भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत बढ़ाने के लिए राफेल फाइटर जेट्स की खरीद पर बड़ा अपडेट आया है. फ्रांस के रक्षा मंत्रालय से लीक हुई जानकारी के अनुसार, भारत 90 राफेल F4 मल्टीरोल जेट्स खरीदने की योजना बना रहा है. साथ ही 24 नेक्स्ट-जनरेशन राफेल F5 वेरिएंट का ऑप्शन भी. यूरेशियन टाइम्स के अनुसार इसके अलावा 114 राफेल की खरीद का प्रस्ताव भी आगे बढ़ रहा है.
IAF के पास अभी सिर्फ 29 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जबकि जरूरत 42.5 की है. स्वदेशी प्रोग्राम में देरी से ये गैप बढ़ गया है. पाकिस्तान को अमेरिका से F-16 अपग्रेड मिल रहा है, जो 2040 तक चलेगा. पाकिस्तान के पास J-10C और PL-15 मिसाइलें हैं. वो J-35 फिफ्थ-जनरेशन जेट लेने की कोशिश में है.
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चीन के पास 400 J-20 जेट हैं. ऐसे में भारत को जल्दी मजबूत फाइटर फ्लीट चाहिए. राफेल चुनने से एक ही तरह का फ्लीट रहेगा. मेंटेनेंस आसान होगा. G2G डील से जल्दी साइन हो सकता है. ऑपरेशन सिंदूर में राफेल की ताकत साबित हो चुकी है.
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फ्रेंच ऑफिशियल्स कहते हैं कि मेक-इन-इंडिया तभी फायदेमंद अगर पूरा 114 (IAF) + 26 (नेवी) ऑर्डर हो. इससे असेंबली लाइन लग सकेगी. Dassault पहले से भारत में फ्यूजलेज बना रहा है. Safran हैदराबाद में M88 इंजन का MRO प्लांट लगा रहा है. Safran और DRDO मिलकर AMCA के लिए नया जेट इंजन बना रहे हैं, 100% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ.
अमेरिका पाकिस्तान को हथियार दे रहा है, चीन से ट्रेड बढ़ा रहा है. भारत फ्रांस के साथ करीब आ रहा है. फ्रांस कभी सैंक्शन नहीं लगाता. भारत रूस से Su-57 पर भी बात कर रहा है. बैलेंस बनाए रखने की कोशिश हो रही है.
प्रस्ताव को AoN और CCS अप्रूवल चाहिए. 2026 में मैक्रों भारत आएंगे, शायद डील लॉन्च हो. अगर डील हुई तो भारत फ्रांस के बाहर सबसे बड़ा राफेल ऑपरेटर बनेगा (175+ जेट्स). प्रोडक्शन रेट बढ़ रहा है, भारत में बनाने से सस्ता पड़ेगा. राफेल लाइफ-साइकल कॉस्ट कम है, रशियन जेट्स से बेहतर.
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