अनंत सिंह, सूरजभान, रामा सिंह, शहाबुद्दीन की फैमिली... बिहार के बाहुबली नेता इस चुनाव में किसके खेमे में होंगे?

बिहार की सियासत में बाहुबल के तड़के का रिश्ता पुराना है. अनंत सिंह से लेकर सूरजभान, रामा सिंह, शहाबुद्दीन, राजू तिवारी से लेकर सुनील पाण्डेय तक, बाहुबली नेताओं की एक लंबी लिस्ट है. सूबे के बाहुबली इस बार किसके खेमे में होंगे?

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अनंत सिंह, सूरज भान अनंत सिंह, सूरज भान

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

बिहार की सियासत में बाहुबल के तड़के की परंपरा पुरानी है. सूबे में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनावी साल में चर्चा बाहुबलियों की भी होने लगी है. कुछ बाहुबली खुद भी सियासत में सक्रिय हैं तो कुछ अपने परिजनों के जरिये सियासी वजूद बनाए हुए हैं. कुछ बाहुबलियों की विरासत पर उनके परिवार के सदस्य खुद को मौजूं बनाए रखने, सियासत में स्थापित करने की जद्दोजहद में हैं. नजर डालते हैं ऐसे ही बाहुबलियों की राजनीति पर कि वो खुद या उने परिजन इस बार के चुनाव से पहले किस दल की ओर नजर आ रहे हैं.

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अनंत सिंह

मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी नीलम देवी विजयी रही थीं. नीलम देवी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुई थीं और तब जेडीयू भी महागठबंधन में थी. नीतीश कुमार की पार्टी जब एनडीए में लौटी और सरकार बनाई, तब विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान नीलम देवी ने इसके पक्ष में मतदान किया था.

भूमिहार नेता अनंत सिंह की गिनती कभी नीतीश कुमार के करीबियों में होती थी. छोटे सरकार के उपनाम से मशहूर यह नेता साल 2005 में पहली बार जेडीयू के टिकट पर ही विधानसभा पहुंचा था. तब से अब तक, मोकामा विधानसभा सीट पर अनंत सिंह का दबदबा कायम है. अनंत सिंह और उनका परिवार इस बार जेडीयू की ओर हैं.

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सूरजभान

सूरजभान ने साल 2000 के बिहार चुनाव में मोकामा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता था. उन्होंने तब लालू यादव की सरकार में मंत्री रहे दिलीप सिंह को शिकस्त दी थी. दिलीप सिंह, बाहुबली अनंत सिंह के बड़े भाई थे. सूरजभान 2004 में रामविलास पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के टिकट पर मुंगेर सीट से सांसद बने.

सूरजभान की पत्नी वीणा देवी भी मुंगेर सीट से सांसद रही हैं.  सूरजभान का परिवार फिलहाल चिराग पासवान की पार्टी में है जो जेडीयू की अगुवाई वाले सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल है. सूरजभान ने इस बार के चुनाव से पहले ये ऐलान भी कर दिया है कि मोकामा से अनंत सिंह को जीतने नहीं देंगे. 

रामा सिंह

राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह ने हाजीपुर संसदीय सीट के तहत आने वाली महनार विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव लड़कर चुनावी राजनीति में कदम रखा था. रामा सिंह पांच बार के पूर्व विधायक हैं और एक बार सांसद भी रहे हैं. 2014 के आम चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर वैशाली सीट से चुनाव मैदान में उतरे रामा सिंह ने आरजेडी के कद्दावर रघुवंश प्रसाद सिंह को मात दी थी. रामा सिंह 2020 में आरजेडी में शामिल हो गए थे. 2024 के लोकसभा चुनाव के समय वे चिराग पासवान की पार्टी में लौट आए.

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शहाबुद्दीन

सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा और तीनों ही बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में हिना ने आरजेडी से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और इस बार भी उन्हें हार ही मिली थी. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा ने लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद तेजस्वी यादव की मौजूदगी में आरजेडी का दामन थाम लिया था. ओसामा के आरजेडी से विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा है.

राजन तिवारी

बाहुबली राजन तिवारी का परिवार भी सियासत में सक्रिय रहा है. राजन की मां कांति देवी ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं. राजन के बड़े भाई राजू तिवारी भी राजनीति में हैं. गोविंदगंज विधानसभा सीट से विधायक रह चुके राजू फिलहाल चिराग पासवान की अगुवाई वाली एलजेपी (आर) के प्रदेश अध्यक्ष हैं. 

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सुनील पाण्डे

समता पार्टी के टिकट पर भोजपुर जिले की पीरो विधानसभा सीट से सियासी सफर का आगाज करने वाले सुनील पाण्डे एमएमलसी भी रहे. पिछले विधानसभा चुनाव में सुनील को तरारी सीट पर सुदामा प्रसाद ने हरा दिया था. सुदामा प्रसाद 2024 के लोकसभा चुनाव में आरा लोकसभा सीट से सांसद चुन लिए गए. सुदामा प्रसाद के इस्तीफे से रिक्त हुई तरारी सीट पर उपचुनाव में सुनील पाण्डे के बेटे विशाल प्रशांत बीजेपी से विधायक निर्वाचित हुए हैं.

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आनंद मोहन

आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जेडीयू से सांसद हैं तो वहीं उनके बेटे चेतन आनंद भी राजनीति में सक्रिय हैं. चेतन आनंद 2020 के बिहार चुनाव में आरजेडी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. चेतन आनंद का नाम भी आरजेडी के उन विधायकों में शामिल है, जिन्होंने जेडीयू के महागठबंधन से एग्जिट करने के बाद नीतीश सरकार की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया था.

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पप्पू यादव

बतौर निर्दलीय विधायकी जीतकर सियासत में कदम रखने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद हैं. पप्पू यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था. सीट बंटवारे में पूर्णिया लोकसभा सीट आरजेडी के खाते में चली गई जिसके बाद पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और जीते. वह दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस का प्रचार करते नजर आते हैं. उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं. पप्पू यादव और उनका परिवार इस बार कांग्रेस के साथ है.

प्रभुनाथ सिंह

आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर सिंह भी राजनीति में हैं और विधायक रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह के बेटे रणधीर ने छपरा और भतीजे सुधीर सिंह ने तरैया सीट से चुनाव लड़ा था. दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा था. उनके भाई केदारनाथ सिंह बनियापुर सीट से लगातार तीन बार के विधायक हैं. रणधीर सिंह ने लोकसभा चुनाव के समय आरजेडी छोड़ जेडीयू का दामन थाम लिया था. वह फिलहाल जेडीयू के प्रदेश महासचिव हैं.

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