भारतीय थलसेना की दक्षिणी कमांड ने 1 दिसंबर 2025 को बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का कॉम्बैट लॉन्च किया. यह लॉन्च सिर्फ एक टेस्ट नहीं था, बल्कि युद्ध जैसी स्थिति में मिसाइल की ताकत दिखाने का मौका था. मिसाइल ने 3457.44 km/hr की गति से उड़ान भरी और दूर समुद्र में बने टारगेट को बिल्कुल सटीक निशाना मारा.
एक मीटर के सर्कुलर एरर प्रॉबेबल (CEP) के साथ – यानी टारगेट से ज्यादा से ज्यादा एक मीटर दूर – यह हिट इतना परफेक्ट था कि दुश्मन का कोई रक्षा तंत्र इसे रोक ही न पाए. दक्षिणी कमांड ने कहा कि यह लॉन्च भारत की लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता को मजबूत करता है. हमारी आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. यह #BattleReadyBharat की भावना को सलाम करने वाला पल था.
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ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसका नाम ब्रह्मपुत्र नदी और मॉस्कवा नदी से लिया गया है. 1998 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 2005 में भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. शुरू में इसकी रेंज सिर्फ 290 km थी, क्योंकि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) के नियमों के तहत 300 km से ज्यादा रेंज की मिसाइलें एक्सपोर्ट नहीं की जा सकती थीं. 2016 में भारत के MTCR में शामिल होने के बाद रेंज बढ़ाया गया.
पहले 450-500 km का एक्सटेंडेड रेंज (ER) वर्जन आया, जो 2017 में टेस्ट हुआ. अब 2025 में 800 km का कॉम्बैट लॉन्ग रेंज वर्जन आ गया है, जो मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुआ. यह मिसाइल जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से लॉन्च हो सकती है – इतनी बहुमुखी कि थलसेना, नौसेना और वायुसेना तीनों इसका इस्तेमाल करती हैं.
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यह नया वर्जन पुराने से कहीं ज्यादा खतरनाक है. मुख्य बदलाव ये हैं...
ये बदलाव इसे मारो और भाग जाओ वाली मिसाइल बनाते हैं – दुश्मन को पता ही नहीं चलता कि हमला आ गया.
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यह वर्जन पहली बार मई 2025 के ऑपरेशन सिंदूर में उतरा. 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7-10 मई को यह ऑपरेशन चलाया. वायुसेना ने Su-30MKI से 12-15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं, जो पाकिस्तान के 11 बड़े एयरबेस (जैसे रफिकी, सरगोधा, नूर खान, मुरिद) को नेस्तनाबूद कर दिया.
जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 कैंप उजड़ गए, 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए. पाकिस्तान के चाइनीज एयर डिफेंस सिस्टम इसे रोक न सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ब्रह्मोस की सटीकता ने युद्ध बदल दिया. इस सफलता के बाद भारत ने 800 किमी वर्जन को तेजी से डिप्लॉय करने का फैसला किया.
कुल मिलाकर, 2025 तक 1000 से ज्यादा ब्रह्मोस तैनात. नई वर्जन को रेट्रोफिट करना आसान – सॉफ्टवेयर अपडेट से पुरानी मिसाइलें भी 800 किमी कर लेंगी.
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ब्रह्मोस का यह नया अवतार 2025 को भारत के लिए मिसाइल ईयर बना देगा. ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और हालिया कॉम्बैट लॉन्च से साबित हो गया – हमारी सेना हमेशा तैयार, हमेशा आगे.
ऋचीक मिश्रा