बैंकों के मिनिमम बैलेंस और एटीएम से कैश निकालने पर लगने वाले चार्ज की वजह से आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. आम लोगों की इन परेशानियों को दूर करने के लिए बीते दिनों रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की ओर से संकेत भी दिए गए हैं. हालांकि लोगों को इस बात की उम्मीद है कि आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मिनिमम बैंलेस को लेकर कुछ अहम ऐलान कर सकती हैं.
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ATM ट्रांजेक्शन पर आरबीआई ने दिए थे संकेत
बीते जून की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एटीएम से पैसे निकालने पर लगने वाले चार्ज को लेकर पॉजिटिव संकेत दिए थे. दरअसल, आरबीआई ने एक कमेटी के गठन का फैसला लिया गया. यह कमेटी बैंक एटीएम से ट्रांजेक्शन पर लगने वाली फीस और चार्ज की समीक्षा करेगी. ये कमेटी बताएगी कि बैंक एटीएम से ट्रांजेक्शन पर लगने वाले चार्ज का ग्राहकों पर क्या असर पड़ रहा है. रिजर्व बैंक की इस कमेटी के चेयरमैन इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ हैं.
मिनिमम बैलेंस का मसला भी बड़ी परेशानी
साल 2018 में एक रिपोर्ट जारी हुई थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि वित्त वर्ष 2014-15 से 2017-18 के बीच 21 सार्वजनिक बैंकों और निजी क्षेत्र के तीन दिग्गज बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रख पाने वाले ग्राहकों से कुल 11,500 करोड़ रुपये की कमाई की. हर बैंक का मिनिमम बैलेंस चार्ज अलग-अलग होता है. एसबीआई अपने बचत खाता धारकों से न्यूनतम बैलेंस न रखने पर 5 से 15 रुपये (साथ में जीएसटी) काटता है. मेट्रो शहरों के एसबीआई ग्राहकों को हर महीने खाते में न्यूनतम 3,000 रुपये का बैलेंस रखना होता है. छोटे शहरों में हर महीने 2,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये रखने की शर्त होती है.
क्या हैं उम्मीदें
आम लोगों को बजट में मिनिमिम बैलेंस पर छूट मिलने की उम्मीद है. इस बात की उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैंकों को मिनिमम बैलेंस में राहत देने को कह सकती हैं. इसके अलावा एटीएम से कैश निकालने पर लगने वाले चार्ज पर भी राहत मिलने की उम्मीद है.