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चिप संकट पर TATA का बड़ा फैसला, इन 3 राज्यों में प्लांट लगाने की तैयारी

टाटा ग्रुप (Tata Group) सेमीकंडक्टर असेंबली प्लांट लगाने के लिए बड़ा निवेश कर सकता है. खबर है कि यह देश के तीन राज्यों में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट यूनिट लगाने के लिए बातचीत कर रहा है.

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चिप संकट को लेकर टाटा ग्रुप का बड़ा कदम
चिप संकट को लेकर टाटा ग्रुप का बड़ा कदम
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चिप संकट की वजह से JLR की बिक्री पर असर
  • टाटा का देश में OSAT प्लांट लगाने का प्लान

पहले कोरोना महामारी ने ऑटो इंडस्ट्रीज को तगड़ा झटका दिया, उसके बाद चिप की कमी से संकट और गहरा गया. सेमीकंडक्टर (Semiconductor) की कमी की वजह से तमाम ऑटो कंपनियों की बिक्री में घट गई. टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने इसी साल के शुरुआत में बताया था कि चिप संकट की वजह से JLR की बिक्री पर असर पड़ा है. यही नहीं, देश में भी टाटा की कई गाड़ियों की बिक्री घट गई. लेकिन अब इस संकट से निपटने के लिए टाटा कंपनी बड़ी तैयारी में है. 

टाटा ग्रुप (Tata Group) सेमीकंडक्टर असेंबली प्लांट लगाने के लिए बड़ा निवेश कर सकता है. खबर है कि यह देश के तीन राज्यों में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट यूनिट लगाने के लिए बातचीत कर रहा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी 2250 करोड़ रुपये निवेश कर सकती है. 

OSAT प्लांट लगाने का प्लान

टाटा ग्रुप आउटर्सोस्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट यानी OSAT प्लांट लगाने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना से बात कर रहा है. इन राज्यों में प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण की बात चल रही है. बता दें, टाटा ग्रुप ने कुछ महीनों पहले कहा था कि वह सेमीकंडक्टर बिजनेस में एंट्री कर सकता है. 

टाटा समूह सॉफ्टवेयर के मामले में तो काफी मजबूत है. लेकिन अब यह हार्डवेयर में भी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. ग्रुप की फैक्टरियों में अगले साल के आखिर में काम शुरू हो सकता है. इनमें 4000 लोगों को रोजगार मिल सकता है.

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दुनिया की तमाम बड़ी ऑटो कंपनियां सेमी-कंडक्टर (Semi Conductor) की कमी की परेशानी से जूझ रही हैं. भारत में फेस्टिव सीजन के दौरान वाहनों की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई. दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की कमी पिछले दिसंबर में शुरू हुई थी. 

चिप का क्या काम?
चिप एक पोर्ट डिवाइस है, इसका उपयोग डाटा रखने में होता है. आसान शब्दों में कहें तो ऑटोमोबाइल्स इंडस्ट्री से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां तक चिप की कमी से जूझ रही हैं. इंफोटेनमेंट सिस्टम, पावर स्टीयरिंग और ब्रेक को ऑपरेट करने के लिए सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल होता है. नए वाहनों के लिए यह चिप बेहद जरूरी है. यह एक छोटी-सी चिप है, जिसका कारों में इस्तेमाल किया जाता है. 

हाईटेक वाहनों में कई तरह के चिप का इस्तेमाल होता है. सेफ्टी फीचर्स में भी चिप का इस्तेमाल होता है. एक तरह से सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का 'दिमाग' कहा जाता है. यही नहीं, ऑटो कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों पर फोकस कर रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों में आम वाहनों के मुकाबले ज्यादा चिप लगते हैं. इसलिए चिप की सप्लाई में कमी से इलेक्ट्रिक वाहनों को भी झटका लग सकता है. 

चिप बनाने वाली कंपनियां दबाव में 
गौरतलब है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े चिप-निर्माताओं के लिए चालू वर्ष काफी दबाव भरा रहने वाला है. कोरोना संकट की वजह से निर्माण पर असर पड़ा, लेकिन अब चिप्स की बढ़ती मांग को कैसे पूरा करें, ये एक बड़ी चुनौती है. चिप का बड़ा प्रोडक्शन ताइवान में किया जा रहा है. इसी वजह से दुनिया की ज्यादातर कंपनियां ताइवान पर निर्भर हैं. 

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