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Bihar: जिंदा बाप को 'मरा' दिखाकर बेटे ने बेच दी लाखों की जमीन, 90 साल के पिता ने DM से लगाई इंसाफ की गुहार

मुजफ्फरपुर के वीरपुर गांव में 90 वर्षीय राज नारायण ठाकुर ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है. उनका आरोप है कि छोटे बेटे दिलीप ठाकुर ने उन्हें मृत दिखाकर लाखों की जमीन रजिस्ट्री कर दी. पीड़ित वृद्ध ने कहा, उन्हें न खाना मिलता है, न पूछता कोई है. डीएम ने मामले की जांच कांटी थाना और सीओ को सौंपी है.

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राज नारायण ठाकुर ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है. (Photo: Manibhushan Sharma/ITG)
राज नारायण ठाकुर ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है. (Photo: Manibhushan Sharma/ITG)

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक बेटे ने अपने जीवित पिता को मृत घोषित कर उनके नाम की बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री किसी और के नाम कर दी. पीड़ित 90 वर्षीय बुजुर्ग राज नारायण ठाकुर अब प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं और अपने ही बेटे के खिलाफ न्याय की गुहार लगा रहे हैं.

दरअसल, पूरा मामला कांटी थाना क्षेत्र के वीरपुर गांव का है. यहां के रहने वाले राज नारायण ठाकुर का आरोप है कि उनके छोटे बेटे दिलीप ठाकुर ने गांव की ही करीब 10 डिसमिल जमीन को सुमन सौरव नामक व्यक्ति के नाम 29 जुलाई को मोतीपुर रजिस्ट्री कार्यालय में रजिस्ट्री करा दी. इस जमीन की कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि रजिस्ट्री दस्तावेजों में राज नारायण ठाकुर को मृत घोषित किया गया है, जबकि वह पूरी तरह जीवित हैं.

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राज नारायण ठाकुर को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत रजिस्ट्री से संबंधित कागजात मंगवाए. दस्तावेज देखकर उनके होश उड़ गए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने न तो किसी कागज पर हस्ताक्षर किए हैं और न ही अपनी सहमति दी है. यह उनके साथ किया गया गंभीर धोखा और विश्वासघात है. वहीं, बुजुर्ग ठाकुर ने भावुक होते हुए कहा, अब तो कोई पूछता भी नहीं है, न खाना देता है, न कपड़ा. बेटा ही धोखा दे रहा है.

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मुजफ्फरपुर

बुजुर्ग ने पूरे प्रकरण की शिकायत जिलाधिकारी सुब्रत सेन से की और मामले से जुड़े सभी दस्तावेज उनके समक्ष प्रस्तुत किए. डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अंचलाधिकारी (सीओ) और थाना प्रभारी (SHO) को जांच के निर्देश दिए हैं. साथ ही सभी भाइयों को आपसी सहमति से जमीन के बंटवारे का सुझाव भी दिया गया है.

मामले में DM ने कही ये बात

डीएम ने बताया कि अगर आपसी सहमति नहीं बनती है तो सिविल कोर्ट में पार्टीशन सूट (बंटवारा वाद) दाखिल करना होगा, जिसके बाद ही रजिस्ट्री को रद्द कराने की कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है. फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर प्रयास जारी हैं ताकि विवाद का समाधान स्थानीय स्तर पर ही हो सके.

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