एक्स्ट्रा सेंट्रीफ्यूज, गुप्त लोकेशन और IAEA को सरप्राइज चेक की इजाजत नहीं... कैसे ईरान का 400 KG गायब यूरेनियम दुनिया को दे रहा टेंशन!

IAEA का कहना है कि बॉम्बिंग के बाद उसके लिए ईरान के न्यूक्लियर साइट पर निरीक्षण मुश्किल हो गया है. क्योंकि वहां मलबा भरा पड़ा है, वहां बगैर फटे लाइव बम हो सकते हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ कहते हैं कि ईरान के पास अज्ञात संख्या में एक्स्ट्रा सेंट्रीफ्यूज है और गुप्त लोकेशन पर हैं. अगर ईरान अपने 400 किलो यूरेनियम को किसी तरह यहां ले गया तो पूरा परिदृश्य ही बदल जाएगा.

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ईरान के नतांज प्लांट में मौजूद सेंट्रीफ्यूज की तस्वीर. (फोटो- रॉयटर्स) ईरान के नतांज प्लांट में मौजूद सेंट्रीफ्यूज की तस्वीर. (फोटो- रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

वेपन ग्रेड के डेंजर लेवल तक पहुंच चुके ईरान के 400 किलोग्राम एनरिच यूरेनियम कहां है? ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिकी हमलों के बाद गायब यूरेनियम की खोज के लिए "बिल्ली-चूहे" की रेस शुरू हो चुकी है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (IAEA) पहले ही कह चुका है कि फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर अमेरिकी हमले के बाद कितना नुकसान हुआ इसका आकलन करना मुश्किल है. 

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इससे जुड़े सवाल पर IAEA के चीफ राफेल ग्रॉसी ने अपने एक बयान से इजरायल, अमेरिका की चिंता और बढ़ा दी है. उन्होंने कहा कि यह बहुत संभव है कि फोर्डो के अंदर यूरेनियम को एनरिच करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले संवेदनशील सेंट्रीफ्यूज बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हों. लेकिन यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि ईरान के 9 टन समृद्ध यूरेनियम, जिसमें 400 किलो वेपन ग्रेड तक एनरिच हो गए थे, इस हमले में नष्ट हुए या नहीं.

पश्चिमी देशों की सरकारें अब यह पता लगाने में लगी हैं कि इस यूरेनियम का क्या हुआ? 

रॉयटर्स ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के प्रयासों में शामिल एक दर्जन से अधिक वर्तमान और पूर्व अधिकारियों से बात की, जिन्होंने कहा कि बमबारी ने ईरान को अपने यूरेनियम भंडार को गायब करने के लिए एक आदर्श स्थिति दे दी है. इस सिलसिले में IAEA की कोई भी जांच संभवतः लंबी और कठिन होगी. 

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ओली हेइनोनेन, जो 2005 से 2010 तक IAEA के टॉप इंस्पेक्टर थे, ने कहा कि खोज में संभवतः क्षतिग्रस्त ढांचे से नमूना लेना काफी परेशानी भरा हो सकता है. हेइनोनेन IAEA में रहते हुए ईरान के परमाणु मुद्दे पर लंबे समय तक काम कर चुके हैं. वे अब वाशिंगटन में स्टिमसन सेंटर थिंक-टैंक में काम करते हैं. 

उन्होंने कहा, "ऐसी सामग्री हो सकती है जिसे निकाल पाना मुश्किल हो, मलबे में दब गई हो और बॉम्बिंग के दौरान नष्ट हो गई हो. 

यह भी पढ़ें: कुह-ए-कोलांग गज-ला: न नतांज, न फोर्डो... US-इजरायल को चकमा देते हुए ईरान ने बना लिया नया सीक्रेट न्यूक्लियर अड्डा!

IAEA के एक मानक के अनुसार, ईरान के 400 किलोग्राम से अधिक यूरेनियम को 60% शुद्धता तक एनरिच किया गया है - जो कि हथियार ग्रेड के लगभग 90% से थोड़ा ही कम है - और  यदि इसे और अधिक संवर्धित किया जाए तो यह नौ परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त है. 

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इस यूरेनियम का एक अंश भी गायब रह जाता है तो यह पश्चिमी शक्तियों के लिए गंभीर चिंता का विषय होगा, क्योंकि उनका मानना ​​है कि ईरान ने परमाणु हथियारों का विकल्प खुला रखा है. 

13 जून से पहले ईरान ने हटा लिए यूरेनियम

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ऐसे संकेत हैं कि ईरान ने हमला होने से पहले अपने एनरिच यूरेनियम का कुछ हिस्सा वहां से हटा लिया होगा. आईएईए प्रमुख ग्रॉसी ने कहा कि ईरान ने 13 जून को इजरायल के पहले हमले के दिन उन्हें सूचित किया था कि वह अपने परमाणु उपकरणों और सामग्रियों की सुरक्षा के लिए कदम उठा रहा है. ये कदम क्या थे इसकी विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है. लेकिन इससे पता चलता है कि इसे हटा दिया गया था.

