झारखंड में भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स! महागठबंधन के विधायक 3 बसों में खूंटी शिफ्ट

झारखंड में सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लगातार दूसरे दिन विधायकों की बैठक बुलाई थी. बैठक खत्म होने के बाद सीएम सोरेन 3 बसों में विधायकों को लेकर निकले हैं. माना जा रहा था कि सभी विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजा जा सकता है. हालांकि, अब जानकारी है कि यूपीए के सभी विधायकों को खूंटी के रिसॉर्ट में शिफ्ट किया जा रहा है.

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विधायकों के साथ बस में सवार सीएम हेमंत सोरेन विधायकों के साथ बस में सवार सीएम हेमंत सोरेन

अशोक सिंघल / सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 27 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

रांची के सीएम आवास से बैठक खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने विधायकों को 3 बसों में लेकर निकले हैं. उन्हें सुरक्षित रिसॉर्ट में ले जाया गया है. इसके साथ ही सभी विधायकों का फोन ऑफ कराया गया है. पहले कयास लगाए जा रहे थे कि विधायकों को छत्तीसगढ़ में शिफ्ट किया जाएगा. हालांकि, अब नई जानकारी आई है कि यूपीए के विधायकों को झारखंड में ही रखा जाएगा. यहां खूंटी के रिसॉर्ट में शिफ्ट करने की तैयारी है. दरअसल जब विधायक मीटिंग में शामिल होने पहुंचे थे तो उनकी गाड़ियों में बैग और अन्य सामान भी दिखाई दिया था. 

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संभावना इसलिए जताई जा रही थी कि झारखंड के यूपीए के विधायकों को प्रदेश से बाहर कहीं भी भेजा जा सकता है, इनमें सबसे ज्यादा अटकलें छत्तीगढ़ भेजने की लगाई जा रही थी. छत्तीसगढ़ को लेकर इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि विधायकों को ऐसे प्रदेश में शिफ्ट किया जा सकता है, जहां यूपीए की मजबूत सरकार है. हालांकि, अब सूत्रों ने बताया है कि सभी विधायक खूंटी के किसी रिसॉर्ट में शिफ्ट हो रहे हैं. महागठबंधन के सभी विधायक एक साथ हैं. कांग्रेस के विधायक शाम को 8:30 बजे मीटिंग में शामिल होंगे.

वहीं, अब खबर आ रही है कि खूंटी जाने वाले विधायकों के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. यहां लतरातु जाने वाले हर रास्ते पर आवागमन रोका गया है. मीडिया को पैदल जाने से भी रोक दिया जा रहा है.

दरअसल हेमंत सोरेन की सीएम की कुर्सी जाने की संभावना की वजह से विधायकों को बचाने की ये पूरी तैयारी है. इन विधायकों को बड़ी ही कूटनीतिक तरीसे से निकाला गया है क्योंकि अगर किसी भी तरह की ऐसी स्थिति बनती है और बाद में उन्हें फ्लोर टेस्ट करना पड़े तो उससे पहले विधायकों को व्हिप जारी किया जाएगा. उसके बाद उन्हें रांची में वापस लाया जाएगा. इसलिए अभी नहीं कह सकते हैं कि विधायकों को कब तक रांची से बाहर रखा जाएगा. 

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कांग्रेस ने भी राज्य में किसी भी तरह की होर्स ट्रेडिंग से बचने के लिए अपने तीन विधायकों को सस्पेंड कर दिया था. एक सितंबर तक उन सभी विधायकों को जवाब देने के लिए कहा गया था. अगर उन तीनों विधायकों ने फ्लोर टेस्ट में महागठबंधन के पक्ष में वोट नहीं दिया तो उनकी विधायकी चली जाएगी. इस बीच कांग्रेस की ओर से भी आज शाम करीब साढ़े आठ बजे अपने विधायकों की बैठक बुलाई है.

रायपुर के एक होटल की बढ़ाई गई सुरक्षा

झारखंड के विधायकों की रवानगी के बीच रायपुर के मेफेयर होटल की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. होटल के कमरे खाली कनरे के लिए कहा गया है. बताया जा रहा है कि झारखंड के विधायक रविवार की सुबह तक होटल पहुंच सकते हैं. इसके साथ ही होटल में अब कोई नई रूम बुकिंग नहीं की जाएगी. 
 

हेमंत सोरेन की कुर्सी पर खतरा

हेमंत सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जा सकती है, जिसके बाद विधायकों की बैठक तीन बार बुलाई जा चुकी है. दरअसल खनन पट्टे के मामले में चुनाव आयोग ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है. इसमें मुख्यमंत्री हेमंत को विधायक पद के लिए अयोग्य ठहराया है. यानी उनकी विधायकी रद्द करने की सिफारिश की है. इसी बीच सीएम हेमंत सोरेन ने भी अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि यह आदिवासी का बेटा है. इनकी चाल से हमारा रास्ता न कभी रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं. 

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सोरेन ने किया था ट्वीट

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया था. हम आदिवासियों के DNA में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है. साथ ही सीएम सोरेन ने कहा कि "शैतानी ताकतें" लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं. लेकिन वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे. 

लातेहार में एक सरकारी समारोह में सोरेन ने कहा कि वह चिंतित नहीं हैं, क्योंकि उन्हें राज्य पर शासन करने का जनादेश लोगों ने दिया है न कि उनके विरोधियों ने. उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं, वह राजनीतिक रूप से हमारे साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं हैं. वे हमारी सरकार को अस्थिर करने के लिए  ED, CBI, लोकपाल और Income Tax का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन हम इससे कतई चिंतित नहीं हैं. 

क्या है पूरा मामला?

हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था. दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी. इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई. 11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते. इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया.

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खनन के धंधे में हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब होना शुरू हुआ जब झारखंड की खनन सचिव रह चुकी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू की. ईडी को पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार के एक ही ठिकाने से साढ़े सत्रह करोड़ रुपये नकद मिले थे. ये रकम इतनी ज्यादा थी कि गिनने में 14 घंटे का वक्त लग गया था. ईडी सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि पूजा सिंघल और उनके करीबियों के करीब 150 करोड़ रुपये के निवेश का खुलासा हुआ और कई अहम दस्तावेज भी मिले.

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