समंदर से तबाही... Cyclone Ditwah को लेकर दुनिया को क्यों चिंता करनी चाहिए?

चक्रवात दित्वाह ने श्रीलंका में 390+ लोगों की जान ली. 10 लाख लोगों को प्रभावित किया और 20 साल की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आया. अब तमिलनाडु-चेन्नई में भारी बारिश से 3 मौतें हो चुकी हैं. सैकड़ों उड़ानें रद्द हुई है. जलवायु परिवर्तन से ऐसे चक्रवात, टाइफून और हरिकेन तेज व घातक हो रहे हैं.

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चक्रवात दित्वाह की वजह से आई बाढ़ में डूबा अपना घर देखता दंपत्ति. (Photo: Reuters) चक्रवात दित्वाह की वजह से आई बाढ़ में डूबा अपना घर देखता दंपत्ति. (Photo: Reuters)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

चक्रवात दित्वाह 2025 के उत्तर हिंद महासागर साइक्लोन सीजन का चौथा चक्रवात है, जो 26 नवंबर को श्रीलंका के दक्षिण-पूर्वी तट के पास बना. यह यमन द्वारा सुझाए गए नाम से जाना जाता है, जो सोकोट्रा द्वीप की डेटवा जलसंधि से लिया गया है. दित्वाह ने श्रीलंका में यह 20 सालों की सबसे भयानक बाढ़ लेकर आया. 10 लाख लोग प्रभावित हुए और 400 से ज्यादा लापता बताए जा रहे हैं.

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390 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. फिर यह बंगाल की खाड़ी में चला गया. भारत के तमिलनाडु तट के साथ-साथ चलते हुए कमजोर हो गया. 2 दिसंबर 2025 तक यह डीप डिप्रेशन बन चुका था, लेकिन चेन्नई, तिरुवल्लुर और कांचीपुरम जैसे इलाकों में भारी बारिश जारी रखी. रेड अलर्ट जारी होने से स्कूल-कॉलेज बंद हो गए. 83 उड़ानें रद्द हुईं और सड़कें जलमग्न हो गईं. तमिलनाडु में 3 लोगों की मौत हुई और 149 मवेशी मारे गए. 

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चक्रवात, तूफान या हरिकेन कैसे बनते हैं? 

चक्रवात, तूफान (टाइफून) या हरिकेन – ये सब एक ही तरह के तूफान हैं, जिन्हें ट्रॉपिकल साइक्लोन कहा जाता है. ये गर्म समुद्री जल पर बनते हैं और घूमते हुए बादलों का एक बड़ा चक्र बनाते हैं. वैज्ञानिक कारण सरल हैं...

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  • गर्म समुद्री जल: समुद्र का तापमान कम से कम 26-27 डिग्री सेल्सियस (80°F) होना चाहिए. यह गर्मी हवा को गर्म करती है, जो ऊपर उठती है. जैसे चाय उबलते समय भाप बनती है, वैसे ही गर्म नम हवा ऊपर उठकर बादल बनाती है.
  • नमी और कम दबाव: ऊपर उठी हवा ठंडी होकर कंडेंस होती है, जिससे भारी बारिश होती है. इससे नीचे कम दबाव का क्षेत्र बनता है, जो और हवा को खींचता है.
  • पृथ्वी का घूर्णन: पृथ्वी के घूमने से हवा को घुमावदार बनाता है. उत्तरी गोलार्ध में क्लॉकवाइज और दक्षिणी में एंटी-क्लॉकवाइज.
  • कम हवा का विरोध: ऊपरी हवाओं में ज्यादा हलचल न हो, ताकि तूफान मजबूत बने. अगर हवा ज्यादा तेज हो, तो तूफान कमजोर हो जाता है.

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ये तूफान भूमध्यरेखा से कम से कम 5 डिग्री दूर बनते हैं. जब हवा की रफ्तार 119 किमी/घंटा से ज्यादा हो जाती है, तो इसे चक्रवात (भारतीय महासागर), टाइफून (पश्चिमी प्रशांत) या हरिकेन (अटलांटिक) कहते हैं. जलवायु परिवर्तन से समुद्र गर्म हो रहे हैं, जिससे ये तूफान ज्यादा तेज, ज्यादा बारिश वाले और लंबे समय तक चलने वाले बन रहे हैं.

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ये तूफान दुनिया के लिए क्यों खतरनाक हैं?

चक्रवात, टाइफून या हरिकेन सिर्फ तेज हवाओं के नहीं, बल्कि कई खतरे लाते हैं. ये दुनिया को प्रभावित करते हैं क्योंकि...

