विपक्ष ने पूछा- कहां हैं आपकी डिप्लोमेसी? जयशंकर ने तहव्वुर राणा और TRF का जिक्र कर दिया जवाब

एस जयशंकर ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग मानते थे कि 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद कोई कार्रवाई नहीं करना ही सबसे अच्छी प्रतिक्रिया थी, वे सवाल उठा रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया.

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर. (Photo: X/@SansadTV) भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर. (Photo: X/@SansadTV)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:46 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलागाम आतंकी हमले पर चर्चा में हिस्सा लिया. उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए 26/11 हमलों के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण और 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित करने को भारत की महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत बताया. बता दें कि टीआरएफ ने पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी.

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एस जयशंकर ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग मानते थे कि 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद कोई कार्रवाई नहीं करना ही सबसे अच्छी प्रतिक्रिया थी, वे सवाल उठा रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया. उन्होंने पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार की टीआरएफ का बचाव करने तथा इस आतंकवादी संगठन को चर्चाओं और बयानों से बाहर रखने के बारे में की गई पिछली टिप्पणियों को याद दिलाया. 

उन्होंने कहा, 'जब 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मामले पर बहस कर रही थी, तब तक टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी दो बार ली थी. पाकिस्तान टीआरएफ के बचाव में आगे आया. पाकिस्तान ने टीआरएफ का जिक्र चर्चा से बाहर रखने की कोशिश की. दरअसल, पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने अपनी संसद को बताया कि यह (बहिष्कार) एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है.'

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हमारी कूटनीति से ही TRF आतंकी संगठन घोषित

एस जयशंकर ने कहा, 'हमारी फॉरेन डिप्लोमेसी की बदौलत, टीआरएफ को अमेरिका द्वारा वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. और वही पाकिस्तानी विदेश मंत्री, जो टीआरएफ का बचाव करने में इतना गर्व महसूस करते थे, अब कह रहे हैं, अगर अमेरिका ने ऐसा किया है, तो हम इसे स्वीकार करते हैं.' जयशंकर ने कहा कि अमेरिका के साथ किसी भी बातचीत में ऑपरेशन सिंदूर के साथ व्यापार का कोई संबंध नहीं था और सैन्य कार्रवाई रोकने का अनुरोध पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ चैनल के माध्यम से आया था.

उन्होंने कहा, 'मैं दो बातें बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं. अमेरिका के साथ किसी भी बातचीत में किसी भी स्तर पर व्यापार और जो कुछ चल रहा था, उससे कोई संबंध नहीं था. दूसरी बात, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून तक कोई बातचीत नहीं हुई थी.' जयशंकर ने यह भी कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत की कूटनीति का ही नतीजा था कि संयुक्त राष्ट्र के 190 सदस्य देशों में से केवल तीन ने ही ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया. 

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विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को एक स्पष्ट, मजबूत और दृढ़ संदेश देना महत्वपूर्ण था, क्योंकि हमारी रेड लाइन पार हो गई थी और हमें यह स्पष्ट कर देना था कि इसके गंभीर परिणाम होंगे. उन्होंने कहा, 'जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था, तो हमने अपना उद्देश्य स्पष्ट किया था कि यह पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ढांचे पर हमला है. हमारी कार्रवाई सटीक, नपी-तुली और बिना उकसावे वाली थी और हम इस प्रतिबद्धता पर खरे उतरे कि उन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को सबक सीखाना होगा.'

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PAK ने सीजफायर के लिए कई देशों से लगाई गुहार

पाकिस्तान के खिलाफ सरकार के कूटनीतिक हमले के बारे में बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक इस्लामाबाद आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं कर देता. उन्होंने कहा, '10 मई को हमें अन्य देशों से फोन कॉल आए, जिनमें यह धारणा व्यक्त की गई कि पाकिस्तान लड़ाई रोकने के लिए तैयार है. हमारा रुख यह था कि अगर पाकिस्तान तैयार है, तो हमें डीजीएमओ चैनल के जरिए पाकिस्तानी पक्ष से यह अनुरोध प्राप्त करना होगा. यह अनुरोध बिल्कुल इसी तरह आया.' 

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जयशंकर की यह टिप्पणी सदन में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई द्वारा ट्रंप के इस दावे को लेकर सरकार की आलोचना करने के बाद आई है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के लिए व्यापार वार्ता रोकने की धमकी दी थी. गोगोई ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप 26 बार यह दावा कर चुके हैं. कांग्रेस ट्रंप की टिप्पणी को लेकर सरकार पर बार-बार हमला कर रही है. 

ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया पर घोषणा की कि वाशिंगटन की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं. तब से उन्होंने कई अवसरों पर अपने इस दावे को दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में मदद की है. हालांकि, भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष समाप्त करने पर सहमति दोनों सेनाओं के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी थी. 

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पहलगाम में आतंकियों ने की थी 26 पर्यटकों की हत्या

पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस कायराना हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. भारत के हवाई हमले में 9 आतंकी ठिकाने तबाह हो गए थे और कम से कम 100 आतंकी मारे गए थे.

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इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने चार दिनों तक भार पर ड्रोन और मिसाइल से हमले की नाकाम कोशिश की. जवाब में भारत ने उसके 12 एयरबेस पर बमबारी की, जिसमें दुश्मन मुल्क को भारी नुकसान उठाना पड़ा. भारत का प्रहार इतना प्रचंड था कि पाकिस्तान ने महज चार दिन में घुटने टेक दिए और उसकी सेना के डीजीएमओ ने अपने भारतीय समकक्ष से संघर्षविराम का अनुरोध किया.

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