इजरायल से जंग के बीच ईरान को 'लास्ट चांस' दे सकते हैं ट्रंप, लेकिन ये शर्त मनवाकर रहेगा अमेरिका

अमेरिकी प्रशासन के भीतर इस बात पर असहमति है कि अमेरिका को इजरायली हमले में शामिल होना चाहिए या नहीं. यूएस सेंट्रल कमांड का मानना है कि ऐसा करना सही है, लेकिन ट्रंप के बेस के भीतर भी कुछ लोग हैं जो इसमें शामिल होने का विरोध करते हैं.

Advertisement
ईरान को बातचीत की टेबल पर लाने की आखिरी कोशिश ईरान को बातचीत की टेबल पर लाने की आखिरी कोशिश

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2025,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मिडिल ईस्ट में तनाव की वजह से जी7 समिट बीच में ही छोड़कर कनाडा से वापस वॉशिंगटन लौट गए हैं. उन्होंने साफ कहा कि वह सीजफायर कराने के लिए नहीं जा रहे है, बल्कि कुछ बड़ा करने जा रहे हैं. अमेरिका ने ईरान को परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए कई बार टेबल पर लाने की कोशिश की है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. ऐसे में अब इजरायल से जारी जंग के बीच ट्रंप ईरान को 'लास्ट चांस' ऑफर कर सकते हैं.

Advertisement

ईरान को शर्त के साथ लास्ट चांस

'द यरूशलेम पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा कि यह ऑफर ट्रंप प्रशासन की ओर से करीब 20 दिन पहले ईरानियों के सामने दिए गए प्रस्ताव से थोड़ा बेहतर हो सकता है. उम्मीद यह है कि अगर ऐसा प्रस्ताव रखा जाता है, तो वह जीरो यूरेनियम एनरिचमेंट की अमेरिकी थ्योरी पर आधारित होगा.

ईरान ने इजरायली हमले रोकने और अपने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत फिर से शुरू करने की कोशिश में ट्रंप प्रशासन के साथ मध्यस्थता करने के लिए ओमान और कतर से संपर्क किया था. सऊदी अरब भी सीजफायर को बढ़ावा देने के लिए एक अलग चैनल जरिए पर्दे के पीछे काम कर रहा है. ट्रंप ने सोमवार को पहले पुष्टि की कि ईरान ने इजरायली हमलों को रोकने के लिए अमेरिका से संपर्क किया है. उन्होंने कनाडा में कहा कि ऐसा लगता है कि ईरान यह युद्ध नहीं जीत रहा है और उन्हें बहुत देर होने से पहले बातचीत करनी चाहिए.

Advertisement

सीजफायर की कोशिश जारी

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ईरान के सीजफायर के लिए किए जा रही कोशिश पर कहा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं और वह इन झूठी वार्ताओं को जारी रखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि झूठ बोलना, धोखा देना और अमेरिका को अपने साथ घसीटना ईरान का काम है, लेकिन हमारे पास इस बारे में पुख्ता खुफिया जानकारी है.

ये भी पढ़ें: सीजफायर नहीं... कुछ बड़ा होने वाला है! कनाडा से लौटे ट्रंप ने इजरायल-ईरान युद्ध पर बढ़ा दिया सस्पेंस

एक इज़रायली अधिकारी ने बताया कि अभी तक इजरायल को कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है. अधिकारी ने कहा कि इस समय तेहरान और वॉशिंगटन के बीच बातचीत चल रही है और इस बीच हम ज़्यादा से ज़्यादा ठिकानों पर हमला करना जारी रखेंगे. अमेरिकी प्रशासन ने सोमवार को पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर मिडिल ईस्ट में पहुंचेगा और करीब 30 ईंधन भरने वाले विमान भी इस क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं. एक अमेरिकी सूत्र ने बताया कि अगर ट्रंप हरी झंडी देते हैं तो हमलों में भागीदारी की इजाजत देने की तैयारी की जा रही है.

जंग को लेकर कन्फ्यूज है अमेरिका

अमेरिकी प्रशासन के भीतर इस बात पर असहमति है कि अमेरिका को इजरायली हमले में शामिल होना चाहिए या नहीं. यूएस सेंट्रल कमांड का मानना है कि ऐसा करना सही है, लेकिन ट्रंप के बेस के भीतर भी कुछ लोग हैं जो इसमें शामिल होने का विरोध करते हैं. अमेरिका में मिडिल ईस्ट मामलों के पूर्व  डिप्टी अस्सिटेंट डिफेंस सेक्रेटरी डैन शापिरो ने पोस्ट को बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ईरान पर हमला करने के लिए ज़रूरी सैन्य उपकरण तैयार कर रहे हैं.

Advertisement

ये भी पढ़ें: इजरायली सेना की बड़ी कार्रवाई, ईरानी आर्मी के नए चीफ ऑफ स्टाफ अली शादमानी को भी मारने का किया दावा

शापिरो ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि उन्होंने हमला करने का फ़ैसला कर लिया है. लेकिन ट्रंप इस धमकी का फ़ायदा उठाकर ईरान को बातचीत की टेबल पर वापस आने और वह रियायत देने के लिए राज़ी कर सकते हैं जो वे पहले नहीं देते थे. इस बातचीत में यूरेनियम एनरिचमेंट को खत्म करना सबसे जरूरी शर्त होगी ताकि ईरान परमाणु हथियार न बना सके.

वॉशिंगटन की एक फोन कॉल जरूरी

उधर, ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने इजरायल-ईरान संघर्ष पर कहा कि बेंजामिन नेतन्याहू एक वॉन्टेड क्रिमिनल हैं, जिसने लगभग तीन दशकों तक लगातार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को अपने युद्ध लड़ने के लिए धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि इजरायली हमले का मकसद ईरान और अमेरिका के बीच समझौते को विफल करना है, जिसे हासिल करने के लिए हम सही रास्ते पर थे. वह एक और अमेरिकी राष्ट्रपति और अमेरिकी जनता को पूरी तरह से मूर्ख बना रहे हैं.

ईरानी विदेश मंत्री ने कहा कि अगर राष्ट्रपति ट्रंप कूटनीति के बारे में सच्चे हैं और इस युद्ध को रोकना चाहते हैं, तो अगले कदम महत्वपूर्ण होंगे. इजरायल को अपनी आक्रामकता रोकनी चाहिए और हमारे खिलाफ सैन्य आक्रामकता पूरी तरह से बंद न होने पर, हमारा जवाब जारी रहेगा. नेतन्याहू जैसे किसी व्यक्ति को चुप कराने के लिए वॉशिंगटन से एक फ़ोन कॉल की ज़रूरत होती है और इससे कूटनीति की वापसी का रास्ता खुल सकता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें: G7 का इजरायल को खुला सपोर्ट, ट्रंप का बीच समिट से लौटना... क्या ईरान युद्ध नया मोड़ लेने वाला है?

अब्बास अराघची ने कहा कि अमेरिका को युद्धों में उलझाए रखने से बातचीत के जरिए समाधान की कोई भी संभावना खत्म हो जाएगी. साथ ही इससे क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक और अकल्पनीय नतीजे होंगे. उन्होंने कहा कि ईरान ने इस युद्ध की शुरुआत नहीं की है और उसे जारी रखने में भी हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है. लेकिन हम अपनी जमीन, अपने लोगों, अपनी गरिमा और अपनी उपलब्धियों की रक्षा के लिए खून की आखिरी बूंद तक लड़ते रहेंगे.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement