नोटबंदी के बाद गुजरात के 10 बैंकों में आया मोटा कैश, कांग्रेस ने बताया BJP कनेक्शन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए 2 साल पहले नोटबंदी का ऐलान किया था, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि गुजरात के जिन 10 बैंकों में बड़ी मात्रा में पैसा जमा कराया गया उसमें शीर्ष पदों पर बीजेपी के लोग ही काबिज हैं.

Advertisement
नोटबंदी के कारण 500 और 1,000 के नोट चलन से बाहर हो गए थे (फाइल) नोटबंदी के कारण 500 और 1,000 के नोट चलन से बाहर हो गए थे (फाइल)

गोपी घांघर / सुरेंद्र कुमार वर्मा

  • गांधीनगर,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 साल पहले नवंबर 2016 में कालेधन और भ्रष्टाचार पर बड़ा हमला बोलते हुए अप्रत्याशित रूप से नोटबंदी का ऐलान कर दिया, इसके बाद देशभर में आमजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस फैसले के ऐलान के 4 दिनों के अंदर गुजरात के 10 बैंकों में भारी-भरकम मात्रा में प्रतिबंधित नोट जमा कराए गए जिसके शीर्ष पदों पर बीजेपी से जुड़े बड़े नेता विराजमान रहे.

Advertisement

नोटबंदी के बाद बैंक के बाहर लगी लंबी-लंबी लाइनों के वाकये को आज 2 साल बाद भी देश के लोग भुला नहीं पाए हैं, लेकिन अब खुलासा हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस साहसिक नोटबंदी के फैसले ने उनकी ही पार्टी के कई नेताओं को जमकर मुनाफा दिलाया. केंद्र सरकार ने चलन से बाहर कर दिए 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बैंक में जमा कराने या बदलवाने के लिए शुरुआत में 3 महीने का वक्त दिया था.

कांग्रेस ने की जांच की मांग

मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन राय ने इस संबंध में सरकार से जानकारी मांगी थी जिसके आधार पर मिली जानकारी के तहत गुजरात कांग्रेस दावा कर रही है कि 10 नवंबर 2016 से लेकर 14 नवंबर 2016 तक गुजरात के जिन 10 बैंकों में करोड़ों रुपए के पुराने नोट बैंकों में जमा कराए गए थे, उस बैंक के चेयरमैन, प्रेसिडेंट और डायरेक्टर सभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) के नेता ही रहे हैं.

Advertisement

इस रिपोर्ट के बाद गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने सरकार से इस प्रकरण में जांच की मांग की है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद गुजरात से आते हैं और उनके नोटबंदी के ऐलान के बाद उनकी ही पार्टी के नेताओं के बैंकों में पैसा जमा कराया गया. इस पूरे मामले की जांच की जाना चाहिए.

मानहानि का केस

अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव (एडीसी) बैंक को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला की ओर से यह दावा किया गया था कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जिस एडीसी बैंक के डायरेक्टर हैं उसी में उन चार दिनों के भीतर 745 करोड़ों रुपए जमा कराए गए.

कांग्रेस की ओर से किए गए इस दावे के बाद एडीसी के चेयरमैन अजय पटेल ने राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला पर मानहानि का केस भी कर दिया. हालांकि गुजरात के अन्य दूसरे को-ऑपरेटिव बैंकों में भी शुरुआती चार दिनों में बड़ी राशि जमा कराई गई और इन बैंकों के चेयरमैन, प्रेसिडेंट और डायरेक्टर जैसे उच्च पदों पर बीजेपी के ही नेता ही विराजमान रहे.

राजकोट के सबसे बड़े को-ऑपरेटिव बैंक राजकोट जिला को-ऑपरेटिव बैंक में शुरुआती चार दिनों के अंदर 693 करोड़ रुपए जमा कराए गए. इस बैंक के चेयरमैन जयेश रादडिया हैं जो इस समय गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.  

Advertisement

इसी तरह सूरत जिला को-ऑपरेटिव बैंक में शुरुआती 4 दिनों में 369 करोड़ रुपए जमा कराए गए थे और इस बैंक के चेयरमैन बीजेपी के नेता नरेश पटेल और प्रभुभाई पटेल हैं. साबरकांठा डिस्ट्रीक सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में 328 करोड़ जमा कराए गए और इसके चेयरमैन बीजेपी के नेता महेशभाई पटेल हैं, जबकि डायरेक्टर बीजेपी के नेता राजेंद्र सिंह चावड़ा और दूसरे डायरेक्टर के तौर पर प्रफुल्लभाई पटेल हैं.

वैसे ही बनासकांठा डिस्ट्रीक को-ऑपरेटिव बैंक में उन 4 दिनों में 295 करोड़ जमा हुए. इसके चेयरमैन थे तत्कालीन गुजरात सरकार मंत्री शंकर चौधरी. महेसाना जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में भी 4 दिनों में बड़ी मात्रा में पैसा जमा कराया गया. इस बैंक में 215 करोड़ जमा हुए, जिसमें राज्य के उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल बडे़ पद पर विराजमान हैं.

राज्य के अन्य जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में अमरेली जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, भरुच जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, वडोदरा जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, जुनागढ़ जिला को-ऑपरेटिव बैंक और पंचमहल जिला को-ऑपरेटिव बैंक में भी बीजेपी के नेता ही उच्चें पदों पर काबिज हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement