चुनावी वादे पर कमलनाथ का यू-टर्न, कहा- बेरोजगारी भत्ता देने का कोई प्लान नहीं

बेरोजगारी भत्ता की आस लगाए युवाओं को मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बड़ा झटका दिया है. फिलहाल कमलनाथ सरकार का बेरोजगारी भत्ता देने का कोई प्लान नहीं है.

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो-IANS) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो-IANS)

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल,
  • 24 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 8:11 AM IST

बेरोजगारी भत्ता की आस लगाए युवाओं को मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने बड़ा झटका दिया है. फिलहाल कमलनाथ सरकार का बेरोजगारी भत्ता देने का कोई प्लान नहीं है. इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक मुन्नालाल गोयल के प्रश्न का उत्तर देते हुए दी.

दरअसल, पिछले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र (घोषणापत्र) में प्रदेश के युवाओं को चार हजार रुपए तक का बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था,लेकिन विधानसभा में जब विधायक मुन्नालाल गोयल ने सवाल पूछा कि पंजीकृत बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने या उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने की कोई नीति सरकार बना रही है?' इसके सीएम कमलनाथ ने लिखित में जवाब दिया 'जी नहीं'.

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इससे पहले बेरोजगारी भत्ता को लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा था कि सरकार ने युवाओं के साथ छलावा किया. चुनाव के पहले बेरोजगार युवाओं को 4 हजार प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ते का वचन दिया था, लेकिन बेरोजगारी भत्ते को लेकर बजट में कोई भी स्पष्ट उल्लेख नहीं किया. सिर्फ बातोँ में घुमाने का प्रयास किया.

गोपाल भार्गव ने कहा था कि कमलनाथ सरकार को मावा बाटी, जलेबी और चिरौंजी बर्फी की ब्रांडिंग करने के बजाय ठोस काम करने की जरूरत है. सरकार ने चुनाव के पहले जनता को जो वचन दिए थे, उन्हें पुरे करने की इस बजट में कोई मंशा नही दिखाई देती है.

गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार ने युवा स्वाभिमान योजना का ऐलान किया था. इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाया जाना था. मध्य प्रदेश कैबिनेट ने इस योजना को लागू करने पर मंजूरी दे दी थी.

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मध्य प्रदेश सरकार ने शहरी कमजोर तबके के युवाओं को रोजगार देने का खाका तैयार किया था. योजना के तहत युवाओं को साल में 100 दिन का प्रशिक्षण और रोजगार मिलना था. इस अवधि में इन युवाओं को कुल मिलाकर 13 हजार रुपए यानी 4000 रुपए महीने के हिसाब से मानदेय भी दिया जाना था. जिससे कमलनाथ सरकार मुकर गई है.

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