एस्ट्रोनॉट्स
एक अंतरिक्ष यात्री यानी एस्ट्रोनॉट्स (Astronauts) एक कमांडर या चालक दल के सदस्य के रूप में मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम द्वारा प्रशिक्षित, सुसज्जित और एक अंतरिक्ष यान पर तैनात किया गया व्यक्ति होता है.
1961 से अब तक 600 अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी है. 2002 तक, अंतरिक्ष यात्रियों को विशेष रूप से सरकारों द्वारा प्रायोजित और प्रशिक्षित किया जाता था. 2004 में निजी रूप से SpaceShipOne की उड़ान के लिए अंतरिक्ष यात्री की एक नई श्रेणी बनाई गई.
"अंतरिक्ष यात्री" शब्द का पहला प्रयोग नील आर. जोन्स ने अपनी 1930 की लघु कहानी "द डेथ्स हेड मेटियोर" में किया था (First use of word Astronauts).
वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यात्री शब्द का पहला औपचारिक उपयोग 1950 में वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री कांग्रेस की स्थापना के दैरान किया था. उसके बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री संघ की स्थापना में इस शब्द का इस्तेमाल किया गया था (Official use of word Astronauts).
NASA अंतरिक्ष यात्री शब्द का उपयोग पृथ्वी की कक्षा या नासा अंतरिक्ष यान में सवार किसी भी चालक दल के सदस्य के लिए करता है. यूरोपीय और एशियन अंतरिक्ष एजेंसी इसी तरह अपने अंतरिक्ष यात्री कोर के सदस्यों के लिए अंतरिक्ष यात्री शब्द का प्रयोग करती है.
5 नवंबर 2025 को शेंझोउ-20 स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष के कचरे ने टक्कर मारी. इसकी वजह से चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री की वापसी टल गई है. तीनों स्पेस स्टेशन पर ही हैं. हीट शील्ड की जांच की जा रही है. इंजीनियर मरम्मत या बिना क्रू के वापसी प्लान कर रहे. लोअर अर्थ ऑर्बिट में लाखों कचरे से खतरा बढ़ गया है.
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सुनीता विलियम्स के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से 3 एस्ट्रोनॉट धरती पर लौटे हैं – अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर और निक हेग, साथ ही रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोर्बुनोव। जानिए इन तीनों के बारे में और उनके मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इस वीडियो में!
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को कुछ हफ़्ते के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा गया था. लेकिन उनके अंतरिक्ष यान, बोइंग स्टारलाइनर में खराबी के कारण वे नौ महीने तक वहां फंसे रहे. लेकिन अब उनकी घर वापसी होने जा रही है.
धरती से लाखों किलोमीटर दूर स्पेस में इंसान की जिंदगी बिल्कुल अलग होती है. एक ऐसी जगह, जहां जीरो ग्रेविटी में रोजमर्रा के काम भी चुनौती बन जाते हैं. ब्रश करना, नहाना, यहां तक कि पानी पीना भी आसान नहीं होता. अक्सर अंतरिक्ष यात्री ऐसे वीडियो शेयर करते हैं, जिनमें स्पेस स्टेशन की डेलीलाइफ दिखती है.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom-4 Mission के लिए मुख्य पायलट के रूप में चुना गया है, जो मार्च से मई 2025 के बीच में होने वाला है. ये स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन ले जाएंगे. यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान के लक्ष्य को साकार करेगा.
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद ऐलान किया कि अमेरिका जल्द ही मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा. उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष की दुनिया में अमेरिका का दमखम देखने को मिलेगा. इस दौरान ट्रंप ने कहा कि हम फिर से दुनिया की सबसे मजबूत सेना बनाएंगे.
12 सितंबर 2024 को मानव इतिहास में पहली बार 737 km की ऊंचाई पर स्पेसवॉक हुई. वो भी दो आम इंसानों द्वारा. जो एस्ट्रोनॉट नहीं थे. क्या ऐसे कोई आम इंसान स्पेसवॉक कर सकता है... उसके लिए कितनी कीमत देनी होती है... किस तरह की ट्रेनिंग करनी होती है... कौन ले जाता है ऐसी खतरनाक लेकिन रोमांचक यात्राओं पर?
23 अगस्त 2024 को पूरे देश में National Space Day मनाया जाएगा. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इसरो ने Gaganyaan के चारों एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो जारी किया है. आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि कैसे इन चारों एयरफोर्स पायलटों की कठिन ट्रेनिंग हुई है.
