'B-Pharma करने में लग गए 5 साल', नेपाल के एजुकेशन सिस्टम से छात्र नाराज, Gen-Z आंदोलन को बताया सफल

नेपाल में कई ऐसे युवा हैं जो आगे तो बढ़ना चाहते हैं, लेकिन कुव्यवस्थाओं ने उनकी राह रोक रखी है. ऐसे ही एक युवा ने अपनी कहानी बताई, जो GEN-Z आंदोलन में शामिल था और बीफार्मा करके डिग्री के इंतजार में बैठा हुआ है. चलिए जानते हैं क्या है नेपाल के युवाओं का हाल और वहां की कैसी है शिक्षा व्यवस्था?

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नेपाल की बदहाल शिक्षा व्यवस्था से परेशान है वहां की युवा पीढ़ी (Photo - ITG) नेपाल की बदहाल शिक्षा व्यवस्था से परेशान है वहां की युवा पीढ़ी (Photo - ITG)

आशीष श्रीवास्तव

  • नेपालगंज,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:15 PM IST

नेपाल के GEN-Z आंदोलन को वहां के युवा सफल बता रहे हैं. क्योंकि वहां के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि न तो युवाओं को अच्छी शिक्षा मिल पा रही है और न ही शिक्षा पूरी कर लेने के बाद सर्टिफिकेट और नौकरी. युवा पीढ़ी में पहले की सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से भी नाराजगी थी. नेपाल में एक ऐसा ही लड़का मिला जिसे बीफार्मा करने के बाद भी न तो डिग्री मिली थी और न ही काम. वह भी इस परिवर्तनकारी आंदोलन का हिस्स था.  

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नेपाल में प्रधानमंत्री को पद से हटाने के लिए जिस बड़े आंदोलन की शुरुआत युवाओं ने की, उसमें नेपालगंज के विष्णु गुप्ता भी शामिल थे. विष्णु गुप्ता के पिता पिछले 40 सालों से नेपालगंज में एक दुकान चला रहे हैं. उन्होंने बेटे को बी-फार्मा में दाखिला दिलाया. उन्हें उम्मीद थी कि पढ़ाई पूरी करने के बाद बेटा अच्छी जिंदगी जी पाएगा. 

5 साल में पूरी होती है 3 साल की पढ़ाई
अब विष्णु गुप्ता का ऐसा हाल है कि उसे अपने पिता के काम में ही हाथ बंटाना पड़ रहा है. उसका कहना है कि नेपाल की शिक्षा प्रणाली बेहद कमजोर है. उसने कहा कि जो डिग्री भारत में 3 साल में मिल जाती है, उसे नेपाल में हासिल करने में 5 साल लगते हैं. इनमें से 1 साल किस वजह से लगता है, यह किसी को पता नहीं होता.

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विष्णु के अनुसार, यही वजह है कि युवाओं को यहां समय बर्बाद करना पड़ता है. इसलिए लोग विदेश जाकर पढ़ाई और नौकरी करना पसंद करते हैं. विष्णु और उनके जैसे युवाओं की मांग है कि अब जब नई प्रधानमंत्री बनी हैं तो सबसे पहले शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया जाए.

नई सरकार शिक्षा प्रणाली दुरुस्त करने की उम्मीद 
उनका कहना है कि शिक्षा प्रणाली को सुधारना नेपाल की सबसे बुनियादी जरूरत है. उनके पिता का भी मानना है कि बेटे को इसलिए पढ़ाया था ताकि वह सिर्फ बिजनेस तक सीमित न रहे, लेकिन वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ने युवाओं को मजबूर कर दिया है. इसी कारण से यह बड़ा आंदोलन शुरू हुआ.  युवाओं को विश्वास है कि आने वाले समय में अब शिक्षा प्रणाली में जरूर सुधार होगा. 

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