क्या राफेल बदलेगा यूक्रेन-रूस युद्ध की दिशा, 100 जेट की फ्रांस से डील, पुतिन के पास इसकी क्या काट?

यूक्रेन को फ्रांस से 100 राफेल जेट मिलने की डील हुई. अगले 10 साल में ड्रोन, एयर डिफेंस और मिसाइल भी आएंगे. ज़ेलेंस्की बोले- ये दुनिया की सबसे मजबूत हवाई ताकत बनेगी. राफेल से रूस के ग्लाइड बम और मिसाइल रुक सकेंगे. लेकिन पहला जेट 3 साल बाद आएगा. पुतिन अभी चुप हैं, पर जमीन पर हमले और तेज कर सकते हैं.

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पेरिस के पास एयरबेस के टारमैक पर खड़ा राफेल फाइटर जेट. (Photo: Reuters) पेरिस के पास एयरबेस के टारमैक पर खड़ा राफेल फाइटर जेट. (Photo: Reuters)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में एक बड़ा मोड़ आ सकता है. सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक ऐतिहासिक समझौता किया. इसके तहत यूक्रेन को अगले 10 साल में फ्रांस से 100 राफेल फाइटर जेट, ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम और अन्य हथियार मिलेंगे. ज़ेलेंस्की ने इसे "दुनिया की सबसे मजबूत एयर डिफेंस" बताया. लेकिन क्या ये जेट युद्ध का रुख बदल देंगे? और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का जवाब क्या होगा? 

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राफेल जेट क्या हैं और क्यों खास?

राफेल फ्रांस का सबसे एडवांस्ड लड़ाकू विमान है. ये चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल जेट है, जो हवा में लड़ाई, लंबी दूरी के हमले और मिसाइल रोकने का काम कर सकता है. एक जेट की कीमत करीब 850 करोड़ रुपये है. फ्रांस ने पहले यूक्रेन को मिराज जेट दिए थे, लेकिन राफेल पहली बार दिए जा रहे हैं.

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ये जेट अमेरिकी F-16 जेट जैसा काम करते हैं. यूक्रेन के पास अभी सिर्फ 9 F-16 और 2 मिराज हैं, बाकी पुराने सोवियत विमान. राफेल आने से यूक्रेन की हवाई ताकत मजबूत होगी. विशेषज्ञ कहते हैं, ये रूसी मिसाइलों और ड्रोन को आसानी से रोक सकेंगे. लेकिन पहला जेट आने में कम से कम 3 साल लगेंगे, क्योंकि पायलटों को ट्रेनिंग देनी होगी.

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डील कैसे हुई और इसमें क्या-क्या है?

17 नवंबर 2025 को पेरिस के विलाकौब्ले एयरबेस पर दोनों राष्ट्रपतियों ने एक लेटर ऑफ इंटेंट (समझौता पत्र) पर हस्ताक्षर किए. ये कोई फाइनल कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि भविष्य की खरीद की योजना है. डील में शामिल हैं...

  • 100 राफेल F4 जेट: 2035 तक डिलीवरी.
  • ड्रोन और रडार: यूक्रेन के ड्रोन प्रोडक्शन को बढ़ावा.
  • मिसाइल और बम: हवा से हवा और हवा से जमीन हमलों के लिए.
  • SAMP/T एयर डिफेंस सिस्टम: ये अमेरिकी पैट्रियट से बेहतर रूसी मिसाइलों को रोकते हैं.

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फाइनेंसिंग कैसे? 

फ्रांस EU प्रोग्राम और रूस के फ्रीज्ड एसेट्स (जब्त संपत्ति) से पैसे देगा. यूक्रेन भी को-प्रोडक्शन पर विचार कर रहा है, ताकि जेट खुद बना सके. ये डील स्वीडन के साथ 150 ग्रिपेन जेट की डील के बाद आई है. यूक्रेन का प्लान: 250 नए विमानों से हवाई ताकत बनाना.

युद्ध पर क्या असर पड़ेगा?

यूक्रेन की हवा में कमजोरी बड़ी समस्या है. रूस हर महीने 6000 ग्लाइड बम फेंकता है, जो सीमा पर शहरों को तबाह कर रहे हैं. हाल ही में खार्किव और बालाक्लिया में रूसी हमलों से दर्जनों नागरिक मारे गए. राफेल से यूक्रेन लंबी दूरी के हमले कर सकेगा और रूसी विमानों को पीछे धकेल सकेगा.

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विशेषज्ञों का कहना है..

  • शॉर्ट टर्म में: ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. ट्रेनिंग और डिलीवरी में समय लगेगा. युद्ध अभी रूस के फायदे में चल रहा है, जो धीरे-धीरे जमीन हथिया रहा है.
  • लॉन्ग टर्म में: ये जेट रूस को डराएंगे. यूक्रेन गहरे हमले कर सकेगा, जैसे रूस के अंदर स्ट्राइक. चैथम हाउस के कीर गाइल्स कहते हैं कि ये रूस को भविष्य में हमला करने से रोकेगा. राफेल रूसी जेट्स को हरा सकेंगे.
  • लेकिन चुनौतियां हैं: यूक्रेन को पैसे जुटाने होंगे. अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने मदद कम की है, इसलिए यूरोप आगे आ रहा है. फ्रांस ने कहा कि ये यूक्रेन की आर्मी को दोबारा बनाएगा.

पुतिन की क्या काट होगी?

डील की खबर पर क्रेमलिन की ओर से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. लेकिन रूस का रुख साफ है. पुतिन सीजफायर की मांग ठुकरा रहे हैं. उनका कहना है कि यूक्रेन रुक-रुक कर हथियार जमा कर लेगा. रूस ट्रंप से बातचीत की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन अपनी शर्तें नहीं छोड़ रहे. 

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संभावित जवाब

  • जमीन पर बढ़त: रूस दोनेतस्क और जापोरिजिया में गांव कब्जा रहा है.
  • हवाई हमले तेज: मिसाइल और ड्रोन से यूक्रेन के एनर्जी प्लांट्स पर हमले बढ़ा सकता है.
  • हाइब्रिड वार: रोमानिया और पोलैंड में रूस के प्रॉक्सी अटैक कर रहा है, जैसे LNG टैंकर पर हमला. ब्रिटिश मंत्री टॉम टुगेंहाट कहते हैं कि पुतिन यूरोप को डराने के लिए युद्ध फैला रहा है.
  • राजनीतिक दबाव: ट्रंप से डील करने की कोशिश, ताकि पश्चिमी मदद रुके.

मैक्रों ने कहा कि रूस को युद्ध की लत है. शांति 2027 से पहले होनी चाहिए. लेकिन पुतिन पीछे हटने को तैयार नहीं.

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उम्मीद की किरण, लेकिन रास्ता लंबा

ये डील यूक्रेन के लिए बड़ी जीत है, खासकर जब अमेरिका की मदद अनिश्चित है. राफेल से हवाई सुरक्षा मजबूत होगी, लेकिन युद्ध खत्म करने के लिए अभी और हथियार, ट्रेनिंग और डिप्लोमेसी चाहिए. यूक्रेन के लोग सर्दी में रूसी हमलों से जूझ रहे हैं. दुनिया शांति चाहती है, लेकिन पुतिन की जिद बनी हुई है.  

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