नेपाल में फैली अशांति के बीच अंतरिम सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. Gen Z आंदोलनकारियों की सहमति और सरकार बनाने में शामिल अन्य भागीदारों की मदद से अंतिम रूप से नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम पर मुहर लगी है. सुशील कार्की ही अंतरिम सरकार की प्रमुख होंगी.
कभी नेपाल की इस पहली महिला चीफ जस्टिस को सरकार में बैठे मंत्रियों ने ही महाभियोग लगाकर उनके पद से हटाया था. आज जब देश का सियासी माहौल बदला है तो वही अंतरिम सरकार की प्रमुख बनने जा रही हैं.
Gen Z आंदोलनकारियों की पहली पसंद हैं कार्की
नेपाल में Gen Z आंदोलन के बाद वहां की पूरी सियासत बदल चुकी है. प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने के बाद से ही अंतरिम सरकार बनाने के लिए युवा आंदलोनकारियों का आर्मी के साथ लंबा मंथन चला. इस बीच कई नाम अंतरिम सरकार के प्रमुख के लिए आगे किए गए. इनमें से कुछ पर सहमति बनी, तो कुछ खुद पीछे हट गए.
दो दिनों की खींचतान के बाद आखिकरकार अंतरिम सरकार की प्रमुख के रूप में सुशीला कार्की का नाम तय हो चुका है. इस पर उन्होंने भी अपनी सहमति दे दी है. दो दिन पहले एक लंबे वर्चुअल बैठक में 71 साल की सुशीला कार्की के नाम पर युवाओं की सहमति बनी थी. इस बैठक में 5000 से अधिक युवा शामिल हुए थे.
2016 में बनी थीं देश की पहली महिला चीफ जस्टिस
जेनरेशन जेड आंदोलन के केंद्र में रहे काठमांडू के बालने शाह ने भी सुशीला कार्की के नाम पर सहमति जताई थी. सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी थीं. इसके बाद 2017 में ही सरकार ने इन पर महाभियोग चलाकर इनके पद से हटा दिया था.
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बीएचयू से की हैं पढ़ाई
सुशीला कार्की ने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से भी डिग्री हासिल की हैं. उन्होंने यहां से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की हैं.
शिक्षिका के रूप में शुरू किया था करियर
कार्की ने अपना करियर एक शिक्षिका के रूप में शुरू किया था. उन्होंने अपने न्यायिक कार्यकाल के दौरान कई साहसिक फैसले लिए थे. कार्की 2006 में देश के संविधान मसौदा समिति में भी शामिल रही थीं. इसके बाद 2009 में उन्हें नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय में एक एडहॉक न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. कार्की 2010 में स्थायी न्यायाधीश बनीं थीं.
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