जो उसकी मजबूरी है. क्‍योंकि ये ऐसे प्रोडक्‍ट्स हैं, जिनपर अगर टैरिफ लगा दिया जाए तो अमेरिकी लोगों का गुस्‍सा बढ़ सकता है.

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भारत से कुछ चीजें खरीदने को मजबूर है अमेरिका. (Photo: File/PTI)
भारत से कुछ चीजें खरीदने को मजबूर है अमेरिका. (Photo: File/PTI)

अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ थोपा है, जिस कारण भारत के टेक्‍सटाइल से लेकर सी फूड सेक्‍टर्स तक प्रभावित हुए हैं. सूरत, नोएडा और तिरुपुर जैसे जगहों पर तो कुछ कंपनियों ने प्रोडक्‍शन भी रोक दिया. एक्‍सपर्ट्स यहां तक अनुमान लगा रहे हैं कि ट्रंप टैरिफ से भारत की ग्रोथ में 0.3 से 0.5 फीसदी तक का असर पड़ सकता है. साथ ही भारत का 70 फीसदी यानी 55 अरब डॉलर तक का अमेरिकी निर्यात कम हो सकता है. 

हालांकि इन सभी चीजों के बीच, अमेरिका भारत से कुछ वस्‍तुओं की खरीदारी जमकर करने वाला है, क्‍योंकि अमेरिका के पास भारत से खरीदने के अलावा और कोई विकल्‍प नहीं बचता. अगर अमेरिका भारत के अलावा, अन्‍य जगहों से ये चीजें खरीदता है तो उसे इम्‍पोर्ट करने में ज्‍यादा लागत चुकानी पड़ेगी. साथ ही अमेरिकी जरूरत के हिसाब से सस्‍ते में कोई दूसरा देश इन वस्‍तुओं की आपूर्ति भी नहीं कर सकता है. 

शायद यही कारण है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इन चीजों पर टैरिफ नहीं लगाया है या सिर्फ 25% का बेसिक टैरिफ ही रखा है. अभी भी ये चीजें अमेरिका के लिए पहले की तरह ही एक्‍सपोर्ट हो रही हैं. 

किन चीजों को टैरिफ से मिली है छूट? 
अमेरिका ने भारत के जिन उत्‍पादों को टैरिफ से छूट दे रखा है, उनमें फॉर्मा सेक्‍टर्स (दवाएं और उपकरण),  इलेक्ट्रॉनिक्स (स्‍मार्टफोन्‍स और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स प्रोडक्‍ट्स),  अतिरिक्त ऊर्जा और नवीकरणीय उत्पाद जैसे पेट्रोलियम आदि टैरिफ से मुक्‍त हैं. वहीं कुछ उत्‍पादों पर सिर्फ 25 फीसदी ही टैरिफ लागू किया गया है, जिसमें लोहे-सीसे, एल्यूमिनियम, तांबे और उनके आउटपुट आदि शामिल हैं. 

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अमेरिका क्‍यों नहीं लगा रहा इन चीजों पर टैरिफ? 

  1. फार्मास्यूटिकल्स: भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा सप्‍लायर है और अमेरिकी हेल्‍थकेयर सिस्‍टम सस्‍ती भारतीय दवाओं पर बहुत निर्भर है. अगर 50 फीसदी टैरिफ इस सेक्‍टर पर लग जाता है तो दवाइयां महंगी हो जाएंगी, जिससे अमेरिका के अंदर राजनीतिक दबाव और जनता की नाराजगी बढ़ जाएगी. 
  2. स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स: अमेरिकी मार्केट में Apple, सैमसंग और अन्‍य कंपनियों की सप्‍लाई चेन का बड़ा हिस्‍सा भारत में शिफ्ट हुआ है. चीन से हटने के बाद ये कंपनियां भारत में ही अपना प्रोडक्शन बढ़ा रही हैं. अगर इन चीजों पर टैरिफ लगता है तो अमेरिकी उपभोक्‍ताओं के लिए स्‍मार्टफोन और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स महंगे हो जाएंगे. इतना ही नहीं अमेरिकी कंपनियों की बिक्री भी प्रभावित होगी. वहीं चीन को टक्‍कर देने के लिए भारत को निर्माण हब बनाना चाहता है, जिस कारण इस सेक्‍टर को टैरिफ से छूट दी गई है. 
  3. ऊर्जा और नवीकरणीय उत्पाद: अमेरिका को भी भारतीय पेट्रोलियम और रिन्‍यूएबल एनर्जी सेक्‍टर्स से जुड़े एक्‍सपोर्ट की जरूरत है. एनर्जी पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी इंडस्‍ट्री और एनर्जी सेफ्टी प्रभातिव होगी. 
  4. रणनीतिक और राजनीतिक वजह: अमेरिका भारत को सिर्फ ट्रेड पार्टनर नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदार के तौर पर भी देखता है. खासकर एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए भारत की जरूरत पड़ेगी. इस कारण वह भारत के सभी सेक्‍टर्स पर टैरिफ लगाकर दबाव नहीं डाल सकता है.  
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