लुधियाना में 2752% तो कुल्लू में 1218 फीसदी बारिश... पंजाब समेत चार राज्यों में सैलाब ने मचाया हाहाकार

पंजाब में मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने 12 जिलों में तबाही मचाई है, 1,018 गांव जलमग्न हैं, और 3 लाख एकड़ फसल बर्बाद हो चुकी है. राज्य में अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख लोग प्रभावित हैं. सेना, एनडीआरएफ, बीएसएफ राहत कार्यों में जुटे हैं.

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 पंजाब के कपूरथला में बाढ़ के बीच फंसे लोगों को रेस्क्यू करते भारतीय सेना के जवान. (Photo: PTI) पंजाब के कपूरथला में बाढ़ के बीच फंसे लोगों को रेस्क्यू करते भारतीय सेना के जवान. (Photo: PTI)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:04 PM IST

पंजाब में मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है. राज्य के 23 में से 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. पंजाब में सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के उफान पर होने से गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, कपूरथला, होशियारपुर समेत 12 जिलों में बाढ़ आई है. पंजाब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 1018 गांव जलमग्न हैं और 3 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि में लगी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. बाढ़ के कारण पंजाब में अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है, और 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है. सीएम मान ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये की मांग की है और किसानों के लिए आपदा राहत कोष के मुआवजे को 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति एकड़ करने की अपील की है. सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीएसएफ और पंजाब पुलिस ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में पूरी ताकत झोंक दी है. अब तक 11,300 लोगों को बचाया गया और 4,700 को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. 

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अमृतसर में ड्रोन से दूध पाउडर, पानी और सूखा राशन पहुंचाया जा रहा है. फिरोजपुर में बीएसएफ गांव-गांव जाकर लोगों को निकाल रही है. लुधियाना में सीवर ओवरफ्लो और सड़कों पर सैलाब ने हालात बदतर कर दिए हैं. रोपड़ समेत नए इलाके अलर्ट पर हैं कि कहीं उनमें बाढ़ का पानी ना घुस जाए. पंजाब के गायक और कलाकार भी मदद में जुटे हैं. सुनंदा शर्मा गांव-गांव राहत सामग्री बांट रही हैं, गुरदास मान ने 25 लाख रुपये और 5 लाख की दवाएं दान की हैं, जबकि दिलजीत दोसांझ ने 10 गांवों को गोद लिया है. 

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पहाड़ी राज्यों पर आफत बनकर टूटा मानसून

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश और भूस्खलन ने तबाही मचाई है. हिमाचल में 20 जून से 30 अगस्त तक 91 फ्लैश फ्लड, 45 क्लाउडबर्स्ट और 95 बड़े भूस्खलन हुए हैं. हिमाचल में भाखड़ा नांगल डैम भरा हुआ है, गोविंद सागर लेक पानी से लबालब है और खतरे के निशान के पास है. उसके 4 गेट खोले जा चुके हैं. मूसलाधार बारिश ने मनाली में डर का माहौल पैदा कर दिया है. वहीं रेड अलर्ट ने इसे और गंभीर बना दिया है. 

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हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी उफान पर है. कुल्लू-मनाली का संपर्क टूट गया है. NH-3 नदी में समाया है, हाईवे की जगह पानी दिख रहा है. सड़क पर ब्यास नदी के बहाव में आया मलबा बह रहा है. उफनती ब्यास नदी ने मनाली को ओल्ड मनाली से जोड़ने वाले पुल को तहस-नहस कर दिया है. हिमाचल की तरह ही उत्तराखंड में भी भारी बारिश ने मुसीबत बढ़ा दी है. उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे भूस्खलन के कारण बंद हैं. उत्तरकाशी के स्याना चट्टी में बड़कोट नगर पालिका के दर्जनभर से अधिक मकानों में दरारें आ गई हैं, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं.

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जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण सलाल डैम के गेट खोल दिए गए हैं, ताकि पानी के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके. जम्मू, डोडा, भद्रवाह, किश्तवाड़, रियासी में मूसलाधार से संकट बढ़ गया है. जम्मू में तवी नदी रौद्र रूप धारण किए हुए है. केंद्र शासित प्रदेश में लैंडस्लाइड के कारण 2500 सड़कें प्रभावित हुईं हैं. इनमें से 60 फीसदी को बहाल कर दिया गया है. करीब एक हजार सड़कें अब भी बंद हैं. ज्यादातर सड़कें ग्रामीण इलाकों में हैं. पीडब्ल्यूडी के अनुसार 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है.

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जलवायु परिवर्तन और मानवीय लापरवाही

भारत में इस साल जून से अगस्त तक 743.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य  700.7 मिमी से 6% अधिक है. जून में 180 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 9% ज्यादा है. जुलाई में 294.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 5% ज्यादा है और अगस्त में 268.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 5.2% ज्यादा है. राष्ट्रीय राजधानी  दिल्ली में इस साल अब तक गत 15 वर्षों में सबसे ज्यादा बारिश हुई है. जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में 24 घंटे में 630 मिमी और देहरादून में एक दिन में 3 बार 175 मिमी से ज्यादा बारिश हुई
है, जो एक रिकॉर्ड है. पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक यह स्पष्ट रूप से जलवायु परिवर्तन का असर है, जिस कारण मानसून की तीव्रता बढ़ी है. साथ ही नदियों के फ्लडप्लेन (Floodplain) में अतिक्रमण और अवैध निर्माण ने बाढ़ को घातक बना दिया है. 

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