'हम लोगों की नब्ज पहचानने में विफल रहे...', PM पद से इस्तीफे के बाद बोले शेख हसीना के सहयोगी

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफा दे चुकी हैं और देश छोड़कर भारत आ चुकी हैं. उनका विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर लैंड किया. शेख हसीना के खिलाफ लंबे समय से देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा था. विवाद कोटा सिस्टम से बढ़कर बढ़ती कीमतें और महंगाई तक जा पहुंचा, जिससे शेख हसीना को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.

Advertisement
शेख हसीना ने दे दिया है इस्तीफा शेख हसीना ने दे दिया है इस्तीफा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

बांग्लादेश के एक प्रमुख अभिनेता और नेता असदुज्जमां नूर का कहना है कि उनकी पार्टी और सरकार लोगों का नब्ज समझने में विफल रही. उन्होंने अपील की है कि लोग हिंसा से दूर रहें और शहर में बढ़ते तनाव के बीच शांति बनाए रखें. वह शेख हसीना सरकार में 2014-19 के बीच सांस्कृतिक मामलों के मंत्री रहे हैं.

विरोध-प्रदर्शन, और बड़े स्तर पर आगजनी और मारकाट के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने पद से इस्तीफा दे चुकी हैं और देश छोड़ चुकी हैं. उनकी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग के नेता और उनकी सरकार में मंत्री रहे असदुज्जमां नूर ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने निर्वाचन क्षेत्र में स्थित उनके घर में भी आगजनी की है. अवामी लीग के नेता असदुज्जमां बताते हैं कि वे इस अराजकता को देखने से कुछ दिन पहले ही ढाका से लौटे थे.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'बांग्लादेश के बिगड़ते हालात बढ़ाएंगे भारत की मुश्किल', देखें डिफेंस एक्सपर्ट की राय

दस दिन पहले ही शेख हसीना से की थी बात

आजतक से बातचीत में असदुज्जमां ने बताया कि दस दिनों पहले पीएम हसीना से उनकी बातचीत भी हुई थी. उनका मानना है कि प्रदर्शनकारियों ने अपना प्रदर्शन कोटा सिस्टम के खिलाफ जरूर शुरू किया था, लेकिन मुद्दा सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. बांग्लादेश में कुछ महीने पहले ही बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन देखा गया था.

मसलन, जैसे-जैसे लोगों ने अपने प्रदर्शन का दायरा बढ़ाया, अवामी लीग के नेता मानते हैं कि यह स्पष्ट हो गया कि लोग बढ़ती कीमतों और भ्रष्टाचार के खिलाफ भी अपनी नाराजगी जता रहे हैं.

यह भी पढ़ें: भारत की रेल सेवाओं पर भी पड़ा बांग्लादेश की हिंसा का असर, मैत्री स्पेशल समेत रद्द हुईं ये ट्रेनें

Advertisement

बातचीत से अशांति को कम किया जा सकता था

असदुज्जमां नूर ने कहा कि सरकार नागरिकों के साथ पहले से बातचीत करके अशांति को कम कर सकती थी. वह स्वीकार करते हैं कि उनकी पार्टी और सरकार दोनों ही जनता के असल नब्ज को समझने में विफल रहे हैं. वास्तविकता यह है कि मध्यम वर्ग और कामकाजी वर्ग के कई लोग गंभीर वित्तीय बोझ से जूझ रहे हैं, जो आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से और भी बढ़ गया है.

असदुज्जमां ने शांति बहाली पर जोर दिया और कहा कि शांति तभी स्थापित होगी जब राजनीतिक गुटों के बीच स्पष्ट बातचीत हो. उनका कहना है कि सेना प्रमुख के हालिया ऐलान से स्थिरता की उम्मीद जगी है. उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों और देश के लोगों से शांति स्थापित करने की अपील की.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement