अंतरिक्ष में सैर का बढ़ रहा ट्रेंड... जानिए आप चाहें तो कितना खर्च आएगा, कैसे होती है ट्रेनिंग?

12 सितंबर 2024 को मानव इतिहास में पहली बार 737 km की ऊंचाई पर स्पेसवॉक हुई. वो भी दो आम इंसानों द्वारा. जो एस्ट्रोनॉट नहीं थे. क्या ऐसे कोई आम इंसान स्पेसवॉक कर सकता है... उसके लिए कितनी कीमत देनी होती है... किस तरह की ट्रेनिंग करनी होती है... कौन ले जाता है ऐसी खतरनाक लेकिन रोमांचक यात्राओं पर?

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स्पेसवॉक करने के लिए सिर्फ पैसे की बात नहीं है, जरूरी होती हैं कई चीजों की नॉलेज और फिजिकल फिटनेस. साथ में शांत दिमाग. (फोटोः गेटी) स्पेसवॉक करने के लिए सिर्फ पैसे की बात नहीं है, जरूरी होती हैं कई चीजों की नॉलेज और फिजिकल फिटनेस. साथ में शांत दिमाग. (फोटोः गेटी)

आजतक साइंस डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

दो आम इंसान. एक अरबपति और दूसरा इंजीनियर. दोनों ने 12 सितंबर 2024 को SpaceX के पोलैरिस डॉन (Polaris Dawn) मिशन के जरिए अंतरिक्ष में स्पेसवॉक की. ड्रैगन कैप्सूल से 737 किलोमीटर ऊपर बाहर निकले. धरती को हाय-हेलो बोला. इन दोनों का नाम है जारेड आइसैकमैन और सारा गिलिस. 

जारेड आइसैकमैन इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी फोर डॉट इन के संस्थापक है. जबकि सारा स्पेसएक्स में इंजीनियर. जारेड ने ही इस मिशन का सारा खर्चा दिया. यात्रा पूरी की. अंतरिक्ष में स्पेसवॉक किया. जारेड ने कहा कि हमें घर आकर बहुत सारा काम करना है, लेकिन जहां मैं हूं, यहां से धरती एक खूबसूरत दुनिया दिखती है. 

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12 सितंबर 2024 को स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से बाहर आकर धरती को निहारते जारेड आइसैकमैन.

सवाल ये है कि ये आम आदमी अंतरिक्ष में कैसे स्पेसवॉक कर सकता है. कितनी कीमत लगती है इस काम के लिए? 

Spacewalk करने के लिए अरबों रुपए देने पड़ते हैं. क्योंकि इसमें कई चीजें शामिल होती है. लेकिन जहां तक बात रही स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल की तो इसकी एक सीट की कीमत करीब 55 मिलियन डॉलर है. यानी 461.41 करोड़ रुपए से ज्यादा. इतने पैसे इसलिए क्योंकि आपको ट्रेनिंग दी जाती है. आपके शरीर के मुताबिक स्पेस सूट तैयार किया जाता है. भयानक स्तर की शारीरिक क्षमता विकसित कराई जाती है. 

कौन जा सकता है... 

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सिर्फ वह व्यक्ति अंतरिक्ष में चहलकदमी कर सकता है जिसका चयन नासा या उसे ले जाने वाली स्पेस कंपनी करें. लेकिन इसमें व्यक्ति के स्किल, अनुभव औऱ शारीरिक फिटनेस पर बहुत ध्यान दिया जाता है. 

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कैसे जाते हैं... 

नासा या स्पेसएक्स या किसी अन्य कंपनी के स्पेसक्राफ्ट में बैठकर. रॉकेट की मदद से स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है. इसके बाद एस्ट्रोनॉट उससे बाहर निकल कर स्पेसवॉक करते हैं. लेकिन तार से बंधे रहते हैं. यही काम स्पेस स्टेशन पर भी होता है. 

ट्रेनिंग में क्या होता है... 

अंतरिक्ष की चरम परिस्थितियों को संभालने के लिए कठिन शारीरिक ट्रेनिंग कराई जाती है. फिजिकल कंडिशनिंग कराई जाती है. स्पेसवॉक से संबंधित तकनीकी और वैज्ञानिक प्रोसीजर का ज्ञान दिया जाता है. स्वीमिंग पूल्स में स्पेसवॉक की ट्रेनिंग होती है. साथ ही वर्चुअल रियल्टी प्रोग्राम्स के तहत ट्रेनिंग होती है. इमरजेंसी ट्रेनिंग कराई जाती है, ताकि अनचाही स्थिति में बचा जा सके. मिशन का ऑबजेक्टिव समझाया जाता है. 

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सिमुलेशन में स्पेसवॉक की प्रैक्टिस कराई जाती है. यंत्रों को जांचने का तरीका सिखाया जाता है. टीम के सदस्यों के साथ बेहतर कॉर्डिनेशन और मिशन कंट्रोल पर काम कराया जाता है. क्योंकि स्पेसवॉक बेहद जटिल और कठिन प्रक्रिया है. इसमें साथ गई टीम के साथ कॉर्डिनेशन जरूरी है. साथ ही फिजिकल-मेंटल फिटनेस और तकनीकी नॉलेज. 

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