  • बाढ़ और भूस्खलन: भारी बारिश से नदियां उफान मारती हैं. सड़कें-घर डूब जाते हैं. हरिकेन कैटरीना (2005) में 75% मौतें बाढ़ से हुईं.
  • तूफानी लहरें (स्टॉर्म सर्ज): हवाएं समुद्र को ऊंचा उठा देती हैं, जो तटों पर 5-10 मीटर ऊंची लहरें लाती हैं. इससे तटीय इलाके तबाह हो जाते हैं.
  • तेज हवाएं और बवंडर: 250 किमी/घंटा तक की हवाएं घर, पेड़ उड़ा लेती हैं और छोटे-छोटे बवंडर पैदा करती हैं.
  • लंबे प्रभाव: ये तूफान सैकड़ों किलोमीटर अंदर तक जाते हैं, जिससे सूखा प्रभावित इलाकों में भी बाढ़ आ जाती है. आर्थिक नुकसान अरबों डॉलर का होता है. लाखों लोग बेघर हो जाते हैं.
  • जलवायु परिवर्तन का असर: ग्लोबल वॉर्मिंग से तूफान 10% ज्यादा बारिश लाते हैं. कैटेगरी 4-5 के तूफान दोगुने हो गए हैं. एशिया में 60% तटीय आबादी प्रभावित होती है, जहां गरीबी ज्यादा है.

सालाना ये तूफान 85 बार बनते हैं, जिनमें से 45 मजबूत हो जाते हैं. पिछले 50 सालों में इन्होंने 7.79 लाख मौतें और 1.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान किया है. 

2024-2025 के भयानक तूफान

पिछले दो सालों में ये तूफान ज्यादा घातक बने. कुछ उदाहरण...

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  • हरिकेन हेलेन (2024, अटलांटिक): कैटेगरी 4 का यह तूफान अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी तट पर आया. करीब 1300 किलोमीटर अंदर तक बाढ़ और हवाओं ने 78.7 बिलियन डॉलर का नुकसान किया. 200 से ज्यादा मौतें, ज्यादातर बाढ़ से. यह अमेरिका में कटरीना के बाद सबसे घातक हरिकेन था. 
  • हरिकेन मिल्टन (2024, अटलांटिक): एक दिन में कैटेगरी 5 बना, 290 किमी/घंटा हवाओं के साथ. फ्लोरिडा में 34.3 बिलियन डॉलर नुकसान. जलवायु परिवर्तन ने इसकी बारिश दोगुनी कर दी.
  • टाइफून यागी (2024, प्रशांत): दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे घातक, 844 मौतें (म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपींस). चीन में 28 बिलियन डॉलर नुकसान.
  • टाइफून कलमाएगी (2025, प्रशांत): फिलीपींस में 269 मौतें, सेबू और नेग्रोस द्वीपों पर भारी बाढ़. वियतनाम की ओर बढ़ा.
  • हरिकेन मेलिसा (2025, अटलांटिक): कैटेगरी 5, जमैका पर लैंडफॉल. 102 मौतें, ज्यादातर हैती-जमैका में. 2025 में तीसरा कैटगरी 5 तूफान.

ये उदाहरण दिखाते हैं कि तूफान तेजी से मजबूत हो रहे हैं, और प्रभाव दूर-दराज इलाकों तक पहुंच रहा है.

दुनिया को चिंता क्यों? और क्या करें?

चक्रवात दित्वाह जैसा तूफान श्रीलंका-भारत तक सीमित लगता है, लेकिन ये वैश्विक समस्या हैं. 40% आबादी तटों पर रहती है. जलवायु परिवर्तन से तूफान ज्यादा तीव्र हो रहे हैं. एशिया-अफ्रीका में गरीब देश सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं, जहां पुनर्निर्माण मुश्किल हो जात है. आर्थिक नुकसान से वैश्विक व्यापार प्रभावित होता है – जैसे दित्वाह ने उड़ानें रद्द कर दीं. लंबे समय में, ये बाढ़ फसलें बर्बाद करती हैं. भुखमरी फैलाती हैं और लोग माइग्रेट करते हैं. 

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समाधान: जलवायु परिवर्तन रोकें – कार्बन उत्सर्जन कम करें. मजबूत चेतावनी सिस्टम, वनों की रक्षा और बाढ़-रोधी इमारतें बनाएं. दित्वाह ने साबित किया – पहले से तैयारी से जानें बचाई जा सकती हैं. दुनिया को एकजुट होकर इन तूफानों से लड़ना होगा, वरना भविष्य और खतरनाक होगा.

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