महिलाओं ने रसोई में प्रयोग होने वाले पदार्थों से हर्बल रंग तैयार किया है. होली के इन रंगों की पूरे देश में तेजी से मांग बढ़ रही है. इन रंगों की मांग दिल्ली-मुंबई तक में हो रही है. रसोई की चीजों से बने हर्बल रंग का यह काम नैनीताल में बहुत जोरों पर हो रहा है.
रंगों के पर्व होली का आगाज हो चुका है. सरोवर नगरी नैनीताल में भी इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. होली पर केमिकल युक्त रंगों का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है. इससे शरीर पर बुरा असर पड़ता है. यदि हर्बल रंगों से होली खेली जाए तो पर्व का आनंद कुछ और ही होता है. इसीलिए नैनीताल में हर्बल रंगों को लेकर नया प्रयोग हुआ है.
महिलाएं इको फ्रेंडली, हर्बल रंग बनाने में जुटी हुई हैं जिससे होली के दौरान इन रंगों का प्रयोग हो सके. लोगों को किसी प्रकार की त्वचा रोग या अन्य प्रकार की बीमारियों का सामना करना न पड़े इसलिए हर्बल रंग पर जोर दिया जा रहा है.
नैनीताल में महिलाएं आटा, अरारोट, मक्के का आटा, खाने में प्रयोग होने वाला रंग और इत्र समेत फूलों को पीसकर हर्बल रंग तैयार करती हैं जिससे इस होली को हर्बल और इको फ्रेंडली बनाया जा सके.
हर्बल रंग तैयार कर रही महिला किरन तिवारी का कहना है कि उन्हें अचानक से इस तरह से रंग बनाने की तरकीब सूझी. उन्होंने एक किलो रंग बनाने के बाद अपनी तरकीब दूसरी महिला मित्र नायला खान से साझा की. इसके बाद दोनों ने मिलकर करीब 10 किलो रंग तैयार किया.
रंग की गुणवत्ता और उसके औषधीय गुणों को देखकर उनके बनाए रंगों की तेजी से चर्चा होने लगी. अब इन महिलाओं ने करीब 100 किलो से ज्यादा रंग तैयार कर लिया है जिसकी मांग नैनीताल ही नहीं बल्कि हल्द्वानी, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई समेत कई अन्य महानगरों में हो रही है.
नैनीताल में मुस्लिम परिवार होली के लिए हर्बल रंग तैयार कर रहा है. मुस्लिम महिला नायला का कहना है कि उनकी दोस्त ने रंग बनाने की विधि के बारे में बताया. उन्होंने हर्बल रंग बनाने का बीड़ा उठाया और आज उनका रंग नैनीताल समेत पूरे देश में धूम मचा रहा है.