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कस्टम ड्यूटी समेत इन टैक्स में हो सकती है बढ़ोतरी, जानिए कैसे आप पर पड़ेगा असर

आम बजट पेश होने में अब 24 घंटों से भी कम समय रह गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली से टैक्स के मोर्चे पर कई अपेक्षाएं पाली जा रही हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है. हालांकि इन उम्मीदों के बीच उस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है, जहां सरकार टैक्स बढ़ा सकती है.   

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वित्त मंत्री अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली

आम बजट पेश होने में अब 24 घंटों से भी कम समय रह गया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली से टैक्स के मोर्चे पर कई अपेक्षाएं पाली जा रही हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है. हालांकि इन उम्मीदों के बीच उस तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है, जहां सरकार टैक्स बढ़ा सकती है.

 जीएसटी आने की वजह से ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर नई टैक्स नीति के दायरे में शामिल हो गए हैं. इसका असर यह हुआ है कि ये अब बजट के दायरे से बाहर हो गए हैं. हालांक‍ि सरकार के पास अभी भी प्रत्यक्ष करों में बदलाव करने का मौका है. अर्थव्यवस्था की भलाई के लिए और अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए सरकार कुछ मोर्चों पर टैक्स बढ़ा सकती है.

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कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी

सरकार के पास कस्टम ड्यूटी एक ऐसा हथ‍ियार है, जिसमें बढ़ोतरी कर वह अपना राजस्व बढ़ा सकती है. इसके अलावा मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का फैसला ले सकती है. यह टैक्स विदेशों से देश में आने वाले सामान पर लगता है.

अगर सरकार कस्टम ड्यूटी बढ़ाती है, तो इससे आपके लिए व‍िदेशों से आने वाली कई चीजें महंगी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए मोबाइल फोन कस्टम ड्यूटी बढ़ने से महंगे हो सकते हैं. क्योंक‍ि भारत में जिन कंपनियों के मोबाइल फोन की सबसे ज्यादा बिक्री होती है, उसमें सबसे ज्यादा विदेशी कंपनियां ही शामिल हैं.

विरासती कर

भाजपा सरकार कई मौकों पर विरासती कर (inheritence tax) अथवा इस्टेट ड्यूटी को वापस लाने की पैरवी कर चुकी है. यह कर आपको तब देना होता है, जब आप किसी पुश्तैनी संपति का इस्तेमाल शुरू करते हैं. वैसे तो फिलहाल भारत में यह कर नहीं लगता है, लेक‍िन सरकार इसे वापस लाने पर विचार कर सकती है.

इक्व‍िटी पर टैक्स

सरकार जहां आयकर के मोर्चे पर आम आदमी को राहत दे सकती है. वहीं, इक्व‍िटी पर लगने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स को बढ़ा सकती है. मौजूदा समय में लिस्टेड इक्व‍िटी से मिलने वाला एलटीसीजी टैक्स फ्री होता है. इसके अलावा अनलिस्टेड इक्व‍िटीज टैक्सेबल होती हैं. ब्रॉकर्स और निवेशकों की तरफ से शेयर बाजार से जो कमाई की जाती है, उसे बिजनेस इनकम के तौर पर लिया जाता है.

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इससे होने वाली आय पर भी टैक्स लगता है. अगर सरकार एलटीसीजी पर टैक्स लगाती है या बढ़ाती है, तो इससे आपकी टैक्स देनदारी बढ़ेगी. कई देशों में कैपिटल गेन्स टैक्स फ्री हैं. भारत में इस पर टैक्स लगने से विदेशों से निवेश देश में लाना मुश्क‍िल हो जाएगा.

सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी)

सरकार लगातार विदेशी निवेश को लुभाने की कोश‍िश में जुटी हुई है. ऐसे में सरकार की कोश‍िश लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाने की होगी. इसकी भरपाई वह सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को बढ़ाकर कर सकती है.

सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स सिक्योरिटीज की वैल्यू पर देना होता है. सरकार इसे बढ़ा सकती है. एसटीटी एनएसई और बीएसई सीधे सरकार को देती है. इससे इसे कलेक्ट करना भी आसान होता है. ऐसे में सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स बढ़ाने की बजाय एसटीटी पर टैक्स का दायरा बढ़ा सकती है.  

मौजूदा समय में डिलीवरी आधारित लेनदेन के लिए 0.1 फीसदी एसटीटी है. अन्य के लिए यह उससे भी कम है. अगर इसमें बढ़ोतरी होती है, तो इसका सबसे ज्यादा असर लघु अवध‍ि के लिए निवेश कर रहे निवेशकों पर पड़ सकता है.

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