भारत में भूकंप और सुनामी की पहले सूचना देने का क्या सिस्टम है, जानिए पूरी डिटेल

भारत में एक सिस्टम है जो भूकंप और सुनामी की पहले से चेतावनी देता है. इसमें सेंसर, रडार और सैटेलाइट लगे हैं जो 10-30 मिनट में अलर्ट भेजते हैं. यह सिस्टम 2007 से काम कर रहा है और लोगों को सुरक्षित रखता है. INCOIS और IMD मिलकर इसे और बेहतर कर रहे हैं. 2004 की त्रासदी के बाद शुरू हुआ यह सिस्टम आज लाखों लोगों की जिंदगी बचा रहा है.

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भूकंप-सुनामी के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को मॉनीटर करते हुए वैज्ञानिक. भूकंप-सुनामी के अर्ली वॉर्निंग सिस्टम को मॉनीटर करते हुए वैज्ञानिक.

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:27 PM IST

भारत एक ऐसा देश है जहां भूकंप और सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाएं कभी-कभी कहर ढाती हैं. 2004 की सुनामी ने हमें सिखाया कि समय रहते चेतावनी मिल जाए तो जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने भूकंप और सुनामी के लिए एक खास चेतावनी प्रणाली बनाई है. इसे समझना बहुत जरूरी है ताकि हम सुरक्षित रहें.

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भारत में चेतावनी सिस्टम क्यों जरूरी है?

भारत की 7500 KM लंबी तटरेखा है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से घिरी है. साथ ही, हिमालय जैसे भूकंप संवेदनशील इलाके भी हैं. 2004 में इंडोनेशिया के पास आए भूकंप से हुई सुनामी ने भारत के तटीय इलाकों में भारी नुकसान पहुंचाया था.

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उस वक्त हमारे पास कोई चेतावनी सिस्टम नहीं था, लेकिन इसके बाद सरकार ने ठान लिया कि हमें अपनी तैयारी मजबूत करनी होगी. यही वजह है कि भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) ने एक मजबूत प्रणाली बनाई, जो आज देश को सुरक्षित रखने में मदद करती है.

यह सिस्टम कैसे काम करता है?

भारत का यह चेतावनी सिस्टम बहुत स्मार्ट तरीके से काम करता है. इसे बनाने में कई विभागों और तकनीकों का इस्तेमाल हुआ है. आइए, इसके मुख्य हिस्सों को समझें... 

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भूकंप का पता लगाना

  • देशभर में भूकंप मापने के लिए एक नेटवर्क है, जिसमें भारतीय मौसम विभाग (IMD) के सिस्मिक स्टेशन शामिल हैं. ये स्टेशन हर वक्त भूकंप की गतिविधि पर नजर रखते हैं.
  • अगर समुद्र के नीचे 6.5 या उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप होता है, तो 10-12 मिनट के अंदर इसे पकड़ लिया जाता है. ये खास तौर पर अंडमान-सुमात्रा और मकरान जैसे सुनामी पैदा करने वाले क्षेत्रों पर फोकस करते हैं.

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समुद्र की गहराई पर नजर

  • समुद्र में 12 बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर (BPR) लगाए गए हैं, जिनमें से 4 बंगाल की खाड़ी में और 2 अरब सागर में हैं. ये डिवाइस पानी के दबाव में बदलाव को 1 सेंटीमीटर तक माप सकते हैं, जो सुनामी की शुरुआत का संकेत देता है.
  • इसके अलावा, 30 ज्वार मापक (Tide Gauges) तटीय इलाकों में लगे हैं, जो सुनामी की लहरों की गति और ऊंचाई को ट्रैक करते हैं.

चेतावनी केंद्र

हैदराबाद में INCOIS का एक 24x7 काम करने वाला सुनामी चेतावनी केंद्र है. यह सेंटर सिस्मिक और समुद्री डेटा को रियल-टाइम में इकट्ठा करता है. एक खास सॉफ्टवेयर इस डेटा को चेक करता है. अगर खतरा दिखे, तो अलर्ट भेजता है.

