बिहार में बेतिया जिले के नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल में मंगलवार को भयानक लापरवाही का मामला सामने आया है.यहां प्रसव के दौरान 30 साल की महिल नगमा खातून की मौत हो गई. वहीं नवजात को गंभीर हालत में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
घटना के बाद अस्पताल परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया. गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की. उनका आरोप है कि अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक डॉ.गजल प्रवीण मौके पर मौजूद नहीं थीं. परिजनों का दावा है कि डॉक्टर अक्सर निजी अस्पतालों में व्यस्त रहती हैं, जिससे सरकारी अस्पताल में मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता.
नगमा खातून की मौत ने अस्पताल व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. परिजनों का आरोप है कि समय पर इलाज मिल जाता तो शायद नगमा की जान बचाई जा सकती थी. हालात इतने बेकाबू हो गए कि अस्पताल के अन्य स्टाफ और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर भी मौके से फरार हो गए.
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को किसी तरह नियंत्रित किया. फिलहाल परिजन महिला डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. अब सवाल यह है कि क्या सरकारी अस्पतालों में आमजन की जिंदगी यूं ही लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेगी? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर एक और दर्दनाक कहानी फाइलों में दफन होकर रह जाएगी?