भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) के लिए सप्ताह का पहला कारोबारी दिन सोमवार Black Monday साबित हुआ. मार्केट ओपन होने के साथ ही बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 3900 अंक तक का गोता लगा गया, तो दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 1000 अंक तक टूट गया. इस बीच Reliance से लेकर Tata Motors तक तमाम बड़ी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह बिखरे नजर आए. लेकिन भारतीय शेयर में ये पहली बार नहीं है, जब सेंसेक्स-निफ्टी इस तरह भरभराकर टूटे हैं, बल्कि इससे पहले भी 5 ऐसे मौके आए हैं, जब शेयर बाजार लहूलुहान नजर आया है. आइए जानते हैं हर्षद मेहता स्कैम से लेकर ट्रंप टैरिफ मोमेंट तक कब-कब बिखरा शेयर बाजार?
पहला- हर्षद मेहता स्कैम (1992)
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को आई बड़ी गिरावट के बीच मार्केट में इससे पहले आए भूचालों की याद ताजा हो गई है. करीब 33 साल पहले साल 1992 को Stock Market Crash हुआ था और निवेशकों को तगड़ा झटका लगा था. हम बात कर रहे हैं हर्षद मेहता घोटाले (Harshad Mehta Scam) के बारे में, उस समय शेयर बाजार में करीब 4000 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था और इसके उजागर होने के बाद सेंसेक्स-निफ्टी भरभराकर टूटे थे. 28 अप्रैल, 1992 को Sensex 570 अंक या 12.7 फीसदी तक फिसल गया था.
दूसरा- केतन पारेख घोटाला (2001)
हर्षद मेहता स्कैम के बाद साल 2001 में फिर से भारतीय शेयर बाजारों में भूचाल लाने वाला घोटाला उजागर हुआ. इस बार यह केतन पारेख नामक एक स्टॉक ब्रोकर से जुड़ा हुआ था. मार्च 2001 में जब यह घोटाला सामने आया, तो शेयर बाजार निवेशकों में हड़कंप मच गया. इसका असर ये हुआ कि 2 मार्च 2001 को सेंसेक्स ने फिर बड़ी गिरावट देखी और ये कारोबार के दौरान 4.13 फीसदी तक टूट गया था.
तीसरा- इलेक्शन रिजल्ट क्रैश (2004-2024)
भारतीय शेयर बाजार के लिए दो बार ऐसे मौके आए, जब चुनावी नतीजों के दौरान शेयर मार्केट पूरी तरह पस्त नजर आया. पहला मौका साल 2004 के आए लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन आया था, जब NDA पर UPA की जीत दर्ज की थी. 17 मई, 2004 को Sensex ने एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की और ये 842 अंक या 11.1% तक फिसल गया था. हालात ये हो गई थी कि शेयर मार्केट में दो बार कारोबार को रोकना पड़ा था. वहीं बीते साल 4 जून 2024 जब Lok Sabha Election Results आए, तो उस दिन सेंसेक्स 6094 अंक तक फिसलकर 70,374 के लेवल पर आ गया था.
चौथा- ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (2008)
अमेरिका में लेहमैन ब्रदर्स (Lehman Brothers) के पतन ने साल 2008 में पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था और ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस देखने को मिला था. भारत भी इससे काफी हद तक प्रभावित हुआ था, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने Indian Markets से अपना पैसा तेजा से निकालना शुरू कर दिया था. इस दौरान 21 जनवरी 2008 को सेंसेक्स 1,408 अंक या 7.4 फीसदी तक फिसल गया था. अगले कुछ महीनों तक इसमें गिरावट का सिलसिला जारी रहा और ये अपने शिखर से 60% तक नीचे पहुंच गया था.
पांचवां- कोविड-19 क्रैश (2020)
देश में जब कोरोना महामारी (COVID-19 Pandemic) की शुरुआत हुई थी, जो इसका डर शेयर बाजार पर भी साफ देखने को मिला था और बाजार ने बड़ी गिरावट देखी थी. बता दें कि साल 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के प्रकोप ने गंभीर हेल्थ क्राइसिस को जन्म दिया था और भारत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. इकोनॉमिक एक्टिविटीज पूरी तरह से ठप हो जाने की आशंकाओं ने बाजार में भूचाल ला दिया था. 23 मार्च, 2020 को तो सेंसेक्स 3,935 अंक या 13.2% तक टूट गया था.