हर रूट पर, हर दिशा में, हर ट्रेन में मुसाफिरों का मर्ज एक ही है. लेकिन उस मर्ज की दवा कहीं नहीं. जैसे ही बात महिलाओं की सुरक्षा की छिड़ती है, डर और भय से कांपती हुई आवाज निकलती है. भारतीय रेल की कमियों का पुलिंदा बंधने लगता है और महिलाएं चीख-चीख कर यही कहती हैं, वो रेल में महफूज नहीं हैं. अहमदाबाद-मुंबई रूट की भी यही कहानी है.