भारत का एक एस्ट्रोनॉट बहुत जल्द नासा में ट्रेनिंग के लिए जाएगा. ताकि वह स्पेस स्टेश की यात्रा कर सके. यह खुलासा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया है. इसके लिए चार में से किसी एक गगनयात्री को चुना जाएगा. यानी गगनयान मिशन के चारों एस्ट्रोनॉट्स में किसी एक को.
क्या अंतरिक्ष में भोजन का स्वाद बदल जाता है? अंतरिक्ष से जुड़े कई रहस्यों में से एक सवाल यह भी है. आखिर इसके पीछे क्या साइंस है, ऐसा क्यों होता है?
चंद्रमा की सतह पर लंबी दूरी तय करने के लिए नासा अपने एस्ट्रोनॉट्स के लिए कार बनवा रहा है. इस काम के लिए उसने तीन कंपनियों को चुना है.
एस्ट्रोनॉट्स खाना कैसे खाते हैं, पानी कैसे पीते हैं, कैसे नहाते हैं और बाथरूम कहां जाते हैं. लोगों की इसी जिज्ञासा को देखते हुए कई एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष से ही वीडियो शेयर करते हैं. इनमें वो बताते हैं कि अंतरिक्ष में कैसे जरूरी काम किए जाते हैं. देखें वीडियो.
Gaganyaan मिशन की पहली उड़ान 21 अक्टूबर 2023 को होगी. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह घोषणा की. इस उड़ान में पहली बार गगनयान के क्रू मॉड्यूल बिना किसी एस्ट्रोनॉट के अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. फिर उसे वापस बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा. इसके बाद उसकी रिकवरी की जाएगी.
36 साल पहले नासा का स्पेस शटल चैलेंजर उड़ान भरने के 73 सेकेंड्स के बाद हवा में फट गया था. उसमें सवार सातों एस्ट्रोनॉट मारे गए थे. अब कुछ गोताखोरों को स्पेस शटल का एक टुकड़ा फ्लोरिडा के पास अटलांटिक महासागर में मिला है. यह टुकड़ा 20 फीट लंबा है. नासा ने इस पर पुरानी घटना को याद किया है.
हर साल कम से कम 10-12 एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष की यात्रा पर जाते हैं. स्पेसवॉक करते हैं. पर कभी आपने सोचा है कि अंतरिक्ष में मौत हो जाए तो क्या होता है? उसके शरीर के साथ क्या होता है? क्या एस्ट्रोनॉट के शरीर को वापस लाया जाता है? सवाल जरूरी इसलिए हैं क्योंकि अब बहुत से लोग अंतरिक्ष की यात्रा पर जा रहे हैं.
बहुत जल्द चांद पर लैंडिंग साइट को लेकर अमेरिका और चीन में जंग हो सकती है. क्योंकि दोनों की पसंदीदा जगह है चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव. नासा ने हाल ही में 13 लैंडिंग साइट्स की खोज की थी. लेकिन इसमें से कई साइट्स ऐसी हैं कि जो चीन के साथ ओवरलैप कर रही हैं.
चंद्रमा पर इंसान किस जगह उतरेंगे उसकी लिस्ट NASA ने बना ली है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 13 स्थानों की सूची को फाइनल किया गया है. आप देखिए कि नासा के अर्टेमिस मिशन के तहत जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स चंद्रमा पर किस स्थान पर उतरेंगे. इन स्थानों में से ही कोई एक ऐसी जगह होगी...जहां नासा का यान लैंड करेगा.
ISRO Waste Management System: भारतीय अंतरिक्षयात्री जब अंतरिक्ष में धरती का चक्कर लगाएंगे तो टॉयलेट कहां जाएंगे. बड़ा सवाल है. लेकिन ISRO ने इसका जवाब भी खोज लिया है. उन्होंने गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए एक बेहतरीन टॉयलेट बनाया है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
Kidney Stones In Astronauts: आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अंतरिक्ष यात्रा करने वाले एस्ट्रोनॉट्स को भारी कीमत भी चुकानी पड़ती है. अंतरिक्ष की यात्रा उन्हें रोमांच के साथ-साथ किडनी की पथरी भी देती है. अब रिसर्च की जा रही है कि ऐसा क्यों है? इसका जवाब अब अंतरिक्ष में चूहे देंगे.