'पारदर्शिता से तैयार हुई मतदाता सूची, सभी सियासी दलों की रही भागीदारी', ECI ने 10 पॉइंट्स में समझाई पूरी प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने 10 बिंदुओं में बयान जारी कर कहा कि अगर मुद्दे उसी समय उठाए जाते, तो संबंधित इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) उन्हें जांचकर सही पाए जाने पर सुधार कर सकते थे.

Advertisement
चुनाव आय़ोग ने 10 पॉइंट में वोटर लिस्ट जारी करने की प्रक्रिया समझाई  (File Photo: ITG/RanjanRahi) चुनाव आय़ोग ने 10 पॉइंट में वोटर लिस्ट जारी करने की प्रक्रिया समझाई (File Photo: ITG/RanjanRahi)

हिमांशु मिश्रा / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने शनिवार को राजनीतिक दलों और नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले चुनावों की मतदाता सूचियों में कथित गड़बड़ियों को लेकर उठाई जा रही चिंताएं निराधार हैं. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इसी उद्देश्य से क्लेम्स और ऑब्जेक्शंस (दावे और आपत्तियां) की अवधि तय की जाती है, ताकि समय रहते गड़बड़ियों को सुधारा जा सके.

Advertisement

चुनाव आयोग ने 10 बिंदुओं में बयान जारी कर कहा कि अगर मुद्दे उसी समय उठाए जाते, तो संबंधित इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) उन्हें जांचकर सही पाए जाने पर सुधार कर सकते थे.

1. चुनाव आयोग ने कहा कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों की व्यवस्था कानून द्वारा तय की गई है और यह कई स्तरों पर होती है.

2. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) जो आमतौर पर एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं, बूथ स्तर अधिकारियों (BLO) की मदद से मतदाता सूची तैयार करते हैं और उसे अंतिम रूप देते हैं. मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी ERO और BLOs की होती है.

3. जब मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित होती है, तो उसकी डिजिटल और छपी हुई प्रतियां सभी राजनीतिक दलों को दी जाती हैं और आम जनता के लिए आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहती हैं. इसके बाद एक महीने का समय दिया जाता है, ताकि लोग और राजनीतिक दल अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज करा सकें और गलतियों को सुधारा जा सके.

Advertisement

4. अंतिम सूची प्रकाशित होने पर भी इसकी प्रतियां राजनीतिक दलों को दी जाती हैं और यह वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है.

5. यदि किसी को आपत्ति हो तो वह दो स्तर पर अपील कर सकता है. पहली जिला मजिस्ट्रेट के पास और दूसरी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास.

6. कानून, नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार मतदाता सूची तैयार करने में अत्यधिक पारदर्शिता बरती जाती है.

7. हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राजनीतिक दल और उनके बूथ स्तर एजेंट (बीएलए) ने सही समय पर मतदाता सूची का परीक्षण नहीं किया और अगर कोई त्रुटि थी तो उसे  एसडीएम/ईआरओ, डीईओ या सीईओ को नहीं बताया.

8. हाल ही में कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति मतदाता सूचियों में त्रुटियों के बारे में मुद्दे उठा रहे हैं, जिनमें पूर्व में तैयार की गई मतदाता सूचियां भी शामिल हैं.

9. मतदाता सूचियों से जुड़ा कोई भी मुद्दा उठाने का उचित समय दावे और आपत्तियों की अवधि के दौरान ही होता है. यही कारण है कि मतदाता सूची की प्रतियां राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को साझा की जाती हैं. यदि ये मुद्दे सही समय पर सही माध्यमों से उठाए गए होते, तो संबंधित एसडीएम/ईआरओ को चुनावों से पहले, यदि वास्तविक गलतियां होतीं तो उन्हें सुधारने में मदद मिलती.

Advertisement

10. निर्वाचन आयोग लगातार राजनीतिक दलों और किसी भी मतदाता द्वारा मतदाता सूची की जांच-पड़ताल का स्वागत करता है. इससे एसडीएम/ईआरओ को त्रुटियों को दूर करने और मतदाता सूची को और अधिक शुद्ध बनाने में मदद मिलेगी, जो हमेशा से ईसीआई का मुख्य उद्देश्य रहा है.

राहुल गांधी ने उठाए सवाल

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आयोग पर तीखा हमला तेज कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 लोकसभा चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर वोटर मैनिपुलेशन हुआ और भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए मतदाता सूचियों में फर्जी नाम जोड़े गए. राहुल गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे अहम राज्यों में लाखों फर्जी मतदाता सूची में शामिल किए गए. उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र (बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट) में ही एक लाख से अधिक फर्जी वोट डाले गए, जबकि भाजपा यह सीट 32,707 वोटों से जीती थी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement