
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने कल यानी 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट (Budget 2024) पेश करने की तैयारी पूरी कर ली है. आज सोमवार से बज़ट सत्र भी शुरू हो गया है. इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कल पेश होने वाले आम बजट के फोकस एरिया के बारे में हिंट भी दे दिया है. नरेंद्र मोदी ने कहा कि, कल हम एक मजबूत बज़ट पेश करेंगे. जो साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में पेश करने पर केंद्रित होगा. कल केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बज़ट को पेश करेंगी. इस बीच देश के ऑटो सेक्टर को भी आम बजट से काफी उम्मीदे हैं.
इससे पहले 1 फरवरी को सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था. उस दौरान केंद्र सरकार चुनाव में जा रही थी. फरवरी में पेश किए बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा था कि, "हमारी सरकार देश में बेहतर इलेक्ट्रिक व्हीकल इको सिस्टम डेवलप करने पर काम कर रही है. आने वाले समय में हमारी सरकार ई-वाहन का विस्तार और सुदृढ़ीकरण करेगी. इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और चार्जिंग को सपोर्ट करने वाले इको सिस्टम को तैयार किया जाएगा. सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक-बसों को अधिक से अधिक अपनाना और इलेक्ट्रिक व्हीकल नेटवर्क को विस्तार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा."

पिछली बार क्या मिला था:
सरकार ने पिछले बज़ट में इलेक्ट्रिक व्हीकल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की दिशा में काम करने का दावा किया था. हालांकि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में कोई व्यक्तिगत बड़ा ऐलान नहीं किया गया था. लेकिन सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग सेंटर्स को सेटअप करने और साथ ही युवाओं को इस स्किल के लिए ट्रेनिंग देने की बात कही थी. मोदी सरकार का पिछला अंतरिम बजट मुख्य रूप से ग्रामीण, कृषी-क्षेत्र की योजनाओं और महिलाओं पर केंद्रीत रहा था.
इस बार क्या हैं उम्मीदें:
हर बार की तरह इस बार भी ऑटो सेक्टर को इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए चलाई जाने वाली केंद्र की फॉस्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) स्कीम के अगले चरण की उम्मीदे हैं. बता दें कि, FAME-2 को लॉन्च किया गया जिसकी समय सीमा बीते 31 मार्च को समाप्त हो गई. इस दौरान देश की सरकार चुनाव में जाने वाली थी तो एक अस्थाई स्कीम के तौर पर 4 महीनों के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशनल स्कीम (EMPS) को लॉन्च किया गया, जिसकी मियाद जुलाई में समाप्त होने वाली है. अब ऐसे में फेम स्कीम के तीसरे चरण 'FAME-3' के लॉन्च होने की उम्मीद है.
FAME 3 पर टिकी हैं निगाहें:
संभव है कि इस नए बज़ट में सरकार द्वारा नई FAME-3 स्कीम को रोल-आउट किया जाए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार FAME के इस तीसरे चरण में 10,000 करोड़ रुपये का ऑउटले दिया जा सकता है. जो कि देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों के साथ-साथ सरकारी बसों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा. हालांकि, अभी इस योजना में इलेक्ट्रिक कारों को शामिल नहीं किया गया है. चूकिं FAME-3 बिल्कुल नई स्कीम होगी तो इसके लिए वाहन निर्माता कंपनियों को फिर से अप्लाई करना होगा. इसके अलावा ये स्कीम 2 साल की अवधि के लिए लॉन्च की जा सकती है. गौरतलब हो कि, FAME-2 स्कीम 5 साल तक चला था.
PLI के दायरे का विस्तार:
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम देश में कई अलग-अलग क्षेत्रों के लिए गेम-चेंजर साबित हुई है. ऑटोमोबाइल निर्माता उम्मीद करते हैं कि सरकार इस क्षेत्र के लिए PLI स्कीम को और विस्तार देगी. फंड को तेजी से रिलीज करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के उपाय ऑटोमोटिव उद्योग के लिए प्रमुख सकारात्मक कदम होंगे.

EV बैटरी पर कम टैक्स:
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ACMA) ने कुछ दिनों पहले केंद्रीय बजट 2024-25 के लिए अपनी सिफारिशें भेजी थीं. जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कंपानेंट्स पर GST दर कम करने की मांग की गई थी. इंडस्ट्री ने सरकार से अनुरोध किया है कि, इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी पर जीएसटी दर को 18% से कम किया जाए, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत को कम किया जा सके. आमतौर पर किसी भी इलेक्ट्रिक वाहन में बैटरी की कॉस्ट तकरीबन 40 से 45 प्रतिशत तक हो सकती है.
हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स में छूट:
जहां एक तरफ इलेक्ट्रिक वाहन न्यूनतम GST टैक्स 5% का लाभ उठा रहे हैं. वहीं इस बार बज़ट में हाइब्रिड कारों पर भी टैक्स की दर को कम करने की उम्मीदें हैं. मौजूदा समय में भारत में हाब्रिड वाहनों पर अधिकतम 43% टैक्स लगता है, जो कि रेगुलर ICE (पेट्रोल-डीजल) वाहनों पर लगने वाले 48% टैक्स से महज 5% कम है. ऐसे में ऑटो सेक्टर को उम्मीद है कि इस बार के बज़ट में हाइब्रिड वाहनों पर टैक्स में रियायत मिले.
इससे पहले केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपने बयान में कहा था कि, उन्होनें वित्त मंत्रालय से हाइब्रिड वाहनों पर लगने वाले टैक्स की दर को कम कर के 12 फीसदी करने का अनुरोध किया था. गडकरी ने कहा था कि, हाइब्रिड वाहनों पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी और फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर 12 फीसदी करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को विचार के लिए भेज दिया गया है.
GST के दायरे में आए पेट्रोल-डीजल:
पिछले कुछ सालों में देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है. देश के कुछ शहरों में कीमतों ने शतक का आंकड़ा भी छुआ है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने की मांग लंबे समय से हो रही है. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर आमजन और वाहनों की बिक्री पर भी पड़ते हुए देखा गया है. ऐसे में इंडस्ट्री को उम्मीद है कि, इस बार के बज़ट में पेट्रोल-डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए जिससे इसकी कीमत को कम किया जा सके.