अमेरिकी दबाव के बीच भारत धीरे-धीरे अपने कच्चे तेल की खरीदारी को रूस से अमेरिका की ओर शिफ्ट करता जा रहा है. तेल बाजार के ताजा आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं. अमेरिका से भारत का कच्चे तेल का आयात 2022 के बाद सबसे ज्यादा हो गया है. अक्तूबर 2025 में अमेरिका से भारत का कच्चे तेल का आयात 2022 के बाद सबसे ज्यादा है.
27 अक्तूबर 2025 की तारीख को भारत अमेरिका से प्रति दिन 5 लाख 40 हजार बैरल कच्चे तेल का आयात प्रतिदिन कर रहा है. एक बैरल में 159 लीटर होते हैं.
हालांकि भारत के कुल आयात में अमेरिका का हिस्सा अभी भी सीमित है. ये लगभग 5 से 7 फीसदी है. जबकि रूस से भारत की ओर से किया जाने वाला कच्चे तेल का आयात कुल इंपोर्ट का 35 से 40 फीसदी था.
लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर भारत ने अब इंपोर्ट डायवर्सीफिकेशन शुरू कर दिया है. रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों और वैश्विक दबाव से भारत ने रूसी तेल के अनुबंधों की समीक्षा शुरू की है. यही वजह है कि BPCL जैसी कंपनियां आयात के वैकल्पिक स्रोत तलाश रही हैं.
व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि भारत ने राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर रूस से कच्चे तेल का आयात कम कर दिया है.
अब अमेरिकी तेल पर दौड़ेगा भारत का ग्रोथ इंजन
अक्टूबर के खत्म होने तक अमेरिका से भारत का कच्चे तेल का आयात 5.75 लाख बैरल प्रतिदिन हो जाने की संभावना है. अमेरिकी बाजार से मिल रहे संकेतों के अनुसार नवंबर में भारत 4 लाख से 4.5 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात भारत प्रतिदिन कर सकता है. ये आंकड़े अमेरिका से तेल आयात में जबर्दस्त इजाफा दिखाते हैं.
अगर इसकी तुलना पिछले आंकड़ों से करें तो भारत इससे पहले औसतन 3 लाख बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन अमेरिका से मंगाता रहा है.
हालांकि रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल सप्लायर बना हुआ है. भारत अभी अपने कुल आयात का एक तिहाई रूस से मंगाता है. इसके बाद इराक का नंबर आता है और सऊदी अरब का नंबर तीसरे स्थान पर है.
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इस बीच भारत की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) का बयान भी गौर करने लायक है. IOC ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर लगाये गए प्रतिबंधों का पालन करेगा. IOC का इशारा अमेरिका द्वारा रूस की दो कंपनियों रोजनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए प्रतिबंधों से है.
इस प्रतिबंध के बाद आईओसी इन कंपनियों से तेल आयात नहीं कर सकेगा. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन मास्को से अपने कुल आयात का 21 फीसदी कच्चा तेल मंगाता है.
तेल पर भारत का रणनीतिक संतुलन, यूक्रेन वॉर और अमेरिका का प्रेशर पॉलिटिक्स
भारत अपनी जरूरत का लगभग 86% कच्चा तेल आयात करता है और इस वक्त रूस भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर बना हुआ है. लेकिन अमेरिका को लगता है कि रूस से इतने बड़े पैमाने पर तेल खरीद कर भारत रूस को यूक्रेन से जंग लड़ने की आर्थिक शक्ति दे रहा है. ट्रंप इसे भारत द्वारा यूक्रेन वॉर की फंडिंग कह चुके हैं और दूसरी बार राष्ट्रपति बनते ही इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं.
ट्रंप ने अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50% तक पहुंच गया है. इससे अमेरिका के साथ भारत का विदेशी व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और यूएसए को भारत से होने वाले निर्यात पर निगेटिव असर पड़ा है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हाई अमेरिकी टैरिफ की वजह से भारत द्वारा अमेरिका को होने वाला निर्यात 37.5 फीसदी कम हो गया है.
इकोनॉमिक टाइम्स ने ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि अधिकांश भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका को भारतीय निर्यात में 37.5 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका को होने वाले निर्यात में चार महीनों में कमी आई है. मई 2025 में ये आंकड़ा 8.8 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो सितंबर में घटकर 5.5 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है. ये इस साल की सबसे तेज और सबसे निरंतर गिरावट है.
अब टैरिफ पर ट्रंप से नरमी की उम्मीद
भारत अमेरिका से लगातार व्यापार वार्ता कर रहा है. उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच टैरिफ के मुद्दे पर कुछ समाधान भी निकलेगा. इस बीच भारत ने प्रैक्टिकल एनर्जी सिक्योरिटी और भू-राजनीतिक संतुलन के कारण स्ट्रैटेटिक एडजस्टमेंट करना शुरू कर दिया है और अमेरिका से तेल आयात को तीन वर्षों के अधिकतम लेवल पर पहुंचा दिया है. अब भारत को उम्मीद है कि ट्रंप भारत को लेकर अपनी टैरिफ रणनीति में बदलाव करेंगे.
भारत-अमेरिका ट्रेड टॉक्स 2025 में कई महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजरी है. ट्रंप के टैरिफ वॉर के बाद भारत के सामने अमेरिकी पक्ष के सामने अपना तर्क रखने की चुनौती है. माना जा रहा है कि दोनों देश कई मुद्दों पर सहमति बना चुके हैं और अब समझौते की कानूनी भाषा पर काम चल रहा है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 23-24 अक्टूबर को कहा कि वार्ताएं सकारात्मक हैं, लेकिन भारत जल्दबाजी या दबाव में कोई सौदा नहीं करेगा.
सितंबर-अक्टूबर 2025 में उच्च-स्तरीय वार्ताओं के बाद अमेरिका ने संकेत दिए कि रणनीतिक उत्पादों पर टैरिफ में आशिंक छूट संभव है. अब अमेरिका ने भारत से अपील की है कि वह कृषि सामान, ऊर्जा और टेक उत्पादों के आयात में ढील दे. भारत ने भी अमेरिकी एथेनॉल ब्लेंडिंग, कॉर्न और रक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर रियायतों पर चर्चा शुरू की है.
हालांकि कोई अंतिम व्यापार समझौता नहीं हुआ है, वार्ताएं लगातार चल रही हैं लेकिन दोनों पक्ष व्यापार संतुलन कायम करने और नई साझेदारियों की संभावनाओं पर सहमति बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.