बस्तर की बेटी नैना ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा, 9 दिन में हासिल की फतेह

नैना ने 9 दिनों में विश्व की 2 ऊंची चोटियों पर भारत और राज्य का झंडा फहराया. नैना के लिए यह अभियान बेहद खास रहा क्योंकि मौसम खराब होने और एवलांच आने से जब अन्य पर्वतारोही हार मानकर वापस लौट आए उस दौरान नैना ने अपने दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. 

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बस्तर की बेटी नैना ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा बस्तर की बेटी नैना ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

aajtak.in

  • बस्तर,
  • 04 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST
  • पिछले 10 सालों से कर रही थीं माउंट एवरेस्ट विजय की तैयारी
  • 1 जून को पहले माउंट लाहोत्से जो 8516 मीटर ऊंचा फतह किया

विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली नैना, छत्तीसगढ़ की पहली महिला बन गई हैं. बस्तर की बेटी नैना सिंह धाकड़ की सफलता पर मुख्यमंत्री सहित प्रदेश की जनता ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं. नैना ने माउंट एवरेस्ट में 1 जून की सुबह 9 बजे विश्व की ऊंची चोटी पर देश-प्रदेश के साथ बस्तर का परचम लहराया.

नैना ने 9 दिनों में विश्व की 2 ऊंची चोटियों पर भारत और राज्य का झंडा फहराया. नैना के लिए यह अभियान बेहद खास रहा क्योंकि मौसम खराब होने और एवलांच आने से जब अन्य पर्वतारोही हार मानकर वापस लौट आए उस दौरान नैना ने अपने दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. 

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इस दौरान नैना के साथ पर्वतारोहण पर निकले लोगों ने तो एक सबमिट भी नहीं किया, पर जिद्दी नैना ने 2 सबमिट कर काठमांडू वापस पहुंची. बस्तर की रहने वाली नैना सिंह धाकड़ पिछले 10 सालों से माउंट एवरेस्ट पर फतह करने की तैयारी कर रही थीं. इससे पहले वे हिमालय की कई चोटियों पर भी चढ़ाई कर चुकी हैं. यही नहीं, भूटान में भी वे स्नो मैन ट्रैक में हिस्सा ले चुकी हैं. नैना एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल की टीम में शामिल रही. 

 

कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि नैना पिछली बार भी आर्थिक कारणों से एवरेस्ट के अभियान पर जाने से चूक गई थीं. इस बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर एनएमडीसी और जिला प्रशासन के सहयोग से नैना का सपना साकार हुआ और उन्होंने देश-प्रदेश के साथ बस्तर का नाम रोशन किया. 1 अप्रैल 2021 को वो एवरेस्ट को फतह करने के अभियान में जगदलपुर से निकली थी.

माउंट एवरेस्ट अत्यधिक अनुभवी पर्वतारोहियों सहित कई पर्वतारोहियों को आकर्षित करता रहा है. नैना ने नेपाल में दक्षिण-पूर्व का रास्ता चुना है, यह रास्ता एवरेस्ट से ऊंचाई की बीमारी, मौसम और हवा के साथ-साथ हिमस्खलन और खुंबू ग्लेशियर जैसे खतरों से भरा पड़ा है. 

 

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13 मई को खराब मौसम के कारण जब विश्व की अधिकतर टीम अभियान रद्द कर वापस बेस कैंप लौट आई थी, तब भी नैना पहले अटेम्प्ट में एवरेस्ट फतह नहीं होने के बाद भी हिम्मत बनाए रखी. 10 दिनों की अवधि में दो बैक-टू-बैक चक्रवात तौकते और यास ने इन अभियानों में काफी दिक्कतें पैदा की, इस चक्रवात के साथ-साथ चल रही कोविड-19 महामारी ने भी इस साल को पिछले साल के एवरेस्ट अभियान से अलग बना दिया है. इसके बाद उन्होंने 1 जून को पहले माउंट लाहोत्से जो 8516 मीटर ऊंचा फतह किया फिर एवरेस्ट की 8848.86 मीटर की ऊंचाई को भी नाप कर अविश्वसनीय जीत दर्ज राज्य की प्रथम महिला बन गयी हैं. 

ये उनकी दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति ही थी जिसके कारण यह संभव हुआ. छत्तीसगढ़ राज्य के लिए एक मिसाल है इस अभियान के पीछे मुख्यमंत्री बघेल, जिला प्रशासन बस्तर और एनएमडीसी का सहयोग रहा है. पूर्व में 18 अप्रैल को बेसकेम्प में पहुंच कर 3 मई को एवरेस्ट समिट करने की योजना थी, पर कठिन चढ़ाई और मौसम की चुनौती के कारण 13 मई को एक अवसर मिला पर, अचानक मौसम में आये बदलाव के कारण सभी पर्वतारोहियों को बेस केम्प लौटना पड़ा.
 



नेपाली मौसम विभाग ने 29 मई को मौसम खुलने की संभावना जताई तब नैना ने पुनः अपना प्रयास आरम्भ किया और माउंट एवरेस्ट के साथ साथ विश्व की चैथीं ऊंची चोटी माउंट लाहोत्से को भी फतह कर लिया. परन्तु मौसम में बदलाव आने के कारण नैना को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और इन्हें रेस्क्यू करने के लिए रेस्क्यू टीम भेजनी पड़ी. जल्द ही नैना के बेसकेम्प पहुंचने की संभावना जताई गई है. 

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नैना सिंह धाकड़ शहर के महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल से स्कूली शिक्षा के बाद पीजी कॉलेज धरमपुरा से बीए किया. इसके साथ ही डीसीए, पीजीडीसीए, एमएसडब्ल्यू, बीपीएड किया. बाद में पर्वतारोहण में बेसिक माउंटेनियरिंग, एडवांस माउंटेनियरिंग, एमओआई कोर्स, रॉक बेसिक एंड एडवांस, एसएनआर सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स किया है.

 



बस्तर की पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. मुख्यमंत्री बघेल ने नैना के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा है कि नैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर विजय प्राप्त कर अपनी इस उपलब्धि से छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है.

(धर्मेंद्र महापात्र का इनपुट)

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