एक पश्चिमी राजनयिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि फोर्डो में अधिकांश एनरिच यूरेनियम को हमले से कई दिन पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया था. ऐसा लग रहा था कि जैसे ईरान को पहले से पता हो कि हमला होने वाला है. 

 यह चूहे और बिल्ली का खेल होगा

एक दूसरे पश्चिमी राजनयिक ने कहा कि यूरेनियम भंडार की स्थिति की पुष्टि करना एक बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि IAEA और तेहरान के बीच रिश्ते पहले से ही तल्ख रहे हैं. ईरान अपने देश में मिले यूरेनियम के कणों के निशान की वजहों को विश्वसनीयी रूप से बताने में नाकाम रहा है. उन्होंने कहा कि यह चूहे और बिल्ली का खेल होगा.  

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ईरान का दावा है कि उसने IAEA के प्रति अपने सभी दायित्वों को पूरा किया है.

परमाणु अप्रसार संधि से पीछे हटने को तैयार ईरान

गौरतलब है कि हाल के हमले के बाद ईरान न्यूक्लियर एनरिचमेंट को लेकर एक बार फिर से अड़ने लगा है. ईरान अब परमाणु अप्रसार संधि से भी हटना चाह रहा है. वहां की संसद ने IAEA के साथ सहयोग न करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है. 

इससे पहले IAEA के सदस्य ईरान के न्यूक्लियर साइट की लगातार निगरानी कर रहे थे. लेकिन इस हमले ने सारा परिदृश्य बदल दिया है. ईरान का गुस्सा इस बात को है कि वो NPT का सदस्य था बावजूद उसके परमाणु ठिकानों पर हमले किए गए.

वैसे तो ईरान ने बार-बार इस बात से इनकार किया है कि उसके पास परमाणु बम बनाने का कोई सक्रिय कार्यक्रम है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी  ने कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि तेहरान परमाणु बम बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है. 

असैन्य कार्यों के 5% तक एनरिचमेंट काफी 

लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऐसा नहीं है तो फिर ईरान यूरेनियम को 60 फीसदी तक एनरिच क्यों कर रहा है. जबकि असैन्य उद्देश्यों के लिए यूरेनियम का 5% तक एनरिचमेंट काफी है. 

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सरप्राइज चेक की इजाजत नहीं

एनपीटी का पक्षकार होने के नाते ईरान को अपने एनरिच यूरेनियम के भंडार का हिसाब देना होता है. इसके बाद IAEA को निरीक्षण सहित अन्य तरीकों से ईरान के दावे की पुष्टि करता है. लेकिन इसकी शक्तियां सीमित हैं. IAEA ईरान के घोषित परमाणु केंद्रों का निरीक्षण करता है, लेकिन अघोषित स्थानों पर अचानक निरीक्षण नहीं कर सकता. 

इससे यूरेनियम पर ईरान की सच्चाई बाहर नहीं आ पाती है.

अज्ञात संख्या में एक्स्ट्रा सेंट्रीफ्यूज 

IAEA ने कहा है कि ईरान के पास अज्ञात संख्या में एक्स्ट्रा सेंट्रीफ्यूज हैं, लेकिन इसके लोकेशन की जानकारी उसे नहीं है. इससे ईरान एक नया या गुप्त यूरेनियम एनरिचमेंट साइट स्थापित करने में सक्षम हो सकता है. इसलिए इन हमलों के बाद गायब यूरेनियम की खोज करना और भी ज्यादा अहम हो जाता है. 

वाशिंगटन स्थित आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की केल्सी डेवनपोर्ट ने शुक्रवार को एक्स पर कहा, "ईरान का 60% एनरिच यूरेनियम का भंडार भले ही मिशन का हिस्सा न रहा हो, लेकिन इससे परमाणु प्रसार का जोखिम बना रहता है, खासकर तब जब ईरान के सेंट्रीफ्यूज का हिसाब ही नहीं रखा गया है."

एक तीसरे पश्चिमी राजनयिक ने कहा है कि, "यदि ईरान 400 किलोग्राम एचईयू (अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम) के बारे में स्पष्ट जानकारी दे देता है, तो समस्या का समाधान हो सकता है, लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करता है, तो कोई भी यह नहीं जान पाएगा कि उसका क्या हुआ."

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180 देशों के सदस्य IAEA ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम के उद्देश्यों के बारे में यह नहीं कह सकता है कि ये पूर्ण रूप शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए थे. लेकिन IAEA ने यह भी कहा कि ईरान के परमाणु विकास प्रोग्राम के कोई विश्वसनीय संकेत भी नहीं मिले हैं. 

रॉफेल ग्रॉसी ने बुधवार को कहा कि बमबारी वाली जगहों की स्थितियां IAEA निरीक्षकों के लिए वहां काम करना मुश्किल बना देंगी . क्योंकि वहां मलबा है, वहा ब्लास्ट न हो पाए विस्फोटक हो सकते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में समय लग सकता है. 

IAEA के पूर्व मुख्य निरीक्षक हेइनोनेन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि एजेंसी रियल टाइम में इसके बारे में काम करे. 

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