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संचार प्रणाली

चेतावनी को तुरंत लोगों तक पहुंचाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की INSAT सैटेलाइट का इस्तेमाल होता है. ये अलर्ट गृह मंत्रालय (MHA) और राज्य आपदा प्रबंधन केंद्रों तक पहुंचते हैं, जो फिर तटीय इलाकों के लोगों को सूचित करते हैं.

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चेतावनी कैसे और कब दी जाती है?

यह सिस्टम बहुत तेजी से काम करता है. मान लीजिए समुद्र के नीचे भूकंप आया...

  • पहला कदम (0-20 मिनट): भूकंप की जानकारी 20 मिनट के अंदर गृह मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को भेजी जाती है. अगर अंडमान-निकोबार जैसे करीब के इलाके हैं, तो वहां भी अलर्ट जाता है.
  • दूसरा कदम (30 मिनट): अगर भूकंप की तीव्रता 6.5 से ज्यादा है और गहराई 100 किलोमीटर से कम है, तो 30 मिनट के अंदर सुनामी की चेतावनी जारी होती है. जो इलाके 60 मिनट के अंदर लहरों से प्रभावित हो सकते हैं, उन्हें तुरंत सतर्क किया जाता है.
  • तीसरा कदम (पुष्टि): अगर इलाका 60 मिनट से ज्यादा दूर है, तो BPR और ज्वार मापकों से डेटा की पुष्टि होने के बाद ही चेतावनी दी जाती है. इससे गलत अलर्ट का खतरा कम होता है.

उदाहरण के लिए, अगर उत्तरी इंडोनेशिया में भूकंप आता है, तो अंडमान-निकोबार को तुरंत चेतावनी मिलेगी, लेकिन बाकी जगहों पर तब तक इंतजार होगा जब तक पानी में बदलाव की पुष्टि न हो जाए.

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यह सिस्टम कितना प्रभावी है?

इस सिस्टम की असली परीक्षा 2007 में हुई, जब हिंद महासागर में 8.4 तीव्रता का भूकंप आया था. उस वक्त यह सिस्टम सिर्फ दो साल पुराना था, लेकिन उसने सही समय पर अलर्ट जारी कर लोगों को सुरक्षित रखने में मदद की. 2012 में बांदा अचेह भूकंप के दौरान भी यह सिस्टम कामयाब रहा और गलत अलर्ट से बचाया. आज भारत को UNESCO ने 28 हिंद महासागर रिम देशों के लिए क्षेत्रीय सुनामी सेवा प्रदाता बनाया है, जो इसकी विश्वसनीयता दिखाता है.

भारत में भूकंप की चेतावनी

भूकंप के लिए भी भारत में कोशिशें हो रही हैं. उत्तराखंड में 2021 में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जिसमें 170 त्वरक (Accelerometers) लगाए गए हैं. ये सेंसर भूकंप की शुरुआत का पता लगाकर 70 सेकंड पहले अलर्ट दे सकते हैं. IIT रुड़की इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. एक मोबाइल ऐप "उत्तराखंड भूकंप अलर्ट" भी बनाया गया है, जो लोगों को चेतावनी भेजता है. हालांकि, यह अभी शुरुआती चरण में है. पूरे देश में लागू नहीं हुआ.

क्या हैं चुनौतियां?

  • गलत अलर्ट का खतरा: करीब के इलाकों में जल्दी चेतावनी देने से कभी-कभी गलत अलर्ट हो सकते हैं.
  • तकनीकी सीमाएं: भूकंप से अलग, लैंडस्लाइड या ज्वालामुखी से होने वाली सुनामी का पता लगाना अभी मुश्किल है.
  • जागरूकता: कई तटीय इलाकों में लोग अभी भी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेते.

सावधानी और तैयारी

  • अगर चेतावनी मिले, तो तुरंत ऊंची जगह पर जाएं.
  • रेडियो, टीवी, या मोबाइल अलर्ट पर नजर रखें.
  • स्थानीय आपदा प्रबंधन टीम की सलाह मानें.
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